अधिक विनाशकारी हो सकते हैं उष्णकटिबंधीय चक्रवात: अध्ययन

नए अध्ययन बताता है कि हिंद और प्रशांत महासागरों में श्रेणी 3 या उससे अधिक के विनाशकारी उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों में तेजी आएगी

By Dayanidhi

On: Thursday 17 December 2020
 

उष्णकटिबंधीय चक्रवात, टाइफून और तूफान सहित पृथ्वी पर सबसे घातक और विनाशकारी मौसम संबंधी आपदाएं हैं। इन चरम मौसम की घटनाओं की विनाशकारी शक्ति से हर साल लाखों लोग प्रभावित होते हैं। विशेष रूप से तटीय क्षेत्रों में उष्णकटिबंधीय चक्रवात ग्लोबल वार्मिंग के कारण किस तरह बदलेंगे, यह लंबे समय से एक रहस्य बना हुआ है।

इस गुत्थी को सुलझाने के लिए वैज्ञानिक दो दशक से भी अधिक समय से दुनिया के सबसे बड़े सुपर कंप्यूटर का उपयोग जलवायु मॉडल सिमुलेशन चलाने के लिए कर रहे हैं। जो इन विनाशकारी तूफानों के महत्वपूर्ण पहलुओं को दिखाते हैं। हालांकि हाल ही में जब कंप्यूटिंग शक्ति दोनों वायुमंडलीय विवरणों से जानकारी लेने और वैश्विक स्तर पर महासागर पर पड़ने वाले प्रभाव को हल करने में असफल रही है।

नए उच्च-रिज़ॉल्यूशन सुपरकंप्यूटर सिमुलेशन पर आधारित इस नए अध्ययन से पता चलता है कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से, हिंद और प्रशांत महासागरों में श्रेणी 3 या उससे अधिक के उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में तेजी आएगी।

दक्षिण कोरिया के पुसान नेशनल यूनिवर्सिटी आईबीएस के सेंटर फॉर क्लाइमेट फिजिक्स (आईसीसीपी) के शोधकर्ताओं की एक टीम ने हाल ही में गहन-कंप्यूटिंग और विस्तृत ग्लोबल वार्मिंग सिमुलेशन में से एक को पूरा किया है।

वैश्विक जलवायु मॉडल क्रमशः 25 किमी और 10 किमी के क्षितिज पैमाने के साथ छोटे पैमाने पर वायुमंडलीय और महासागरीय प्रक्रियाओं को रिकॉर्ड करता है। यह उष्णकटिबंधीय चक्रवातों और महासागरीय ठंडी लहरों को सिम्युलेट करने के लिए पर्याप्त है, जो तब उत्पन्न होते हैं जब एक मजबूत धीरे-धीरे बढ़ने वाले उष्णकटिबंधीय चक्रवात समुद्र की गहराई से सतह पर ठंडा पानी लाता है, जो उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के ट्रैक और तीव्रता को प्रभावित करता है।  

ग्लोबल वार्मिंग के लिए उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की संवेदनशीलता का निर्धारण करने के लिए, शोध दल ने वर्तमान वायुमंडलीय ग्रीनहाउस गैस संरचना के लिए कंप्यूटर मॉडल सिमुलेशन चलाए। सीओ2 सांद्रता को पहले दोगुना और फिर चौगुना किया गया। दक्षिण कोरिया के सबसे तेज़ शैक्षणिक सुपर कंप्यूटर में से एक पर सिमुलेशन लगभग 13 महीने तक चला। यह अध्ययन साइंस एडवांस नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

आईसीसीपी के प्रमुख अध्ययनकर्ता डॉ. जंग-यूं चू ने कहा कि यह जलवायु कंप्यूटर मॉडल अन्य पहलुओं में भी अनूठा है। उदाहरण के लिए, यह पिछले मॉडल की तुलना में महासागर में बहुत कम तापमान वाली गलतियों को भी दिखा देता है। यह सुधार हिंद और प्रशांत महासागर में टाइफून के वास्तविक सिमुलेशन के लिए महत्वपूर्ण था।

गर्म उष्णकटिबंधीय महासागरों में, हवा ऊपर उठती है, ऊंचाई पर ध्रुवों की ओर बहती है और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में नीचे बैठती है।

नए अध्ययन के अनुसार, जमीन के सापेक्ष 5-15 किमी की ऊंचाई पर बढ़ा हुआ वायुमंडलीय तापमान के  कारण भविष्य में गर्मियों में हेडली प्रवाह के कमजोर होने की उम्मीद है। डॉ ली कहते हैं कि दिलचस्प रूप से भविष्य के उष्णकटिबंधीय चक्रवात में आने वाले बदलावों का पैटर्न हाल ही में देखे गए रुझानों के समान है। जो इस धारणा का समर्थन करता है कि ग्लोबल वार्मिंग दुनिया भर में पहले से ही मौसम को बदल रहा है।

ग्लोबल वार्मिंग उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को कैसे बदलेगा इसे जानना अधिक जटिल है। हालांकि सीओ 2 के दोगुना होने से भविष्य में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की कुल संख्या में कमी आने की उम्मीद है, इस तरह की घटनाओं में वातावरण में उच्च आर्द्रता और ऊर्जा के स्तर के कारण चक्रवातों के श्रेणी 3 से भी खतरनाक और तीव्र होने की अधिक आशंका होगी।

अध्ययनकर्ता प्रो. एक्सल टिमरमैन वैश्विक मॉडल में पहले से कहीं अधिक सटीक रूप से तटीय प्रक्रियाओं के बारे में पता लगाया है, अब हमें इन मजबूत मॉडल से लगाए गए अनुमानों में बहुत अधिक विश्वास है, विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को लैंड करने से संबंधित।

डॉ. चू कहते हैं यहां तक कि उच्च ग्रीनहाउस गैस सांद्रता (सीओ2) के लिए, शोध दल ने एक महत्वपूर्ण, पहले जिसके बारे में जानकारी नहीं थी, संतृप्ति (सैचरैशन) प्रभाव की खोज की। लगभग 5 डिग्री ग्लोबल वार्मिंग से अधिक, उष्णकटिबंधीय चक्रवात के बीच का दबाव इतना मजबूत है कि यह लैंडफिल की घटनाओं की संख्या या श्रेणी 3,  या उससे अधिक हो जाएगी। फिर भी प्रत्येक घटना से जुड़ी बारिश अत्यधिक तटीय बाढ़ के खतरे को बढ़ाती रहेगी।

अध्ययनकर्ताओं ने कहा यह अध्ययन उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के प्रभाव से प्रभावित देशों के लिए महत्वपूर्ण नीति-प्रासंगिक जानकारी  प्रदान करता है।

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