बांधों से छोड़ा गया पानी बन रहा है बाढ़ का बड़ा कारण

जल संसाधन संबंधी संसद की स्थायी समिति ने कहा है कि जलाशयों में जमा होने वाले पानी की देखरेख दुरुस्त की जाए

By Raju Sajwan

On: Monday 09 August 2021
 
पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री भारतीय सेना के जवान। फोटो : twitter/@adgpi

बाढ़ को काबू में करने के लिए बनाए गए बांध ही बाढ़ का कारण बन रहे हैं। बारिश अधिक होने के कारण बांधों से अचानक ज्यादा पानी छोड़ने के कारण बाढ़ के हालात बन गए हैं। पिछले दिनों पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बंगाल में बाढ़ के लिए दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) द्वारा ज्यादा पानी छोड़ने को जिम्मेवार बताया था। इतना ही नहीं, 6 अगस्त 2021 को संसद की जल संसाधन संबंधित स्थायी समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बांधों (जलाशयों) का संचालन सही ढ़ंग से न होने के कारण भी बाढ़ आती है।

स्थायी समिति ने बाढ़ के लिए हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स को भी दोषी माना है। अपनी रिपोर्ट में अरुणाचल प्रदेश का उदाहरण देते हुए स्थायी समिति ने कहा है कि अरुणाचल प्रदेश में स्थित जलविद्युत परियोजनाओं के कारण बाढ़ की समस्या बढ़ रही है, क्योंकि इन बांधों से ऊपर की ओर छोड़े गए किसी भी अतिरिक्त पानी से ब्रह्मपुत्र घाटी में भारी बाढ़ आ जाती है। चूंकि ये परियोजनाएं केवल बिजली उत्पादन के लिए हैं, इसलिए उनके पास जल भंडारण या बाढ़ प्रबंधन के लिए बुनियादी ढांचा नहीं है। इसके अलावा बिजली मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय के बीच समन्वय की स्पष्ट कमी है। साथ ही, अरुणाचल प्रदेश के पास बाढ़ से निपटने की कोई योजना नहीं है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि बांध या जलाशयों का निर्माण केवल बाढ़ नियंत्रण के लिए नहीं किया जाता, बल्कि प्रमुखतया पानी के भंडारण के लिए किया जाता है, जिसका इस्तेमाल सिंचाई या बिजली बनाने के लिए किया जाता है। ऐसे समय में जब भारी बारिश के कारण नदियों का जलस्तर बढ़ जाता है तो बाढ़ का संचालन करने वाली एजेंसियों जलाशयों को एक स्तर तक भरने देती है, लेकिन एक समय ऐसा आता है, जब जलस्तर इतना अधिक बढ़ जाता है कि जलाशयों के गेट खोल दिए जाते हैं, जिसके चलते नदियों के आसपास के इलाकों में बाढ़ आ जाती है।

जल संसाधन मंत्रालय के अधिकारियों ने स्थायी समिति को बताया कि बांधों-जलाशयों के ऑपरेशन एंड मेंटनेंस के लिए केंद्रीय जल आयोग की ओर से एक गाइडलाइंस बनाई गई है। इसकी जिम्मेवारी बांध का संचालन करने वाली एजेंसी की होती है। लेकिन केंद्र सरकार ने 2019 में बांध सुरक्षा बिल तैयार किया है, जिसमें जलाशयों के ऑपरेशन में समन्वय को लेकर खास प्रावधान किए गए हैं, लेकिन अभी यह बिल पास नहीं हो पाया है।

आईआईटी, कानपुर के नॉलेज नेटवर्क सेंटर ऑन फ्लड्स एंड वाटरलॉगिंग के बिकास रायमहाशय एवं राजीव सिन्हा द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्राकृतिक कारणों से तो बाढ़ आती ही है, लेकिन मानव सृजित कारणों से भी बाढ़ आती है। जैसे, बांध या तटबंध का टूट जाना या भारी बारिश के कारण बांध या बराज को बचाने के लिए जलाशय से पानी छोड़े जाने के कारण बाढ़ जाती है, जिसके लिए पूरी तरह से इंसान जिम्मेवार हैं।

रिपोर्ट में 2009 में आंध्रप्रदेश में आई बाढ़ का उदाहरण देते हुए बताया गया कि भारी बारिश के कारण कर्नाटक में कृष्णा नदी पर बने अलमाटी व नारायणपुर बांध से पानी छोड़ा गया। बांध से छोड़ा गया पानी बारिश के पानी के साथ श्रीसलम बांध के निकट आंध्रप्रदेश पहुंच गया। दरअसल रायलसीमा इलाके में सिंचाई परियोजनाओं की मांग को पूरा करने के लिए श्री सलम जलाशय की ऊंचाई को बढ़ाया जाता रहा, लेकिन पीछे से जो पानी का बहाव आया, उससे कुरनोल शहर और आसपास के इलाके डूब गए। बाद में जब जलस्तर को सुरक्षित सीमा तक लाने के लिए जलाशय से पानी छोड़ा गया तो कृष्णा नदी के बहार से गुंटूर से विजयवाड़ा तक बने बांध टूट गए। 

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