संसद में आज: जनजातीय समुदायों के औसत जीवन प्रत्याशा को लेकर अलग से आकड़े नहीं रखता है मंत्रालय

संसद में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक भारत में 2021-22 में हाथियों के हमले में अब तक 532 लोगों की जान जा चुकी है।

By Madhumita Paul, Dayanidhi

On: Monday 18 July 2022
 

लोकसभा में 18 जुलाई 2022 को आदिवासी समुदाय में बढ़ते कुपोषण और उनकी जीवन प्रत्याशा पर पड़ रहे प्रभाव को लेकर एक सवाल पूछा गया, जिसके जवाब में जनजातीय मामलों की राज्य मंत्री रेणुका सिंह सरुता ने बताया कि भारत के महापंजीयक कार्यालय द्वारा सभी भारतीय नागरिकों की औसत जीवन प्रत्याशा के आंकड़े जुटाए जाते हैं। इसमें विशिष्ट जनजातीय समुदायों के अलग से आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त सरकार के कार्यालय ने नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) आधारित संक्षिप्त जीवन तालिका प्रकाशित की थी, जिसके मुताबिक भारत में, जन्म के समय औसत जीवन प्रत्याशा 2014 से 18 में 69.4 वर्ष से बढ़कर 2015 से 19 में 69.7 वर्ष हो गई है। 

जंगली हाथियों का हमला

केरल राज्य से प्राप्त जानकारी के मुताबिक कन्नूर वन प्रभाग के अधिकार क्षेत्र में पिछले तीन वर्षों के दौरान मानव बस्तियों पर जंगली हाथियों के हमले में पांच लोगों की मौत हुई, इस बात की जानकारी आज यानी 18 जुलाई 2022 को केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने लोक सभा में दी।

संसद में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, भारत में 2021 से 2022 में हाथियों के हमले में अब तक 532 लोगों की जान जा चुकी है।

यादव ने बताया कि 29 अप्रैल, 2022 को संचालन समिति की 16वीं बैठक के दौरान मानव हाथी संघर्ष के प्रबंधन के लिए फ्रंटलाइन कर्मचारियों के लिए एक फील्ड मैनुअल जारी किया गया था।

मानव-हाथी मुठभेड़

चौबे ने यह भी बताया कि केंद्र प्रायोजित योजना- प्रोजेक्ट हाथी (सीएसएस-पीई) के तहत उनके मंत्रालय ने कोई ऐसा सायरन सिस्टम प्रयोग नहीं किया है, जो राष्ट्रीय राजमार्ग को पार करने वाले हाथियों के झुंड के आवागमन को स्वचालित रूप से बंद कर दे। हालांकि मानव हाथी मुठभेड़ों को रोकने के लिए सीएसएस-पीई के तहत वैज्ञानिक और तकनीकी इनपुट से जुड़े विभिन्न संरक्षण और प्रबंधन बीच-बचाव के लिए राज्यों का भी समर्थन किया जाता है।

ग्रीन क्लाइमेट फंड

भारत सरकार ने 24 जून 2022 को नई दिल्ली में चल रहे जीसीएफ रेडीनेस प्रोग्राम के तहत 'भारत की जलवायु वित्त पोषण की जरूरतों को समझने और ग्रीन क्लाइमेट फंड (जीसीएफ) पर फोकस के साथ इसकी गतिशीलता' पर एक हितधारक परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया, इस बात की जानकारी आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे, ने लोकसभा में दी।

चौबे ने कहा कि कार्यशाला में पेरिस समझौते के तहत भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान के साथ संरेखित, कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और जलवायु के लचीले विकास मार्ग में बदलाव की सुविधा के लिए बड़े पैमाने पर वित्त जुटाने के तरीकों के बारे में विचार किया गया। कार्यशाला में सुझाव दिया कि सतत मार्ग वित्त और मानव, तकनीकी और संस्थागत क्षमताओं की आवश्यकता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाता है।

देश में वन आवरण

नवीनतम इंडिया स्टेट ऑफ फारेस्ट रिपोर्ट (आईएसएफआर)-2021 के अनुसार, देश का कुल वन क्षेत्र 7,13,78,903 हेक्टेयर है जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 21.71 फीसदी है, यह आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे, ने लोकसभा में बताया।

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी)

एनसीएपी के तहत, देश भर में 2024 तक पार्टिकुलेट मैटर की सांद्रता में 20 से 30 फीसदी की कमी के लक्ष्य को हासिल करने की परिकल्पना की गई है। एनसीएपी को देश के 132 शहरों में लागू किया गया है, इस बात की जानकारी आज इस बात की जानकारी आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे, ने लोकसभा में दी।

चौबे ने कहा कि 2017 की तुलना में वर्ष 2021-22 में राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक के अनुरूप 20 शहरों सहित 95 शहरों में पार्टिकुलेट मैटर10 (पीएम10) की सघनता में समग्र सुधार हुआ है।

