भारत में बुजुर्ग ग्रामीण महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है घरों में मौजूद वायु प्रदूषण

भारत में औसतन करीब 18.7 फीसदी ग्रामीण महिलाएं ऐसे घरों में रह रही हैं, जहां वायु प्रदूषण का स्तर हानिकारक है। यह प्रदूषण बुजुर्ग और अधेड़ उम्र की महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है

By Lalit Maurya

On: Tuesday 13 December 2022
 

भारत में औसतन करीब 18.7 फीसदी ग्रामीण महिलाएं ऐसे घरों में रह रही हैं, जहां वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक है। इतना ही नहीं, यह भी सामने आया है कि यह घरों के भीतर का वायु प्रदूषण बुजुर्ग और अधेड़ उम्र की महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है।

भारत के लिए वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या है। हालांकि अक्सर लोग बाहर खुले में मौजूद वायु प्रदूषण को ही जानलेवा मानते हैं, लेकिन घरों में मौजूद वायु प्रदूषण भी कम हानिकारक नहीं होता।

हाल ही में इसी को ध्यान में रखते हुए भारत के ग्रामीण परिवेश में मौजूद वायु प्रदूषण और उसके प्रभावों को समझने के लिए किए अध्ययन में सामने आया है कि ग्रामीण भारत में यह इंडोर एयर पॉल्यूशन बुजुर्ग और अधेड़ उम्र की महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है।

जर्नल बीएमसी में प्रकाशित इस रिसर्च से पता चला है कि जो महिलाएं अपने घरों में वायु प्रदूषण के संपर्क में थी उनकी संज्ञानात्मक कार्यात्मक क्षमता यानी याददाश्त, रोजमर्रा के कामों को करने की क्षमता, तार्किक और बुद्धिमता क्षमता अन्य महिलाओं की तुलना में कम थी।

गौरतलब है कि संज्ञानात्मक क्षमता से तात्पर्य मन की उन आन्तरिक प्रक्रियाओं से है, जो मनुष्य को जानने की ओर अग्रसर करती हैं। इसमें सभी मानसिक गतिविधियां शामिल हैं, जैसे ध्यान देना, याद करना, सांकेतीकरण, वर्गीकरण, योजना बनाना, विवेचना, समस्या हल करना, सृजन करना और उसके साथ किसी चीज की कल्पना करना।

ग्रामीण परिवेश में घरों में मौजूद वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या है क्योंकि आज भी विकासशील देशों में अधिकांश ग्रामीण घरों में खाना पकाने के लिए दूषित, ठोस ईंधन जैसे लकड़ी, कोयला, कंडे आदि का उपयोग किया जाता है।

भारत में डिमेंशिया का शिकार हैं हर 1,000 में से 20 बुजुर्ग

जोकि विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए ज्यादा खतरनाक है जो लम्बे समय से उसके संपर्क में रहती हैं। शोध के अनुसार यही वजह है कि यह खतरा बुजुर्ग और अधेड़ महिलाओं के लिए ज्यादा खतरनाक है क्योंकि वो लम्बे समय तक इसके संपर्क में रहने को मजबूर हैं।

पता चला है कि यह वायु प्रदूषण बुजुर्गों के लिए विशेष रूप से हानिकारक है। यदि भारतीय जनगणना रिपोर्ट द्वारा जारी आंकड़ों को देखें तो जहां 1961 में बुजुर्गों की आबादी 5.6 फीसदी थी वो 2011 में बढ़कर 8.6 प्रतिशत हो गई थी। जबकि 2050 तक इसके 19.5 प्रतिशत होने की उम्मीद है। ऊपर से समय के साथ बढ़ता वायु प्रदूषण इन बुजुर्गों के लिए विशेष रूप से हानिकारक है। गौरतलब है कि भारत में हर 1000 में से 20 बुजुर्ग डिमेंशिया का शिकार हैं। इसके अलावा बुजुर्ग महिलाओं में मनोभ्रंश का प्रसार अधिक बताया गया है।

वायु प्रदूषण की समस्या कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह दुनिया में मृत्यु का चौथा सबसे बड़ा कारण है। 2019 में इसकी वजह से करीब 67 लाख लोगों की मृत्यु हुई थी।

इतना ही नहीं यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों को देखें तो दुनिया की करीब एक तिहाई आबादी यानी 240 करोड़ लोग मिट्टी का तेल, लकड़ी, फसलों के अवशेष, गोबर, और कोयला आदि की मदद से अपना भोजन तैयार करते हैं, जोकि घरों में हानिकारक वायु प्रदूषण का कारण बनता है।  2020 के आंकड़ों को देखें तो यह प्रदूषण हर साल होने वाली 32 लाख मौतों के लिए जिम्मेवार हैं।

इनमें पांच वर्ष कम उम्र के 237,000 बच्चे भी शामिल हैं जिनका जीवन इस घरेलु वायु प्रदूषण ने छीन लिया था। यह प्रदूषण सांस की बीमारियों, कैंसर, ह्रदय रोग, जन्म के समय कम वजन, स्टिलबर्थ, तपेदिक (टीबी), अस्थमा, मोतियाबिंद, और अंधापन सहित कई अन्य बीमारियों के खतरे को भी बढ़ा रहा है।

अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने भारत में लॉन्गिट्यूटिनल एजिंग स्टडी (एलएएसआई- 2017-18) के आंकड़ों का उपयोग किया है। इन आंकड़ों के विश्लेषण से स्पष्ट हो गया है कि ठोस ईंधन से घरों के भीतर होता वायु प्रदूषण ग्रामीण भारत में बुजुर्ग महिलाओं के संज्ञानात्मक स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर रहा है। ऐसे में इससे बचने के लिए तत्काल कार्रवाई की जरूरत है, जिससे यह उम्र दराज और बुजुर्ग महिलाएं अपनी उम्र के इस पड़ाव पर एक बेहतर जीवन गुजार सकें।

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