सूखे के कारण पानी की कीमत चुकाने में असमर्थ होते जा रहे हैं गरीब परिवार: अध्ययन

पानी को आम तौर पर तब तक सस्ता माना जाता है जब तक कि यह घर की आय के 2 से 4 फीसदी के बीच से अधिक न हो  

By Dayanidhi

On: Wednesday 25 January 2023
 
फोटो साभार : सीएसई

सुरक्षित, किफायती पानी तक पहुंच मानव स्वास्थ्य और कल्याण के लिए आवश्यक है। लेकिन जब सूखा उन क्षेत्रों पर पड़ता है जो पहले से ही पानी की कमी से जूझ रहे हैं, तो पानी की आपूर्ति करने वालों को पानी के उपयोग को कम करने या अधिक महंगे स्रोतों से आपूर्ति करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। जिससे उपभोक्ताओं को पानी की अधिक कीमत चुकानी पड़ती है

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में फ्लेचर लैब के एक हालिया अध्ययन के अनुसार, ये उपाय कम आय वाले परिवारों के लिए पानी के बिल को असमान रूप से प्रभावित कर सकते हैं, जिससे सबसे कमजोर तबके के लोगों के लिए पानी तक पहुंच बहुत अधिक महंगी हो जाती है।

उत्तरी कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर बेंजामिन रचुनोक ने कहा, एक कम आय वाले परिवार में अक्सर कटौती के उपायों और अतिरिक्त अदायगी के लिए एक अलग प्रतिक्रिया होती है, क्योंकि वे सूखे से पहले कितना पानी इस्तेमाल कर रहे थे यह अहम होता है। इससे कम और अधिक आय वाले लोगों के लिए वहन करने की क्षमता अलग-अलग हो सकती हैं, भले ही सभी के लिए समान प्रक्रियाएं और नीतियां ही लागू क्यों न की जा रही हों। 

शोधकर्ताओं ने पाया कि कुछ मामलों में, कम आय वाले परिवारों को सूखे के दौरान बिलों में वृद्धि देखने को मिलती है, जबकि उच्च आय वाले परिवारों को अपने बिलों में गिरावट दिखाई देती है। उनका काम परस्पर जुड़े तंत्रों को उजागर करता है जो सामर्थ्य को प्रभावित करता है और जल योजनाकारों और नीति निर्माताओं को लंबे समय की अवधि और छोटी अवधि में सूखे की प्रतिक्रियाओं के संभावित प्रभावों को बेहतर ढंग से समझने में मदद करने में सक्षम हो सकता है।

सूखे की प्रतिक्रिया के लिए मॉडलिंग

कैलिफोर्निया में 2011 से 2017 के सूखे के सार्वजनिक आंकड़ों के आधार पर, शोधकर्ताओं ने यह जांचने के लिए एक मॉडल बनाया कि सूखे की लंबी अवधि और गंभीरता के विभिन्न संयोजन, विभिन्न लचीलापन रणनीतियों और घरेलू पानी के लिए वहन करने की क्षमता को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।

स्टैनफोर्ड इंजीनियरिंग और स्टैनफोर्ड डोएर स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी में सिविल और पर्यावरण इंजीनियरिंग के प्रोफेसर सारा फ्लेचर ने कहा, पानी की कमी और वहन करने की क्षमता के बीच संबंध के बारे में सोचने का मानक तरीका पानी की आपूर्ति की लागत को देखना है और कैसे उस लागत को उपयोगकर्ताओं को दर डिजाइन के माध्यम से पारित किया जाता है।

लेकिन पानी के वहन करने की क्षमता पर सूखे के प्रभावों को पूरी तरह से समझने के लिए, हमें लोगों की व्यवहारिक प्रतिक्रियाओं को शामिल करना होगा कि सूखा पानी की कमी को प्रभावित करने और इसकी वजह से जो प्रतिबंध लगाए गए हैं उनको उजागर किया है।

जब पानी की कमी होती है, तो पानी की आपूर्तिकर्ता अक्सर उपभोक्ताओं से पानी के उपयोग में कटौती करने के लिए कहते हैं, जबकि राजस्व की कमी के लिए बिलों पर सूखा की अतिरिक्त अदायगी लागू करते हैं। फ्लेचर और राचुनोक ने पाया कि उच्च आय वाले परिवार अतिरिक्त अदायगी के साथ भी अपने औसत पानी के बिल को कम करके महत्वपूर्ण रूप से कटौती कर सकते हैं। हालांकि, कम आय वाले परिवारों में पानी के उपयोग में कम लचीलापन होता है। यहां तक ​​कि जब वे अपने पानी के उपयोग को कम करने में सक्षम होते हैं।

जल उपयोगिताएं अपनी जल आपूर्ति बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचे में भी निवेश कर सकती हैं, जैसे खारेपन को कम करना या जल-पुनर्चक्रण संयंत्र का उपयोग आदि। मॉडल ने दिखाया कि सभी सूखे परिदृश्यों में, ये परियोजनाएं लागत में वृद्धि करती हैं और कम आय वाले परिवारों के वहन करने की क्षमता को कम करती हैं।

फ्लेचर ने कहा, सस्ते पानी तक पहुंच एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अगर हम पानी की सुरक्षा के बारे में सोचते हैं, जिसमें कम आय वाली आबादी के लिए वहन करने की क्षमता इसमें शामिल है, तो कुछ महंगे तकनीकी उपाय जिन्हें हम अक्सर मानते हैं, वास्तव में बड़ी संख्या में लोगों के लिए पानी को वहन न कर पाने की क्षमता बनाकर जल सुरक्षा को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

एक किफायती भविष्य

पानी को आम तौर पर तब तक सस्ता माना जाता है जब तक कि यह घर की आय के 2 से 4 फीसदी के बीच से अधिक नहीं होती है। जबकि पानी की आपूर्ति की लागत पानी के बिल के शुरुआती कारण है, सूखे के दौरान बिल में मामूली वृद्धि भी कुछ घरों के लिए पानी की जरूरत को वहन करना मुश्किल बना सकती है।

वहन करने की क्षमता को प्रभावित करने वाले तंत्रों की जानकारी प्रदान करके, फ्लेचर और रचुनोक को उम्मीद है कि शहरों को लंबे समय तक जल आपूर्ति योजना के लिए विभिन्न दृष्टिकोणों का मूल्यांकन करने में मदद मिलेगी। वे इस बात की जांच करना जारी रखे हुए हैं कि कैसे दर संरचनाएं और अन्य सूखा प्रबंधन तकनीकें लोगों के व्यवहार को प्रभावित करती हैं और नियामकों को अनिश्चित भविष्य के लिए सबसे अच्छे निर्णय लेने में मदद करने के लिए दृष्टिकोण विकसित करने का काम करती है।

फ्लेचर ने कहा हमारी बदलती जलवायु और बदलती पानी की जरूरतें हैं। हमें ऐसे दृष्टिकोण विकसित करने होंगे जो हमें मजबूत तरीकों से अनुकूलित करने की अनुमति दें ताकि हमारे पास अभी भी ऐसी जल प्रणालियां हो जो विश्वसनीय, लागत प्रभावी हों और हमें आवश्यक सभी सेवाएं प्रदान करें। हमें वास्तव में कमजोर समुदायों की जरूरतों को केन्द्रित करना चाहिए क्योंकि हम वह अनुकूलन करते हैं। यह अध्ययन नेचर वाटर नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

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