न दीवाली न पराली फिर भी उत्तर भारत में जारी है गंभीर वायु प्रदूषण

5 दिसंबर, 2019 को सांसदों ने यह तय किया है कि स्वच्छ हवा के लिए विभिन्न पार्टियों के सांसद मिलकर एक समूह बनाएंगे। जब यह बैठक हुई उस दिन दिल्ली का एक्यूआई 382 यानी बहुत खराब था।

By Vivek Mishra

On: Friday 06 December 2019
 
Heavy smog over Delhi Photo: Vikas Choudhary

यह समय बच्चों और वृद्धों के लिए ही नहीं सामान्य लोगों के लिए भी खराब है क्योंकि दिल्ली समेत समूचे उत्तर भारत में वायु प्रदूषण जारी है। दीवाली और पराली दोनों कारण अब नहीं हैं लेकिन हवा में प्रदूषण का स्तर गंभीर ही है। बिहार की राजधानी पटना, उत्तर प्रदेश में लखनऊ और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सभी जगह संतोषजनक स्तर की हवा लोगों को नसीब नहीं हुई है। दिल्ली में महज एक दिन  29 नवंबर को मौसम के चलते हवा का स्तर संतोषजन श्रेणी में पहुंचा था।  

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक प्रदूषण का स्तर बहुत खराब से गंभीर स्तर श्रेणी वाला है। इस वक्त पराली से होने वाला प्रदूषण भी नहीं है। जानकारों के मुताबिक वाहनों से और निर्माण कार्यों से होने वाला प्रदूषण ही हवा की गिरफ्त में है। वहीं, केंद्रीय मंत्रालय के अधीन सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) के मुताबिक मौसम में आद्रता ज्यादा है, हवा कम है और प्रदूषण कणों के मिलने वाली जगह जिसे मिक्सिग हाईट कहते हैं, वह भी सतह के करीब है। इसलिए प्रदूषण कणों को बिखरने का मौका नहीं मिल रहा है।

 नई दिल्ली स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट ने बताया है कि राष्ट्रीय राजधानी में 5 दिसंबर, 2019 को सांसदों ने यह तय किया है कि स्वच्छ हवा के लिए विभिन्न पार्टियों के सांसद मिलकर एक समूह बनाएंगे। जब यह बैठक हुई उस दिन दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 382 यानी बहुत खराब स्तर का था। वहीं, 6 दिसंबर को एक्यूआई का 24 घंटे के आधार पर औसत स्तर 404 रिकॉर्ड किया गया है। सीपीसीबी के मुताबिक यह गंभीर स्तर का वायु प्रदूषण है।

प्रदूषण के स्तर का पूर्वानुमान करने वाली एजेंसी सफर के मुताबिक अगले दो से तीन दिन तक वायु प्रदूषण का स्तर इसी तरह खराब रह सकता है। सीपीसीबी की 24 घंटे निगरानी करने वाले केंद्रीय निगरानी कक्ष (सीसीआर) के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में बेहद महीन और सेहत के लिए खतरनाक प्रदूषण कण पार्टिकुलेट मैटर 2.5 का स्तर 30 नवंबर से खराब होना शुरु हुआ और 6 दिसंबर को यह अपने सामान्य मानक 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से करीब चार गुना ज्यादा 226 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर हवा में बना रहा।  

Photo : DTE

 

 स्रोत :सीपीसीबी 

Subscribe to our daily hindi newsletter