बंगाल की खाड़ी के ऊपर बन सकता है इस मौसम का पहला संभावित चक्रवात 'जवाद'
गरम होती दुनिया में विभिन्न आंकड़ों के आधार पर किए जाने वाले पूर्वानुमानों के बीच असंतुलन को दर्शाती है
On: Friday 26 November 2021
मौसम की वेबसाइट विंडीडॉटकॉम के मुताबिक, अंडमान सागर के ऊपर बनने वाला कम दबाव का क्षेत्र अगले कुछ दिनों में मौजूदा सीजन के पहले चक्रवात में तब्दील हो सकता है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने भी 29 नवंबर, 2021 को कम दबाव का क्षेत्र बनने का संकेत दिया है। उसने बताया कि इसके ज्यादा स्पष्ट और पश्चिम-उत्तर-पश्चिम दिशा में आगे बढ़ने की संभावना है, हालांकि विभाग ने इसके आगे और तेज होने के बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी।
चेक गणराज्य स्थित विंडीडॉटकॉम, अमेरिकी मॉडल की वैश्विक पूर्वानुमान प्रणाली यानी जीएफएस से, यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्ट मॉडल से और जर्मनी की मौसम सेवा के इकोसहेड्रल नॉनहाइड्रोस्टेटिक मॉडल से कच्चे आंकड़ों का विश्लेषण करती है।
यह वेबसाइट तापमान, हवा की गति, हवा की दिशा, वर्षा और बादल ढकने जैसे बुनियादी मानकों से लेकर आग के जोखिम, वायु प्रदूषण और ओस बिंदु जैसे सहायक मापदंडों के आधार पर वैश्विक मौसम की स्थिति का अति-सूक्ष्म पूर्वानुमान लगाती है और उसका आकलन करती है।
हालंाकि ग्लोबल वार्मिंग के चलते आए बदलावों से भरी दुनिया में विभिन्न आंकड़ों के आधार पर किए गए पूर्वानुमान कभी -कभी एक दूसरे से मेल नहीं खाते।
हालंाकि ग्लोबल वार्मिंग के चलते आए बदलावों से भरी दुनिया में विभिन्न आंकड़ों के आधार पर किए गए पूर्वानुमान कभी -कभी एक दूसरे से मेल नहीं खाते।
उदाहरण के लिए चक्रवात बनने के मौजूदा मामले को लें। जीएफएस का 25 नवंबर का आंकड़ा दर्शाता है कि यह चक्रवात सामान्य तौर पर उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर आगे बढ़ सकता है लेकिन तीन दिसंबर के आसपास मध्य बंगाल की खाड़ी से पूर्व की ओर मुड़ सकता है। यह आगे दिखाता है कि चार दिसंबर को चक्रवात ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तटों के करीब पहुंच सकता है। वहीं, 26 नवंबर की सुबह जीएफएस के आंकड़ों ने दर्शाया कि चक्रवात पांच दिसंबर को ओडिशा और आंध्र प्रदेश के तटों के करीब जा सकता है।
वहीं, दूसरी ओर यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्ट के आंकड़ों ने 25 नवंबर को दर्शाया कि कम दबाव की प्रणाली तीन दिसंबर को मध्य बंगाल की खाड़ी में पूर्व की ओर और अधिक मुड़ सकती है और फिर चार दिसंबर को सीधे पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के तटों की ओर बढ़ सकती है।
यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्ट के आंकड़ें और जीएफएस के 26 नवंबर की सुबह के आंकड़े इस पर एकमत हैं कि चक्रवात पांच दिसंबर को ओडिशा और आंध्र प्रदेश के तटों के करीब पहुंच सकता है।
इस संभावित चक्रवात को ‘जवाद’ नाम दिया गया है।
अनिश्चितता के कारण इस सारी जानकारी को सावधानी से लेने की जरूरत है। कई मॉडलों ने कुछ महीने पहले भी इस चक्रवात के बनने की भविष्यवाणी की थी और मीडिया में ऐसी खबरें भी आई थीं लेकिन इस मौसम में यह भारतीय तटों से बचकर निकल गया था।
अगर यह चक्रवात नहीं आया तो पिछले तीन दशकों में ऐसा पहली बार होगा, जब चक्रवातों के लिए सबसे मुफीद माने जाने वाले अक्टूबर और नवंबर के महीने में चक्रवात नहीं आएगा।
विशेषज्ञों ने प्रमाण दिया है कि इसके पीछे मुख्य कारण इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून की देर से वापसी और पूर्वोत्तर मानसून का असंगत निर्माण हो सकता है। उनके मुताबिक, देश भर में समुद्र की सतह के ऊपर हवाओं के इस व्यवधान ने चक्रवात के गठन के लिए अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण नहीं किया होगा। सितंबर के बाद से कई कम दबाव वाले क्षेत्रों के निर्माण, जिसने कई दक्षिण भारतीय राज्यों में अत्यधिक वर्षा और बाढ़ के रूप में दरार पैदा की, उसने भी समुद्री सतह के ऊपर ऊर्जा को छितरा दिया होगा, जिससे चक्रवात के बनने के आसार सीमित हो गए होंगे।