भारत में 51 फीसदी महिलाएं स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रही हैं: रिपोर्ट

सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक 16.5 प्रतिशत महिलाओं को मासिक धर्म की समस्या है और 1.2 प्रतिशत को बांझपन की समस्या है

By Dayanidhi

On: Friday 31 March 2023
 
फोटो साभार : विकिमीडिया कॉमन्स, डीएफआईडी

एक स्वास्थ्य सेवा संबंधी मंच या हेल्थकेयर प्लेटफॉर्म जिओक्यूआईआई के अनुसार, भारत में 51 प्रतिशत महिलाएं स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं से जूझ रही हैं।

महिला स्वास्थ्य को लेकर किए गए सर्वेक्षण रिपोर्ट "लिव वेल एंड स्टे हेल्दी: लाइफस्टाइल इज ए पावरफुल मेडिसिन," 2022-23 के मुताबिक, भारत में 51 प्रतिशत महिलाएं मासिक धर्म की अनियमितता, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस), हाइपोथायरायडिज्म, यूटीआई और फाइब्रॉएड, मधुमेह और बांझपन जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही हैं।

सर्वेक्षण रिपोर्ट में पाया गया कि 21.7 प्रतिशत महिलाएं इस बात से सहमत हैं कि उनकी बढ़ती उम्र बांझपन के लिए जिम्मेवार है। भारत में, पिछले एक दशक में महिलाओं की प्रसव संबंधी उम्र लगातार बढ़ रही है। यह स्पष्ट रूप से कामकाजी महिलाओं की बढ़ती संख्या, शिक्षा के बढ़ते स्तर, गर्भनिरोधक तक बेहतर पहुंच और बदलते सामाजिक मानदंडों जैसे कारणों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।

जिओक्यूआईआई द्वारा भारत में 3,000 महिलाओं पर किए गए एक साल के लंबे अध्ययन के अनुसार, एंडोमेट्रियोसिस एक नए स्वास्थ्य मुद्दे के रूप में उभरा है, जो प्रजनन आयु की प्रत्येक 10 महिलाओं में से एक को प्रभावित करता है। सर्वेक्षण में पाया गया कि 57.1 प्रतिशत महिलाओं को एक से पांच साल तक एंडोमेट्रियोसिस हुआ है।

क्या होता है एंडोमेट्रियोसिस?

एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें गर्भाशय, या एंडोमेट्रियम की परत के समान कोशिकाएं गर्भाशय के बाहर बढ़ती हैं। एंडोमेट्रियोसिस में अक्सर श्रोणि ऊतक शामिल होते हैं और अंडाशय और फैलोपियन ट्यूब को ढंक सकते हैं। यह आंत और मूत्राशय सहित आस-पास के अंगों को प्रभावित कर सकता है।

अध्ययन से पता चला है कि आनुवंशिक, हार्मोनल और पर्यावरणीय कारक एंडोमेट्रियोसिस की शुरुआत में अहम भूमिका निभा सकते हैं, हालांकि स्थिति का सटीक कारण की अभी भी जानकारी नहीं है।

सर्वेक्षण रिपोर्ट इस और इशारा करता है कि 16.5 प्रतिशत महिलाओं को मासिक धर्म की समस्या है और 1.2 प्रतिशत को बांझपन की समस्या है।

लगभग 41.7 प्रतिशत महिलाओं को पांच साल से अधिक समय से पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) है, इतनी ही संख्या में महिलाओं की पिछले 12 महीनों में जांच की गई है।

रिपोर्ट कहा गया है कि जीवन शैली में सुधार महिलाओं के स्वास्थ्य के विभिन्न मुद्दों को प्रबंधित करने में मदद कर सकता है। रोजमर्रा के जीवन की जरूरत और काम, परिवार और घर की जिम्मेदारियों के कारण, महिलाएं अक्सर अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज करती हैं। रोजमर्रा की जिंदगी में जीवनशैली में बदलाव को शामिल करने पर जोर देती हैं।

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