पर्यावरण मुकदमों की डायरी: 4 नवंबर 2020

देश के विभिन्न अदालतों में विचाराधीन पर्यावरण से संबंधित मामलों में क्या कुछ हुआ, यहां पढ़ें-

By Susan Chacko, Dayanidhi

On: Wednesday 04 November 2020
 

तेलंगाना राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एनजीटी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में विकाराबाद जिले के तंदूर शहर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी। एनजीटी के आदेशों से गठित एक संयुक्त समिति ने तंदूर में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए कई महत्‍वपूर्ण सिफारिशें दी थीं।

समिति ने सिफारिश की कि सरकार को भारी वाहनों के संचालन से बचने के लिए तंदूर शहर में एक बाई-पास सड़क के निर्माण की प्रक्रिया को तेज करना चाहिए, जो तंदूर शहर में वायु प्रदूषण के मुख्य स्रोतों में से एक है। तंदूर के राजस्व मंडल अधिकारी (आरडीओ) ने बताया कि प्रस्तावित बाई-पास सड़क के लिए भूमि अधिग्रहण पूरा हो गया है। जिला कलेक्टर और मजिस्ट्रेट ने तंदूर के आरडीओ को निर्देश दिया कि स्थायी आधार पर पत्थर के टुकड़े और कीचड़ के निपटारे के लिए आवश्यक भूमि की पहचान करें।

तंदूर शहर में सभी पत्थर काटने और पॉलिशिंग इकाइयों को शहर से बाहर दूसरी जगह लगाने के लिए लगभग 300 एकड़ भूमि के आवंटन की जरुरत है। इकाइयों के दूसरी जगह में लगने से शहर में वायु प्रदूषण को रोकने का यह दीर्घकालिक उपाय होगा। आरडीओ ने जानकारी दी कि म्युनिसिपैलिटी की सीमा से बाहर गिने जाने वाले गिंगुर्थी गांव में 390 एकड़ की एक खाली जमीन की पहचान बहुत पहले की गई थी जो अभी भी इस उद्देश्य के लिए उपलब्ध है।

जिप्सम के निर्माण और अन्य संबद्ध उपयोगिताओं के लिए स्थानीय उद्योगों द्वारा पत्थर के टुकड़े (चिप्स) के अधिकांश भाग का उपयोग किया जा रहा था। डंपिंग के लिए पहचाने जाने वाले क्षेत्र हितधारकों के लिए कचरे के संग्रहण और उसे उठाने दोनों के लिए एक मध्य स्थान के रूप में कार्य करेंगे। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि सड़कों को मैन्युअल तरीके से साफ किया जा रहा है और तंदूर के नगर आयुक्त ने व्यापक मशीनों के लिए प्रस्ताव भेजे हैं। सड़कों पर पानी के छिड़काव के लिए पानी के टैंकरों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

सीवर लाइनों के स्थान पर नालियां बनाई जा रही हैं दिल्ली के छतरपुर एन्क्लेव में

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 2 नवंबर को छतरपुर एन्क्लेव में सीवर लाइनों के स्थान पर नालियों के निर्माण के मामले की जांच के लिए दिल्ली के मुख्य सचिव के अधीन एकीकृत नाली प्रबंधन प्रकोष्ठ (आडीएमसी) बनाने का निर्देश दिया है। 

महेश चंद्र सक्सेना द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि वर्षा जल संचयन प्रणाली का निर्माण किया जाना था, जिसके लिए एनजीटी द्वारा निर्देश जारी किए गए थे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। नतीजा यह है कि बारिश का पानी बेकार पानी में मिल रहा है।

छतरपुर एन्क्लेव कॉलोनी एक बड़ी कॉलोनी है। दिल्ली सरकार ने सीवेज के संग्रह के लिए पाइपलाइनों की व्यवस्था करने के बजाय नालियों का निर्माण शुरू कर दिया है।

पीने के पानी की पाइपलाइन नालियों से गुजर रही है। खुली नालियों के कारण, बैक्टीरिया और मच्छर होते हैं और कभी-कभी सीवेज घरों में प्रवेश कर जाता है। याचिकार्ता ने एनजीटी में दायर याचिका के माध्यम से सूचित किया कि सेप्टिक टैंकों से अपशिष्ट जल को भूजल में बहाया जा रहा है।

