पर्यावरण बचाने के लिए सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों से संतुष्ट हैं 77 फीसदी भारतीय
भारत में करीब 77 फीसदी लोग सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए किये जा रहे कार्यों से संतुष्ट हैं। जबकि केवल 20 फीसदी ने ही उस पर असंतोष जाहिर किया है
On: Thursday 23 April 2020
दुनिया भर में करीब 63 फीसदी व्यस्क अपने देश द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए किये जा रहे प्रयासों से संतुष्ट हैं। भारत में करीब 77 फीसदी लोग इस मामले में सरकार से संतुष्ट हैं। जबकि केवल 20 फीसदी लोग ही सरकार के कामों से असंतुष्ट हैं। यह जानकारी अमेरिका की प्रमुख पोलिंग एजेंसी गैलप द्वारा किये एक वैश्विक सर्वे में सामने आयी है। वहीँ संयुक्त अरब अमीरात के करीब 93 फीसदी लोग सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों से खुश हैं।
लेबनान की सरकार जिस तरह से हाल के वर्षों में पर्यावरण को लेकर काम कर रही है। उसे देखते हुए वहां केवल 10 फीसदी लोग ही सरकार से खुश हैं। जबकि अमेरिका और रूस में रह रहे लोग सबसे ज्यादा असंतुष्ट हैं। यदि दुनिया के 10 सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जकों को देखें तो रूस में केवल 34 फीसदी संतुष्ट हैं। वहीं 59 फीसदी ने पर्यावरण के प्रति सरकार की जिमेदारी पर असंतोष दिखाया है। जबकि अन्य देशों में दक्षिण कोरिया के (42 फीसदी), जापान (43), अमेरिका (44), ईरान (46), कनाडा (50), जर्मनी के केवल 53 फीसदी लोग ही सरकार द्वारा पर्यावरण के लिए किये जा रहे कामों को लेकर संतुष्ट हैं। वहीँ चीन में करीब 85 फीसदी लोगों ने सरकार द्वारा किया जा रहे कामों पर संतोष दिखाया है। जबकि वहां केवल 11 फीसदी लोग असंतुष्ट थे। सऊदी अरब में भी 79 फीसदी लोग संतुष्ट थे|
गौरतलब है कि 2019 में अमेरिका के करीब 56 फीसदी लोग सरकार के कामों से असंतुष्ट थे। जबकि 2017 में 52 फीसदी लोगों ने असंतोष जाहिर किया था। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह ट्रम्प सरकार को माना जा सकता है। ट्रम्प सरकार तेजी से देश पर्यावरण के लिए बनाये नियमों को बदलती जा रही है। उसका मानना है कि यह नियम विकास की राह में बाधा हैं। गौरतलब है कि कुछ समय पहले अमेरिका ने जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए किये पेरिस समझौते से भी अपने हाथ पीछे खींच लिए थे।
हवा और पानी की गुणवत्ता को लेकर भी संतुष्ट हैं भारत में ज्यादातर लोग
इस सर्वे में भारत को लेकर सबसे हैरानी वाली बात पानी और वायु की गुणवत्ता को लेकर सामने आयी है। हालांकि भारत के ज्यादातर शहरों में हवा तय मानकों से कई ज्यादा गुना प्रदूषित हो चुकी है, और लोगों को सांस लेने में भी कठिनाई हो रही है। इसके बावजूद भारत के करीब 86 फीसदी लोग हवा की गुणवत्ता से संतुष्ट थे| जबकि केवल 13 फीसदी ने ही इस पर असंतोष जाहिर किया है।
ऐसी ही स्थिति चीन की है जहां करीब 81 फीसदी लोग हवा की गुणवत्ता से संतुष्ट थे। जबकि केवल 17 फीसदी लोगों ने ही असंतोष जाहिर किया है। वहीँ दुनिया के करीब तीन चौथाई से ज्यादा (78 फीसदी) लोग हवा की गुणवत्ता को लेकर संतुष्ट थे।
इसी तरह पानी की गुणवत्ता को लेकर भी देश के करीब 75 फीसदी लोगों ने संतोष जाहिर किया है। जबकि 24 फीसदी ने पानी की गुणवत्ता पर असंतोष दर्ज किया है। विडंबना देखिये ऐसा तब हुआ है जब देश की ज्यादातर नदियों का जल प्रदूषित हो चुका है। और भूजल में आर्सेनिक और अन्य प्रदूषकों की मात्रा बढ़ती जा रही है। हाल ही में पंजाब और उत्तर प्रदेश में भी भूजल में भारी मात्रा में आर्सेनिक पाया गया था। जोकि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
यदि वैश्विक स्तर पर देखें तो दुनिया के करीब 73 फीसदी लोग जल की गुणवत्ता से संतुष्ट हैं। जबकि अफ्रीकी देश गैबोन में केवल 32 फीसदी लोग इससे संतुष्ट हैं। वहीँ रूस में 60, ईरान में 64, चीन में 76, दक्षिण कोरिआ में 78, अमेरिका में 83, जापान में 86, कनाडा में 87, जर्मनी में 88, सऊदी अरब में करीब 89 फीसदी लोग जल की गुणवत्ता को लेकर संतुष्ट हैं। जबकि रूस में 37 फीसदी और ईरान में 36 फीसदी लोगों ने पानी की गुणवत्ता को लेकर असंतोष जाहिर किया है।