लोहे से बनेंगे सोलर सेल, 30 फीसदी ज्यादा बिजली मिलेगी

स्वीडन में हुए अध्धयन में पाया गया कि अभी सोलर पैनल में लगे प्रकाश अवशोषित करने वाले अणुओं में से 30 फीसदी ऊर्जा गायब हो जाती है, इसे बचाया जा सकता है 

By Dayanidhi

On: Thursday 14 November 2019
 
Photo: Vikas Choudhary

स्वीडन में स्थित लुंड विश्वविद्यालय की अगुवाई में एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन से पता चलता है कि सोलर पैनल में लगे प्रकाश-अवशोषित करने वाले अणुओं में से 30 प्रतिशत ऊर्जा अज्ञात तरीके से गायब हो जाती है। इस खामी को दूर करने के लिए, शोधकर्ता इस लौह-आधारित सोलर सेल का उपयोग करके अधिक कुशल (एफ्फिसिएंट) बना रहे हैं। यहां उल्लेखनीय है, सोलर  सेल, या फोटोवोल्टिक सेल, एक विद्युत उपकरण है जो प्रकाश की ऊर्जा को सीधे फोटोवोल्टिक प्रभाव से बिजली में परिवर्तित करता है। यह अध्ययन अंगवंदते केमि नामक पत्रिका के अंतर्राष्ट्रीय संस्करण में प्रकाशित हुआ है। 

सूर्य स्वच्छ और अक्षय ऊर्जा का असीमित स्रोत है। हालांकि, आज के सिलिकॉन-आधारित सौर सेल का निर्माण करने के लिए बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है, और कई नए सौर सेल्यूज दुर्लभ या विषाक्त तत्वों से बने होते है। इसे बनाने की लागत भी बहुत अधिक होती है।

इसलिए लुंड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने समाधान के तौर पर लोहे पर आधारित वैकल्पिक सौर सेल विकसित करना शुरू कर दिया है। इस शोध के पहले चरण के रूप में, एक अन्य अंतरराष्ट्रीय शोध दल ने हाल ही में अमेरिका के स्टैनफोर्ड में एक इलेक्ट्रॉन लेजर का प्रयोग किया,  जिसका उद्देश्य यह जांचना था कि, प्रकाश-अवशोषित करने वाले लोहे के अणु इलेक्ट्रॉनों को किस स्थिति में स्थानांतरित करते हैं जहां से कि हम और ऊर्जा को निकाल सकते है।

यह देखा गया कि एक-तिहाई मामलों में, ऊर्जा निकालने के लिए इलेक्ट्रॉन लंबे समय तक एक ही स्थिति में नहीं रहते है। लुंड विश्वविद्यालय में रसायन शास्त्र के शोधकर्ता और अध्ययनकर्ता जेन्स उहलिग कहते हैं कि इसमें देखा गया ऊर्जा अज्ञात तरीके से बहुत तेजी से गायब हो गई थी।

शोधकर्ताओं ने कहा कि, लुंड विश्वविद्यालय के स्टैनफोर्ड या मैक्स आईवी जैसी बड़े पैमाने पर उपलब्ध सुविधाओं का उपयोग सौर सेलों से ऊर्जा की होने वाली हानि को बचाने के तरीकों को खोजने के उद्देश्य से किया जाएगा। जेन्स उहिग कहते हैं कि, यदि हम सभी अणुओं से ऊर्जा निकालने का एक तरीका खोज लेते हैं, तो इन लौह-आधारित सौर सेलों या प्रकाश सक्रिय उत्प्रेरक (लाइट एक्टिवेटिड काटलिस्ट्स) की दक्षता काफी बढ़ जाएगी।

शोध टीम के अनुसार, यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि हम टिकाऊ, मापने योग्य सामग्री से आज के सिलिकॉन-आधारित सौर ऊर्जा के लिए बने समान  के बदले में इनका उपयोग कर सकते हैं।  जेन्स उहलिग ने कहा के वे इस बात से आश्वस्त हैं कि पृथ्वी की सतह में भरपूर मात्रा में पाया जाने वाला संसाधन लोहा है, जिससे इस समस्या का समाधान हो सकता है।

शोधकर्ता ने कहा कि इन नई लौह-आधारित सौर सेलों से जुड़ी हमारी खोज के माध्यम से, आशा करते हैं कि हम जिस वैश्विक ऊर्जा चुनौती का सामना कर रहे हैं, उसे पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण योगदान होगा।

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