देश में रोजाना लापरवाही से बर्बाद हो जाता है 49 अरब लीटर पानी

पानी की बर्बादी को रोकने के लिए कड़े दंड के प्रवाधन की मांग की गई है। देश में 16 करोड़ लोगों को स्वच्छ जल नहीं मुहैया हो रहा है।

By Vivek Mishra

On: Monday 29 July 2019
 
photo : Rustam Vania

भारत में 33 फीसदी लोग नहाने और ब्रश करने के दौरान बिना काम के भी नल को खुला रखते हैं, जिससे साफ पानी बर्बाद हो जाता है। पानी की बर्बादी का एक आकलन यह है कि प्रत्येक दिन 4,84,20,000 करोड़ घन मीटर यानी एक लीटर वाली 48.42 अरब बोतलों जितना पानी बर्बाद हो जाता है, जबकि इसी देश में करीब 16 करोड़ लोगों को साफ और ताजा पानी नहीं मिलता। वहीं, 60 करोड़ लोग जलसंकट से जूझ रहे हैं। एक याचिका में इन तथ्यों पर गौर करने के बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय से पानी की बर्बादी का तथ्यात्मक हिसाब-किताब पेश करने को कहा है।

 गैर सरकारी संस्था फ्रैंड्स की ओर से याची  राजेंद्र त्यागी ने एनजीटी में यह याचिका दाखिल की गई है। याची की मांग है कि पानी की बर्बादी पर दंड मिलना चाहिए। इसके लिए अभी कोई प्रावधान नहीं है। याचिका पर जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने आदेश में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के अलावा दिल्ली जल बोर्ड से भी एक महीने में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।

पानी की बर्बादी के कई और भी कारण हैं जैसे आवासीय और व्यावसायिक आवासों में टैंक से पानी का ओवरफ्लो होता रहता है। वहीं, फ्लशिंग सिस्टम ताजे पानी के बर्बादी का एक और बड़ा कारण है। एक बार फ्लश चलाने पर 15 से 16 लीटर पानी बर्बाद हो जाता है।

एडवोकेट आकाश वशिष्ठ के मुताबिक भारत में हर तीसरा व्यक्ति नल खुला छोड़ देते हैं जिससे एक मिनट में पांच लीटर पानी बर्बाद हो जाता है, जबकि एक शॉवर से प्रति मिनट 10 लीटर पानी बर्बाद होता है। तीन से 5 मिनट तक ब्रश करने के दौरान करीब 25 लीटर पानी बर्बाद होता है जबकि 15 से 20 मिनट शॉवर के दौरान 50 लीटर पानी जाया चला जाता है। इसी तरह बर्तन धोने के दौरान भी 20 से 60 लीटर पानी बर्बाद कर दिया जाता है।

ग्रामीण क्षेत्रों में भी काफी गहरे बोरवेल लगाए जा रहे हैं। जबकि वहां पेयजल के लिए हैंड-पंप और ट्यूबवेल मौजूद है। वहां भी पानी के इस्तेमाल पर कोई पाबंदी नहीं है। इसके अलावा कारों की धुलाई  के दौरान भी साफ पानी की खूब बर्बादी होती है। भारत में 2025 तक पानी की मांग अभी 40 अरब लीटर से 220 अरब लीटर तक पहुंच जाएगी। एनजीटी अब इस मामले पर मंत्रालय की रिपोर्ट के बाद सुनवाई करेगा।

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