कीटों के हमले से एक-दूसरे को सतर्क करते हैं पौधे: अध्ययन

एक नए शोध से पता चला है कि पौधे कीटों के हमले के दौरान एक-दूसरे के साथ संवाद कर आने वाले खतरे से सतर्क कर सकते हैं

By Dayanidhi

On: Monday 07 October 2019
 
Photo: Creative commons

करंट बायोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन से पता चला है कि पौधे आपस में एक दूसरे को अपना संदेश भेजते हैं। ऐसा वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (वीओसी) के रूप में जाना जाने वाले वायुजनित रसायनों के रूप में किया जाता है। वैज्ञानिकों ने अपनी बड़ी खोज को "ओपन-चैनल संचार" व्यवस्था कहा है।  

आंद्रे केसलर, जो कॉर्नेल, न्यूयॉर्क में पारिस्थितिकी और विकासवादी जीव विज्ञान के प्रोफेसर हैं और उनकी टीम ने उत्तरी अमेरिका में उगने वाली पौधों की प्रजाति सॉलिडैगो अल्टिसिमा को देखा और इस पौधे पर लगने वाले गोल्डन रोड लिफ बीटल नाम के एक कीट की निगरानी की। यह कीट सॉलिडैगो अल्टिसिमा को नुकसान पहुंचाता है। कुछ समय बाद वैज्ञानिकों की इस टीम ने पाया कि यह पौधा अपने ऊपर हुए कीट के हमले की जानकारी अपनी वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (वीओसी) प्रक्रिया से अपनी गंध दूसरे पौधों तक पहुंचा रहा है। 

केसलर ने बताया कि पौधे एक ही भाषा, या एक ही चेतावनी के संकेतों पर जानकारी को स्वतंत्र रूप से साझा करने के लिए एक ही तरह से एक ओर झुक जाते हैं। सूचना के स्वतंत्र रूप से आदान-प्रदान होने से पता चलता है कि पौधे अपने पड़ोसी पौधे से कितनी निकटता से जुड़े हुए हैं। शोध में पाया गया कि पड़ोसी पौधे वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (वीओसी) को चेतावनी देते हैं और पौधों को आने वाले कीट जैसे कथित खतरे से सतर्क करते हैं।

केसलर ने कहा, जब हम अक्सर पौधों को रोगाणुओं या शाकाहारी जीवों द्वारा हमला करते हुए देखते हैं, तो पौधे अपने चयापचय (मेटाबोलिज्म) में बदलाव करते हैं। लेकिन यह बिना सोचे समझे किया गया परिवर्तन नहीं होता है, इनमें होने वाले रासायनिक और चयापचय परिवर्तन भी उन हमलावरों से निपटने में मदद करते हैं। यह हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम ) की तरह है, हालांकि पौधों में हमारे जैसे एंटीबॉडी नहीं होते हैं, इस लिए वे हमारी तरह खतरनाक रसायनों के साथ वापस लड़ नहीं सकते हैं।

रसायन में रक्षात्मक यौगिक भी शामिल होते हैं। उदाहरण के लिए, कुछ वीओसीज कीटों, या परजीवियों को अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं, जो शाकाहारियों को मारते हैं और पौधे को बचाते हैं। केसलर ने कहा कि लंबे समय से, लोगों ने फसलों की रक्षा के लिए जैविक कृषि में पौधे-से-पौधे तक परस्पर जानकारी स्थानांतरित करने सम्बंधि उपयोग के बारे में सोचा है, खासकर जब एक ही समय में अलग-अलग फसलों को उगाया जाता है।

केसलर ने बताया कि हम केन्या में एक प्रणाली पर काम कर रहे हैं - जिसे 'पुश-पुल' कहा जाता है जिसे इंटरनेशनल सेंटर फॉर इन्सेक्ट फिजियोलॉजी और इकोलॉजी द्वारा विकसित किया गया है - जो मकई के खेतों में कीटों को नियंत्रित करने के लिए सूचना देने पर आधारित है।

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