बजट 2020-21: हवा साफ करने पर खर्च होंगे 4,400 करोड़ रुपए

केंद्र सरकार की इस घोषणा का लाभ 10 लाख से अधिक आबादी वाले बड़े शहरों को मिलेगा  

By Shagun, Bhagirath Srivas

On: Saturday 01 February 2020
 
Photo: Vikas Choudhary

शहरों में वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या को देखते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2020-21 में वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए 4,400 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया है। यह राशि उन शहरों पर खर्च होगी जहां की आबादी 10 लाख से अधिक है। पिछले बजट में इस मद में 460 करोड़ रुपए ही आवंटित किए गए थे। वर्तमान बजट में इसके लिए करीब 10 गुणा बजट बढ़ाया गया है। पर्यावरणविद सरकार की इस घोषणा का स्वागत कर रहे हैं।  

अपने बजट भाषण में सीतारमण ने कहा, “10 लाख से बड़ी आबादी वाले नगरों में स्वच्छ हवा चिंता का विषय है। सरकार उन राज्यों को प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव करती है जो 10 लाख से अधिक आबादी वाले नगरों में स्वच्छ हवा सुनिश्चित करने के लिए योजनाएं बना रही हैं और उन्हें कार्यान्वित कर रही हैं। इस प्रोत्साहन के मानदंड पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किया जाएगा।”

गैर लाभकारी संगठन नेशनल रिसोर्स डिफेंस काउंसिल में एयर क्वॉलिटी एंड क्लाइमेट रेजीलिएंस कार्यक्रम की अगुवाई कर रहे पोलाश मुखर्जी ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। हालांकि उनका कहना है कि पटना में यह काम करने के लिए 3,500 करोड़ रुपए की जरूरत है। पोलाश बताते हैं कि भारत में 84 ऐसे शहर हैं जहां की आबादी 10 लाख से अधिक है। इनमें से कुछ शहरों को वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए बचाव के उपाय करने की जरूरत है जबकि कुछ को इसमें कमी लाने की दरकार है।

केंद्र सरकार ने जनवरी 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इस कार्यक्रम के तहत पीएम 2.5 और पीएम 10 के मापदंडों को पूरा न करने वाले 122 शहरों की पहचान की गई थी। इनमें से लगभग 70 प्रतिशत शहरों की आबादी 10 लाख से कम है। ऐसे में ये शहर वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए आवंटित बजट से वंचित रह सकते हैं। 122 शहरों की सूची में शामिल बड़े शहरों जैसे बैंगलुरू, दिल्ली, कोलकाता और मुंबई को ही इस बजट का लाभ मिलेगा। इन शहरों के अलावा 200 शहर हैं जो बहुत अधिक प्रदूषित हैं। इन शहरों पर भी तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।

क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला का कहना है कि वायु गुणवत्ता के प्रबंधन के लिए आवंटित बजट का ठीक से इस्तेमाल नहीं किया गया तो इसका कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकलेगा। उनका कहना है कि वायु प्रदूषण एक जटिल विषय है। वह उम्मीद जताती हैं कि बढ़े बजट से राज्यों में सहयोगात्मक बेहतर तंत्र बनेगा। साथ ही साथ एक ऐसी योजना बनेगी जिससे उद्योगों, परिवहन और निर्माण स्थलों पर प्रदूषण की रोकथाम हो सके।

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