कोयला आधारित विद्युत संयंत्रों को मंजूरी

आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे, ने लोकसभा में बताया कि मंत्रालय ने चालू वर्ष सहित पिछले तीन वर्षों के दौरान केंद्रीय स्तर पर कुल 10 कोयला आधारित ताप विद्युत परियोजनाओं को पर्यावरण मंजूरी दी है।

पारिस्थितिक संवेदनशील क्षेत्र

कस्तूरीरंगन पैनल रिपोर्ट के आधार पर पश्चिमी घाट के पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों (ईएसए) को घोषित करने के लिए अंतिम अधिसूचना जारी करने की दृष्टि से, मंत्रालय ने का.आ. 733 (ई) 10.02.2014 को, छह राज्यों, गोवा, गुजरात, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में फैले 56,825 वर्ग किलोमीटर के पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्र है, इस बात की जानकारी आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे, ने लोकसभा में दी। 

चौबे ने कहा कि कस्तूरीरंगन पैनल (उच्च स्तरीय कार्य समूह) की रिपोर्ट की सिफारिश से ईएसए क्षेत्र को कम करने, बदलने के लिए राज्यों की लगातार मांग के साथ, पश्चिमी घाट पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र के लिए अंतिम अधिसूचना अब तक जारी नहीं की जा सकी है।

जंगली जानवरों से फसलों को बचाने के लिए दिशा-निर्देश

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने फसलों के नुकसान सहित मानव वन्यजीव संघर्ष के प्रबंधन पर 3 जून, 2022 को राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसमें वन सीमांत क्षेत्रों में फसलों को बढ़ावा देना शामिल है जो जंगली जानवरों के लिए अनुपयुक्त हैं, कृषि वानिकी मॉडल जिसमें मिर्च, लेमन ग्रास, खस घास आदि जैसी नकदी फसलें शामिल हैं, जो पेड़, झाड़ी प्रजातियों के साथ उपयुक्त रूप से मिश्रित होती हैं, यह आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने लोकसभा में बताया।

प्रदूषण से होने वाली मौतें

आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने लोकसभा में बताया कि वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों और पीड़ितों को दिए गए मुआवजे के संबंध में सरकार द्वारा किए गए सर्वेक्षण से संबंधित जानकारी उपलब्ध नहीं है।

हालांकि, सरकार ने देश भर में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की रणनीति के रूप में 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) शुरू किया है। उन्होंने कहा कि शहर में विशिष्ट स्वच्छ वायु कार्य योजना तैयार की गई है और इसे 132 गैर-प्राप्ति और कई शहरों में लागू किया गया है।

हाथी परियोजना (प्रोजेक्ट एलीफैंट)

केंद्र प्रायोजित योजना-परियोजना हाथी (सीएसएस-पीई) के तहत सरकार ने वर्ष 2020-21 में 4.0 लाख रुपये प्रदान किए हैं। इस बात की जानकारी आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने लोकसभा में दी। उन्होंने कहा वर्ष 2021-22 में हाथियों की आवाजाही पर नजर रखने के हेतु ड्रोन की खरीद के लिए आंध्र प्रदेश राज्य को 3.50 लाख रुपये प्रदान किए हैं।

चौबे ने बताया ओडिशा और तमिलनाडु राज्यों ने सीएसएस-पीई के तहत तकनीकी सहायता के लिए वित्त पोषण सहायता का अनुरोध नहीं किया। इसके अलावा, राज्यों को सीएसएस-पीई के तहत वैज्ञानिक और तकनीकी इनपुट से जुड़े विभिन्न संरक्षण और प्रबंधन हस्तक्षेपों के लिए भी समर्थन दिया जाता है।

ओडिशा के प्रवासी श्रमिक

ओडिशा सरकार से प्राप्त जानकारी के अनुसार, लॉकडाउन अवधि के दौरान ओडिशा लौटने वाले प्रवासी श्रमिकों की संख्या 8, 53,777 थी, यह आज श्रम और रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने लोकसभा में बताया।

पर्यटन स्थलों पर रोजगार का सृजन

पर्यटन मंत्री जी. किशन रेड्डी ने लोकसभा में बताया कि सरकार ने पर्यटन स्थलों पर रोजगार सृजन के लिए बड़े पैमाने पर ध्यान दिया है।

पर्यटन मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में 7 प्रतिष्ठित स्थलों यानी आगरा में ताजमहल, हुमायूं का मकबरा, लाल किला, कुतुब मीनार, बिहार में महाबोधि मंदिर, गोवा में कोलवा बीच और असम में काजीरंगा में गंतव्य आधारित कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया। रेड्डी ने कहा इन पर्यटन स्थलों और इनके पास रहने वाले स्थानीय लोगों को प्रशिक्षित, उन्नत और संवेदनशील बनाने के लिए यह कार्यक्रम किए गए।

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