कम और मध्यम आय वाले देश हो रहे हैं प्रदूषण के 92 फीसदी शिकार : अध्ययन

रिपोर्ट के मुताबिक प्रदूषण के कारण हुई अधिक मौतों से 2019 में कुल 4.6 ट्रिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ है, जो वैश्विक आर्थिक उत्पादन के 6.2 फीसदी के बराबर है।

By Dayanidhi

On: Wednesday 18 May 2022
 

प्रदूषण के कारण 2019 में लगभग 90 लाख मौतें हुईं, दूसरे शब्दों में कहें तो दुनिया भर में छह में से एक की मौत प्रदूषण के चलते हुई। द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लैंसेट कमीशन ऑन पॉल्यूशन एंड हेल्थ द्वारा 2015 में इस तरह के पिछले विश्लेषण के बाद से इस संख्या में कोई भारी बदलाव नहीं आया है।

भारत में प्रदूषण की समस्या

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में प्रदूषण की मात्रा देश के 93 फीसदी हिस्सों में विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा निर्देशों से काफी ऊपर है।

देश में वायु प्रदूषण से संबंधित 16.7 लाख मौतों में से 9.8 लाख पीएम 2.5 प्रदूषण के कारण और अन्य 6.1 लाख घरेलू वायु प्रदूषण के कारण हुई। हालांकि इनडोर वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण से होने वाली मौतों की संख्या में गिरावट आई है। इन कमियों को भी औद्योगिक प्रदूषण जैसे परिवेशी वायु प्रदूषण और रासायनिक प्रदूषण के कारण होने वाली मौतों की वृद्धि ने पूरा कर दिया है।

देश में होने वाली कुल मौतों में 17.8 फीसदी मौतों के लिए वायु प्रदूषण जिम्मेदार है।

2019 की द लैंसेट की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि 2019 में जहरीली हवा ने 16.7 लाख भारतीयों की जान ली, जो सभी जान लेने वाली घटनाओं का 18 फीसदी है।

प्रमुख अध्ययनकर्ता रिचर्ड फुलर ने कहा कि प्रदूषण से स्वास्थ्य को सबसे अधिक नुकसान होता है, निम्न और मध्यम आय वाले देश इस बोझ का खामियाजा भुगत रहे हैं। इसके व्यापक स्वास्थ्य, सामाजिक और आर्थिक प्रभावों के बावजूद, अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंडे में प्रदूषण की रोकथाम को बड़े पैमाने पर अनदेखा किया जाता है।

उन्होंने कहा कि प्रदूषण और इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में सभी जानते हैं बावजूद, 2015 के बाद से इसके रोकथाम के लिए खर्चे में मामूली बढ़ोतरी हुई है।

जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण का संबंध

सह-अध्ययनकर्ता  प्रोफेसर फिलिप लैंड्रिगन ने कहा कि प्रदूषण अभी भी हमारे और ग्रह के स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा है, यह प्रगति को खतरे में डालता है। प्रदूषण को रोकने से जलवायु परिवर्तन भी धीमा हो सकता है। इससे हमें दोहरा लाभ हासिल हो सकता है और रिपोर्ट में सभी जीवाश्म ईंधन से स्वच्छ, नवीकरणीय ऊर्जा के लिए बड़े पैमाने पर, तेजी से बदलने का आह्वान किया गया है। प्रोफेसर लैंड्रिगन बोस्टन कॉलेज में स्वास्थ्य कार्यक्रम और वैश्विक प्रदूषण वेधशाला के निदेशक हैं।

प्रदूषण और स्वास्थ्य पर 2017 लैंसेट आयोग 2015 के ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (जीबीडी) अध्ययन के आंकड़ों का उपयोग किया गया, जिसमें पाया गया कि प्रदूषण लगभग 90 लाख मौतों के लिए जिम्मेदार था।

नई रिपोर्ट सबसे हाल ही में उपलब्ध 2019 ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (जीबीडी) के आंकड़ों के अपडेट के साथ-साथ 2000 के बाद के रुझानों के आकलन के आधार पर प्रदूषण के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों का अपडेट प्रदान करती है।

रासायनिक प्रदूषण एक गुप्त खतरा

दुनिया भर के वातावरण में केमिकल का बहुत अधिक  प्रसार हुआ है। दुनिया भर में हर साल केमिकल उत्पादन लगभग 3·5 फीसदी की दर से बढ़ रहा है और 2030 तक यह दोगुना होने की राह पर है।

2019 में प्रदूषण से होने वाली 90 लाख मौतों में से, घरेलू और परिवेश वायु प्रदूषण से दुनिया भर में 66.7 लाख मौतों की सबसे बड़ी संख्या के लिए जिम्मेदार है। 13.6 लाख अकाल मृत्यु के लिए जल प्रदूषण जिम्मेदार था। सीसा या लेड ने 9 लाख अकाल मृत्यु के लिए जिम्मेवार था, इसके बाद 8.7 लाख मौतें विषाक्त व्यावसायिक खतरों की वजह से हुईं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदूषण के कारण हुई अधिक मौतों से 2019 में कुल 4.6 ट्रिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ है, जो वैश्विक आर्थिक उत्पादन के 6.2 फीसदी के बराबर है। अध्ययन में प्रदूषण की गहरी असमानता पर भी गौर किया गया है, जिसमें प्रदूषण से संबंधित मौतों का 92 फीसदी और प्रदूषण के आर्थिक नुकसान का सबसे बड़ा बोझ निम्न आय और मध्यम आय वाले देशों में होता है।

नए अध्ययन के अध्ययनकर्ताओं ने प्रदूषण और स्वास्थ्य पर लैंसेट आयोग में दी गई सिफारिशों पर आधारित आठ सिफारिशों को सामने रखा है।

इनमें एक स्वतंत्र, इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीपीसी) -स्टाइल साइंस या पॉलिसी पैनल ऑन पॉल्यूशन, सरकारों, स्वतंत्र और दाताओं से प्रदूषण नियंत्रण के लिए रकम बढ़ाने और बेहतर प्रदूषण निगरानी और आंकड़ों के संग्रह को इसमें शामिल करना है। यह अध्ययन 'द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ' नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

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