संसद में आज: सीएसई ने किया शहद में मिलावट का खुलासा, सरकार ने दी जानकारी

सरकार ने बताया, तटीय क्षेत्रों में प्रदूषण की स्थिति की निगरानी के लिए कोई समिति गठित नहीं की गई है

By Madhumita Paul, Dayanidhi

On: Friday 12 February 2021
 

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने बताया है कि सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने शहद की एक जांच की थी जिसमें विभिन्न एफएसएसएआई अनुमोदित मापदंडों और कुछ अन्य परीक्षण को लेकर भी शहद के नमूनों का परीक्षण किया गया था। उनकी रिपोर्ट सार्वजनिक डोमेन में पर उपलब्ध है। स्वास्थ्य मंत्रालय में राज्य मंत्री और परिवार कल्याण मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने आज लोकसभा में बताया।

उन्होंने राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय लाइसेंसिंग प्राधिकरणों (सीएलए) से अब तक प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार, चावल के सिरप 2एएफजीपी के लिए विशिष्ट मार्कर (2-एसिटाइलफ्यूरन -3 ग्लूकोजोप्रानोसाइड) की उपस्थिति का एक नमूना पॉजिटिव पाया है। खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योज्य) विनियम 2011 के खंड 2.8.3 (1) के अनुसार नकारात्मक रहें और जिसके आधार पर उत्पाद को खाद्य के खंड 3 (1) (जेडजेड) के अनुसार असुरक्षित माना गया है। सीएलए द्वारा नोटिस और सुरक्षा और मानक (एफएसएस) अधिनियम, 2006 और संबंधित खाद्य व्यवसाय को लेकर ऑपरेटर (एफबीओ) को नोटिस दिया गया था।

गैर संचारी रोगों के बारे में नहीं है पता

हृदय रोग, मधुमेह और मोटापे सहित गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) से पीड़ित रोगी की सही संख्या का पता मंत्रालय को नहीं है। यह आज स्वास्थ्य मंत्रालय में राज्य मंत्री और परिवार कल्याण मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने आज लोकसभा में बताया। उन्होंने कहा कि विभिन्न अध्ययनों से संकेत मिलता है कि इन बीमारियों की प्रवृत्ति बढ़ रही है।

उन्होंने बताया कि डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट 2015 के अनुसार, भारत में अनुमान लगाया है कि लगभग 5.8 मिलियन लोग हर साल गैर संचारी रोगों (एनसीडी) (हृदय और फेफड़े के रोगों, स्ट्रोक, कैंसर और मधुमेह) से मर जाते हैं।

शहरी और औद्योगिक क्षेत्रों में वायु प्रदूषण

देश में दिल्ली सहित शहरों में परिवेशी वायु गुणवत्ता की निगरानी मैनुअल और निरंतर वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों के नेटवर्क के माध्यम से राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी (एनएएमपी) कार्यक्रम के तहत की जाती है। यह आज पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो ने आज लोकसभा में बताया।

उन्होंने 50 मेट्रो शहरों / मिलियन प्लस अर्बन एग्लोमेरेशंस एंबिएंट एयर क्वालिटी डेटा के विश्लेषण से यह भी बताया कि 2017-19 के दौरान सभी शहरों में एसओ2 का स्तर नेशनल एम्बिएंट एयर क्वालिटी स्टैंडर्ड (एनएएक्यएस) के अंदर था। एनओ2 के संबंध में, 15 शहरों में बढ़ती प्रवृत्ति दिखाई दी, 14 शहरों में कम एकाग्रता और 21 शहरों में उतार-चढ़ाव की प्रवृत्ति दिखाई दी। पीएम10 के संबंध में, 06 शहरों ने एक बढ़ती प्रवृत्ति दिखाई दी, 15 शहरों ने कम एकाग्रता दिखाई, 29 शहरों में उतार-चढ़ाव वाला रुझान दिखाई दिया।

कोल्ड स्टोरेज में कोरोना वैक्सीन को नुकसान

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने माना कि सरकार को पता है कि 15 जनवरी 2021 को आसाम के सिलचर मेडिकल कॉलेज अस्पताल  में कोविड-19 वैक्सीन की 1000 खुराकें जमी हुई थीं। कोल्ड स्टोरेज में वैक्सीन की खुराक के नुकसान की कोई अन्य विशिष्ट घटना अब तक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सामने नहीं आई है।

जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव

सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है और विभिन्न मंत्रालयों और एजेंसियों के माध्यम से वर्षों से जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का आकलन कर रही है। विश्व मौसम संगठन (डब्ल्यूएमओ) की रिपोर्ट के अनुसार, 2015-2019 के लिए औसत वैश्विक तापमान वर्तमान में पूर्व-औद्योगिक (1850-1900) से 1.1 डिग्री सेल्सियस अधिक है, आज यह केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने लोकसभा में बताया।

वन आवरण में कमी

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो ने इस बात पर इनकार किया कि देश में वन आवरण में कोई गिरावट आ रही है। फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया, देहरादून द्वारा तैयार इंडिया स्टेट ऑफ़ फारेस्ट किे नवीनतम रिपोर्ट -2019 के अनुसार, देश का कुल वन और वृक्षों का आवरण 8, 07,276 वर्ग किलोमीटर (किमी 2) है, जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 24.56 फीसदी है। इसमें 7,12,249  वर्ग किलोमीटर (किमी 2) फ़ॉरेस्ट कवर और 95,027  वर्ग किलोमीटर (किमी 2) पेड़ों का आवरण शामिल हैं।

मंत्री ने यह भी कहा कि भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, भारतीय औसत तापमान 1901 से 2017 की अवधि में लगभग 0.7 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है। वर्तमान में, भारतीय तट के समुद्र का औसतन अनुमानित स्तर 1.7 मिमी प्रति वर्ष की दर से बढ़ रहा है।

तटीय क्षेत्रों में प्रदूषण की स्थिति की निगरानी के लिए कोई समिति नहीं है

लोकसभा में इस सवाल में कि क्या सरकार ने देश के तटीय क्षेत्रों में प्रदूषण की स्थिति की निगरानी के लिए कोई समिति गठित की है? जवाब में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो ने आज राष्ट्रीय जल गुणवत्ता को लेकर बताया कि निगरानी कार्यक्रम, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों / प्रदूषण नियंत्रण समितियों के सहयोग से केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड 184 स्थानों पर तटीय जलीय संसाधनों की जल गुणवत्ता की निगरानी कर रही है। जिसमें मासिक आधार पर पांच राज्यों में विभिन्न स्थानों पर खाड़ियां / समुद्री जल शामिल हैं।

उनसे उक्त कमेटियों द्वारा अब तक की गई बैठकों की संख्या के साथ-साथ उक्त बैठकों में की गई सिफारिशों / निर्णय की जानकारी मांगी गई थी। इस सवाल के जवाब में, उन्होंने कहा कि देश में तटीय क्षेत्रों में प्रदूषण की स्थिति की निगरानी के लिए कोई समिति गठित नहीं की गई है।

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