निर्माण और तोड़े गए अपशिष्ट के प्रबंधन पर डीपीसीसी ने एनजीटी को सौंपी रिपोर्ट

दिल्ली में हर दिन निर्माण करने और तोड़ा गया अपशिष्ट (कंस्ट्रक्शन एंड डेमोलिशन वेस्ट, सी और डी वेस्ट) लगभग 3900 टन उत्पन्न होता है, जिसकी सही से निगरानी करने और निपटाने की आवश्यकता होती है।

तदनुसार सी एंड डी अपशिष्ट का अलग संग्रह और ढोने के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया गया है। जिसके तहत 3 नगर निगमों (उत्तरी डीएमसी, ईडीएमसी और एसडीएमसी), नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) और दिल्ली छावनी बोर्ड (डीसीबी) द्वारा पहचाने गए तथा चिह्नित स्थलों पर सी एंड डी कचरे को एकत्र किया जाता है। दिल्ली में निर्माण में उपयोग किए गए और तोड़े गए अपशिष्ट प्रसंस्करण और रीसाइक्लिंग सुविधाओं के लिए इन्ही स्थानों पर पहुंचाया जाता है।

दक्षिण डीएमसी क्षेत्र के बक्करवाला में एक नए सी एंड डी अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधा के चालू होने के बाद प्रसंस्करण सुविधा की क्षमता का विस्तार हुआ है, इसके बाद अब शास्त्री पार्क में सी एंड डी 500 टीपीडी से 1000 टीपीडी तक हो गई है। इस तरह अब दिल्ली में 4 सी एंड डी अपशिष्ट प्रसंस्करण और रीसाइक्लिंग प्लांट हैं, जिनकी कुल क्षमता 4150 टीपीडी हो गई है।

उपरोक्त सभी का नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में उल्लेख किया गया।

इन प्रसंस्करण सुविधाओं में, बीआईएस मानकों के फर्श बनानेवाला (पेवर ब्लॉक), पत्थर, ईंट, रेत और मिट्टी का उत्पादन सी एंड डी कचरे से किया जा रहा है जो आगे चलकर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में उपयोग किए जा सकते हैं। इस प्रकार प्राकृतिक संसाधनों की जरुरत कम से कम हो जाती है। मौजूदा और प्रस्तावित प्रसंस्करण सुविधाओं के साथ, यह उम्मीद है कि डीपीसीसी की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में उत्पन्न पूरे सी एंड डी कचरे का वैज्ञानिक, सही तरीके से प्रबंधन किया जा रहा है।

एनजीटी ने 2 नवंबर, 2020 के अपने आदेश में कहा कि संबंधित विभागों द्वारा दूर हटाने (ऑफ-टेक) में अभी तक वृद्धि नहीं हुई है और इसकी समान निगरानी की जरूरत है।

डीडीए, डीएमसीआर और ईडीएमसी द्वारा बताया गया कि प्राप्त लक्ष्य 74.01 फीसदी, 41.1 फीसदी और 43.1 फीसदी है। जिसका अर्थ है कि आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (एमओएचयूए) द्वारा निर्धारित लक्ष्य पूरी तरह से हासिल नहीं किया गया है। 

एनजीटी ने बनाला गांव में स्टोन क्रशर द्वारा पर्यावरण नियमों के उल्लंघन की जांच का दिया निर्देश

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के तहसील ऑट, ग्राम बनला में एफकॉन्स इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के स्टोन क्रशर मामले को लेकर एनजीटी में आशीष शौनिक द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि इकाई पर्यावरण नियमों का उल्लंघन कर रही है।

याचिका में कहा गया है कि यह स्थल-चयन मानदंडों का उल्लंघन है, क्योंकि स्टोन क्रशर तीर्थन नदी, राष्ट्रीय राजमार्ग, सरकारी स्कूल, लारजी बांध के जलाशय (126 मेगावाट लारजी जल विद्युत परियोजना), ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क और तीर्थन वन्यजीव अभयारण्य के निषिद्ध दूरी के भीतर हैं।

एनजीटी ने हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पीसीसीएफ (मुख्य वन्यजीव वार्डन), निदेशक, पर्यावरण विभाग और जिला मजिस्ट्रेट मंडी को मामले की जांच करने और आवश्यक होने पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

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