विनाशकारी चक्रवातों की संख्या हो सकती है दोगुनी, वैज्ञानिकों ने बताया कारण

शोध में पाया गया है कि आने वाले समय में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के टकराने की औसत तीव्रता में 2 मीटर प्रति सेकंड यानी की 6 फीसदी की वृद्धि होने के आसार हैं।

By Dayanidhi

On: Wednesday 01 December 2021
 

शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि कैसे 1979 के बाद और 2016 के बीच एशिया के पूर्वी और दक्षिण पूर्वी क्षेत्रों में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की विनाशकारी शक्ति में बदलाव आया है। उन्होंने पाया कि, पिछले चार दशकों के दौरान इन क्षेत्रों में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। भविष्य के अनुमानों से पता चला है कि 21वीं सदी के अंत तक, पश्चिमी उत्तर प्रशांत (डब्ल्यूएनपी) में उष्णकटिबंधीय चक्रवात के आंतरिक इलाकों में विनाशकारी शक्ति दोगुनी हो सकती है।

उष्णकटिबंधीय चक्रवात सबसे खतरनाक प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं में से एक हैं। इनमें भारी वर्षा, तेज हवाएं और तूफानी लहरें जैसे कई खतरे होते हैं। जो संपत्ति को नुकसान पहुंचा सकते हैं और जान माल को खतरे में डाल सकते हैं। पिछले 50 वर्षों में, उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के कारण लगभग 780,000 लोगों की मृत्यु हुई है और लगभग 1,408 अरब अमेरिकी डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ है।

हांगकांग के चीनी विश्वविद्यालय में डॉ ची-यंग टैम ने बताया कि जून 2021 में चीन के झेंग्झौ में अत्यधिक बारिश हुई, जो कि 1 घंटे में 150 मिमी से अधिक दर्ज की गई। यह अति वर्षा टाइफून इन-एफए और टाइफून सेम्पाका के कारण हुई, जिसने चीन के हेनान प्रांत में बहुत अधिक मात्रा में जल वाष्प पहुंचाया था। सितंबर 2021 में इडा तूफान के अवशेषों के कारण न्यूयॉर्क में मूसलाधार बारिश हुई। दोनों आपदाओं से भारी जान माल का नुकसान हुआ।

शोध में पाया गया कि पिछले दशकों में विशेष रूप से पूर्वी और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में खतरनाक उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में वृद्धि देखी गई है। जलवायु मॉडल ने सुझाव दिया है कि जलवायु संकट उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को प्रभावित कर सकता है। अन्य शोधों से यह भी पता चला है कि महासागरों के गर्म होने से उनकी ताकत बढ़ सकती है। यदि किसी चक्रवात के टकराने या लैंडफॉल के समय की तीव्रता और अधिक बढ़ जाती है, तो यह आंतरिक दूरी को बढ़ा देता है और इसकी विनाशकारी शक्ति को भी बढ़ा देता है। 

लेकिन चक्रवातों पर जलवायु संकट के सटीक प्रभावों पर शोध अभी भी बहुत कम हुए है। इस बारे में भी बहुत कम जानकारी है कि भविष्य में और अधिक तीव्र उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का भूमि पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

खतरनाक होते उष्णकटिबंधीय चक्रवात

टैम और उनके सहयोगी ने बताया की वे पूर्वी और दक्षिणपूर्वी एशियाई के आंतरिक इलाकों पर पश्चिमी उत्तर प्रशांत (डब्ल्यूएनपी) उष्णकटिबंधीय चक्रवात के प्रभावों का अध्ययन करना चाहते थे। ऐसा करने के लिए, उन्होंने सबसे पहले पिछले चार दशकों (1979 से 2016 के बीच) के ऐतिहासिक उष्णकटिबंधीय चक्रवात के आंकड़ों का विश्लेषण किया। इसके बाद उन्होंने प्रतिनिधि एकाग्रता पथ 8.5 के तहत इन क्षेत्रों पर चक्रवात से संबंधित प्रभावों के भविष्य में  होने वाले बदलावों का अनुमान लगाया। 

उन्होंने पाया कि, 1979 के बाद से, पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशियाई के आंतरिक इलाकों पर पश्चिमी उत्तर प्रशांत (डब्ल्यूएनपी) उष्णकटिबंधीय चक्रवात के प्रभावों में नाटकीय वृद्धि हुई है। उन्होंने खतरनाक तरीके से टकराने या लैंडफॉल वाले चक्रवातों को देखा जो लंबे समय तक चलते हैं और आंतरिक इलाकों में प्रवेश करते हैं। यह शोध फ्रंटियर्स इन अर्थ साइंस में प्रकाशित हुआ है

कुल मिलाकर खतरनाक तरीके से टकराने या लैंडफॉल वाले चक्रवात दो से नौ घंटे लंबे समय तक चलते हैं और 30 किमी से 190 किमी आगे आंतरिक इलाकों में (औसतन 100 किमी) आगे बढ़ गए हैं। उष्णकटिबंधीय चक्रवात के आंतरिक इलाकों में पड़ने वाले प्रभावों की सबसे अधिक वृद्धि वियतनाम में हनोई और दक्षिण चीन क्षेत्र में हुई।

शोधकर्ताओं का अनुमान है कि 21वीं सदी 2075 से 2099 के अंत तक वर्तमान अवधि 1979 से 2003 के बीच की तुलना में, उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की औसत लैंडफॉल की तीव्रता में दो मीटर प्रति सेकंड यानी की 6 फीसदी की वृद्धि होगी। जबकि वे 4 से 9 घंटे में 56 फीसदी तक बने रहेंगे और 92,4 किमी आगे आंतरिक इलाकों में 50 फीसदी तक पहुंच जाएंगे। इन परिणामों से पता चलता है कि उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के एशियाई आंतरिक इलाकों में विनाशकारी शक्ति लगभग दोगुनी हो जाएगी।

जलवायु संकट संभावित रूप से उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले जलवायु मॉडल अनुमानों के आधार पर लैंडफॉलिंग टाइफून और आंतरिक क्षेत्रों पर उनके प्रभावों की बढ़ती प्रवृत्ति को जारी रखेगा। टैम ने कहा जलवायु संकट के चलते भविष्य में एशियाई आंतरिक क्षेत्रों में अधिक गंभीर तूफान से संबंधित आपदाएं आने की आशंका है।

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