जहरीली हवाओं से घिरी दिल्ली
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के मुकाबले दिल्ली में तीन नवंबर को सात गुणा अधिक प्रदूषण कण हवा में रहे, जो इस सीजन का सबसे खराब दिन साबित हुआ
On: Sunday 03 November 2019


देश की राजधानी दिल्ली 3 नवंबर को रविवार दिन भर जहरीली धुंध में डूबी रही। शनिवार की रात हुई हल्की बूंदाबांदी ने प्रदूषण का स्तर और बढ़ा दिया और लोगों को मौसम की सबसे बुरी हवा का सामना करना पड़ा। आलम यह रहा कि दिल्ली एनसीआर का कोई ऐसा इलाका नहीं बचा, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) सीवियर (गंभीर) स्तर पर नहीं पहुंचा हो।
दिल्ली में की हवा में प्रदूषण कण (पार्टिकुलेट मैटर, पीएम) का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानक से कम से कम सात गुना अधिक था। वास्तव में, दिल्लीवासियों ने रविवार की सुबह सबसे खराब हवा में सांस ली।
केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वेबसाइट सफर (सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च) के अनुसार, रविवार सुबह 6.25 बजे दिल्ली का ओवरऑल एक्यूआई पीएम10 की मात्रा 648 और पीएम2.5 की मात्रा 475 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रिकॉर्ड की, जबकि शाम 4 बजे यह मात्रा पीएम2.5 की मात्रा 561.7 माइक्रोग्राम और पीएम10 की मात्रा 672.3 माइक्रोग्राम रिकॉर्ड की गई।
उल्लेखनीय है कि 0-50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 'बहुत खराब' और 401-500 'गंभीर' माना जाता है। 500 से ऊपर को आपातकालीन 'श्रेणी में रखा गया है।
सफर के विश्लेषण के अनुसार, शनिवार की रात और रविवार की सुबह शांत हवा की स्थिति में हल्की बूंदाबांदी के कारण प्रदूषण के परत की ऊंचाई लगभग 50 मीटर रह गई, जो कि इस सीजन की सबसे कम ऊंचाई है। इससे स्थिति और बिगड़ गई।
पूरे शहर में निगरानी स्टेशनों पर रीडिंग में खतरनाक वायु गुणवत्ता स्तर दिखाई दिया। 3 नवंबर की सुबह 11 बजे रियल टाइम एक्यूआई बवाना, मेजर ध्यानचंद स्टेडियम, नरेला, अलीपुर, पटपड़गंज, पंजाबी बाग, मंदिर मार्ग, पूसा, शाहदरा, श्रीनिवासपुरी, और आनंद विहार में 999 था। यहां यह उल्लेखनीय है कि सीपीसीबी के वर्तमान सिस्टम में 999 से अधिक की मात्रा रिकॉर्ड करने की व्यवस्था ही नहीं है।
सफर के अनुसार, पिछले 24 घंटों के दौरान उत्तर-पश्चिम भारत (हरियाणा और पंजाब) में पराली जलाने की घटनाओं में कमी दर्ज की गई। हालांकि इसका कारण यह भी बताया गया है कि इस क्षेत्र में घने बादल होने के कारण संभवतया पराली जलाने की जानकारी उपग्रह तक नहीं पहुंच पाई।
सफर ने यह भी अनुमान लगाया है कि सोमवार को हवा की गति बढ़ने और परत की ऊंचाई बढ़ने से दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है।
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