पर्यावरण मुकदमों की डायरी: पंचकूला में चल रहा अवैध खनन का कारोबार, कार्रवाई के आदेश
पर्यावरण से संबंधित मामलों में सुनवाई के दौरान क्या कुछ हुआ, यहां पढ़ें-
On: Friday 16 October 2020
एनजीटी ने 14 अक्टूबर 2020 को अंबाला के कमिश्नर के लिए एक निर्देश जारी किया है, जिसमें उन्हें पंचकूला में हो रहे अवैध खनन की जांच और उसपर उचित कार्रवाई करने के लिए कहा है। अवैध खनन का यह मामला हरियाणा में पंचकूला के श्यामाहु गांव का है, जहां कृषि भूमि पर अवैध खनन किया जा रहा था।
इस मामले में आवेदक मनीष कुमार ने कोर्ट को जानकारी दी है कि यहां पर नियमों का उल्लंघन कर 100 फीट तक की गहराई पर खनन किया जा रहा था। जिससे फसलों और कृषि क्षेत्रों को नुकसान होने की संभावना है।
सोनभद्र में कचरे के ढेर से उठ रही थी धूल, कोयले की राख और फ्लाई ऐश को किया गया था डंप
आवेदक रमेश चंदर वर्मा ने नॉर्दर्न कोल फील्ड द्वारा किए जा रहे वायु प्रदूषण के खिलाफ एनजीटी में याचिका दायर की है। मामला सोनभद्र के शक्ति नगर में नॉर्दर्न कोल फील्ड के खैरी प्रोजेक्ट का है। आवेदक ने एक छोटी दीवार और जरुरत से ज्यादा भरे कचरे के डंप के खिलाफ शिकायत की है। इस कचरे के ढेर में कोयले की राख को फ्लाई ऐश के साथ मिलकर डंप किया गया था।
उन्होंने जानकारी दी है कि इससे जो धूल पैदा हो रही है वो वातावरण और वहां रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर असर डाल रही है। उनके अनुसार यह गतिविधि को ‘रेड’ श्रेणी में आती है, जिसका पर्यावरण पर गंभीर असर पड़ता है।
इस मामले पर 14 अक्टूबर को जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और एस पी वांगड़ी की बेंच ने सुनवाई की थी। जिसके आधार पर एनजीटी ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) और सोनभद्र के जिला मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया कि वो इस शिकायत की जांच करें और मामले पर आवश्यक कार्रवाई की जाए। साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिया है कि इस मामले में क्या कार्रवाई की गई उसके ऊपर तीन महीने के भीतर रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की जाए।
आंध्रप्रदेश में प्रदूषण फैला रही थी मेसर्स सिफलोन ड्रग्स इंडस्ट्री, एनजीटी ने दिए जांच के निर्देश
एनजीटी ने आंध्र प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अनंतपुर के जिला मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया है कि वो दवा बनाने वाली कंपनी द्वारा किए जा रहे प्रदूषण की जांच करे। पूरा वाकया आंध्र प्रदेश के बेल्लारी रोड, राचनापल्ली का है। जहां मेसर्स सिफलोन ड्रग्स की यूनिट से दुर्गन्ध उठ रही थी, साथ ही उससे वायु प्रदूषण भी हो रहा था।
इस मामले में सेंट मार्क एजुकेशनल सोसायटी एंड ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन ने कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें कहा था कि दवा उद्योग द्वारा चलाई जा रही गतिविधियों से वायु प्रदूषित हो रही थी। जो पर्यावरण और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है।