दुनिया भर में चुनौती देती बाढ़ और सूखे की घटनाओं से कैसे निपटे, शोधकर्ताओं ने दिए सुझाव

शोधकर्ताओं ने दुनिया भर में शोध के पश्चात सुझाव दिए गए हैं कि दुनिया को सूखे और बाढ़ से बेहतर ढंग से बचाने के लिए बड़े पैमाने पर करवाई करने की आवश्यकता है

By Dayanidhi

On: Friday 05 August 2022
 

दुनिया भर में होने वाली कुछ सबसे विनाशकारी प्राकृतिक घटनाओं में बाढ़, सूखा और अन्य पानी से संबंधित आपदाएं शामिल हैं। हालांकि दुनिया भर में विज्ञान और बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण प्रगति के साथ, इस तरह की चरम आपदाओं के पूर्वानुमान लगाने और इनका प्रबंधन किया जाता है। बावजूद इसके इन घटनाओं के कारण कई समुदायों को अभी भी बड़े सामाजिक और आर्थिक प्रभावों का सामना करना पड़ता है।

एक नए शोध में सास्काचेवान विश्वविद्यालय (यूएसएस्क) और अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की एक टीम ने इन घटनाओं से संबंधित विज्ञान और नीति के अंतर को पाटने के लिए दुनिया भर में जांच कर अपने निष्कर्ष सामने रखे हैं। निष्कर्षों में कहा गया है कि सूखे और बाढ़ से दुनिया की बेहतर सुरक्षा के लिए बड़े पैमाने पर करवाई करने की आवश्यकता है।

डॉ. समन रजाव ने कहा कि हमारे बाढ़ और सूखे के खतरों का प्रबंध करने का काम, अभी भी अतीत में जो हुआ भविष्य में भी उसी तरह की घटना होगी इस धारणा पर आधारित है। डॉ. रजाव यूएसएस्क स्कूल ऑफ एनवायरनमेंट एंड सस्टेनेबिलिटी, ग्लोबल इंस्टीट्यूट फॉर द ग्लोबल इंस्टीट्यूट में प्रोफेसर हैं। 

उन्होंने कहा हम पहले से ही जानते हैं कि यह धारणा दो कारणों से बाढ़ और सूखे के संदर्भ में मान्य नहीं है। सबसे पहले, जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप, हम अधिक चरम घटनाओं का सामना कर रहे हैं जो पहले नहीं देखी गईं, जैसे कि अधिक खतरनाक तूफान, हीट वेव, या शुष्क अवधि। दूसरा, महत्वपूर्ण जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण, बाढ़ के मैदानों या भूजल की निकासी के कारण, अधिक लोग और संपत्ति बाढ़ या सूखे की जद में आ रही है।

दुनिया भर से 45 केस स्टडी का उपयोग यह मूल्यांकन करने के लिए किया गया था कि वर्तमान जोखिम प्रबंधन रणनीति कब, कहां और कैसे विफल हो सकती है, जहां संभावित सुधार किए जा सकते हैं। शोध टीम ने समय के आधार पर एक ही क्षेत्र में हुई बाढ़ और सूखे का आकलन किया ताकि यह विश्लेषण किया जा सके कि पहली घटना ने कैसे प्रभावित किया तथा दूसरी घटना को किस तरह से प्रबंधित किया जा सकता है ताकि प्रभाव कम से कम पड़े।

अध्ययन में पाया गया कि जब एक ही क्षेत्र में अलग-अलग समय पर दो बाढ़ या सूखे की घटनाएं होती हैं, तो दूसरी घटना आमतौर पर पहले की तुलना में अधिक खतरनाक और विनाशकारी होती है, जबकि पहली घटना के बाद बुनियादी ढांचे और नीतिगत बदलाव करने के बाद भी ऐसा देखा गया है।

डॉ. रजाव ने कहा यह विपरीत निष्कर्ष मुख्य रूप से एक ऐसा मामला है जब दूसरी घटना पहले की तुलना में अधिक खतरनाक या विनाशकारी होती है। यह दुनिया की एक वास्तविकता है विशेष रूप में ग्लोबल वार्मिंग और बदलती जलवायु के तहत ऐसी घटनाएं अधिक हो रही हैं।

केस स्टडी की समीक्षा करने के बाद, टीम ने बार्सिलोना, स्पेन और जर्मनी और ऑस्ट्रिया में डेन्यूब कैचमेंट में शोधकर्ताओं के कार्यों से दूसरी घटना के प्रभावों को कम करने के लिए कुछ सफल रणनीतियां सामने रखीं। इन क्षेत्रों ने खतरे के प्रबंधन में महत्वपूर्ण बदलावों को लागू किया, जिसने दूसरी पानी से संबंधित होने वाली घटना के प्रभाव को कम किया, जैसे शासन और सहयोग में सुधार, प्रारंभिक चेतावनी और आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली का उपयोग करना और संरचनात्मक और गैर-संरचनात्मक सुरक्षा उपायों में महत्वपूर्ण निवेश करना आदि।

सह-अध्ययनकर्ता और प्रोजेक्ट मैनेजर बाल्खी ने कहा हम उम्मीद कर रहे हैं कि यह शोध विश्व स्तर पर आपदा जोखिम प्रबंधन और शासन प्रणालियों की आवश्यकता को सामने रखेगा, उन्हें कैसे स्थापित किया जाता है, इसके बजाय उन्हें प्रतिक्रियाशील होने के लिए अधिक सक्रिय होना चाहिए।

डॉ. रजावी ने कहा इस अध्ययन ने प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में कुछ जानकारी प्रदान की, जिनकी हमें जांच करने की आवश्यकता है और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में हम एक दूसरे से जो सीख सकते हैं, उसके आधार पर अधिक नए तरीके अपनाए जा सकते हैं। यह शोध नेचर नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

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