कोयला खदान के अंदर नदी की धारा घुसने से पहले श्रमिकों को बाहर निकाल लिया गया, लेकिन फिर भी नुकसान का अंदेशा है
भारी बारिश के चलते छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्थित लीलानदी ने इतवार दोपहर अपना धारा बदल दी और खदान के अंदर घुस गई है। खदान के अंदर के लोगों को पहले ही बाहर निकला जा चुका है, लेकिन खदान के अंदर काफी नुकसान होने का अंदेशा है।
कोरबा जिले में लगातार बारिश होने की वजह से वजह से नदियों में उफान है। इसके चलते रविवार 29 सितंबर को लीलागर नदी ने तो अपना धारा बदल दी और कोयले के खदानों में घुस गई। प्रशासन का कहना है कि समय रहते खदान में काम कर रहे सभी मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया। अब वहां मशीनें और काफी सामान बचा है। उसे भी निकालने का प्रयास किया जा रहा है। इसके बाद से वहां किसी को भी घुसने की इजाजत नहीं दी जा रही है।
बाढ़ के चलते कोरबा का प्रगति नगर बुरी तरह से प्रभावित हुआ है और पानी में डूबा हुआ है। कॉलोनी में आई विपदा को देखने कोरबा कलेक्टर किरण कौशल प्रगति नगर पहुंचे थे और पीड़ित परिवारों से मिले, उनकी बातें और शिकायतें सुनी और राहत के साथ-साथ समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया और जीएम जीएम बालकिशन चंदौरा को आवश्यक दिशा निर्देश दिए।
उधर, बाढ़ के कारण एनटीपिसी को कोयला ले जाने वाला तीन कन्वेयर बेल्ट 15/20 फीट पानी में डूबा हुआ है। दीपका खदान में मूसलाधार बारिश होने के कारण ओबी स्लाइड होने से कन्वेयर बेल्ट सिस्टम वाला सीएचपी बोल्डर पत्थर से पट गया है जिसे दुबारा चालु करने में कम से कम एक सप्ताह से अधिक समय लग सकता है वहीँ खदान को चालू करने में 15 दिन से कम समय नहीं लगेगा।
इस मुद्दे पर किसान नेता और सामाजिक कार्यकर्त्ता, आलोक शुक्ल ने अपने फेसबुक वाल में टिपण्णी की है जो इस प्रकार है-
“ लीलागर नदी ने आज अपना रास्ता बदला और कोरबा जिले में स्थित दीपिका कोयला खदान में भर गया। दरअसल छत्तीसगढ़ में नदियों के नीचे ही खनन बचा हैं अन्यथा केचमेंट या उसके बहाव क्षेत्र को तो खत्म ही कर दिया गया हैं। इस घटना से सबक लेना चाहिए क्योंकि हाल ही में रायगढ़ स्थित गारे पेलमा 2 कोल ब्लॉक जिसके बीच से केलो नदी प्रवाहित होती हैं। अडानी कंपनी का कहना हैं कि तट बंध बनाकर नदी और खनन दोनो को बचा लिया जाएगा जो संभव नही है । यदि खनन परियोजना शुरू हुई तो केलो नदी का अस्तित्व बचने वाला नही हैं। “
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