देश के प्रदूषित शहरों में वाहनों की संख्या नियंत्रित करने का आदेश

एनजीटी ने कहा कि सभी राज्यों को वाहनों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए मास्टर प्लान की समीक्षा करनी होगी।

By Vivek Mishra

On: Monday 19 August 2019
 

देश में जनसंख्या नियंत्रण की बहस के बीच नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने वाहनों की संख्या नियंत्रित करने को लेकर भी आदेश दिया है। एनजीटी ने अपने आदेश में कहा है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की एक्सपर्ट टीम दो महीने के भीतर देश के चिन्हित 102 प्रदूषित शहरों को ध्यान में रखते हुए शहरों की धारण क्षमता और प्रदूषण स्रोतों के बंटवारे को लेकर न सिर्फ अध्ययन करे बल्कि एक मॉडल भी विकसित करे। पीठ ने कहा कि सीपीसीबी के इसी मॉडल को आधार बनाकर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय तीन महीने बाद इस दिशा में कदम उठाए। साथ ही सभी राज्य और संघ अपने मास्टर प्लान की इस मॉडल के आधार पर समीक्षा करें। पीठ ने कहा कि राज्यों को इस बारे में ट्रिब्यूनल और सीपीसीबी को रिपोर्ट दाखिल कर अवगत भी कराना होगा।

जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को मजबूत करने, सड़कों की मशीनी सफाई, पार्किंग सुविधा में बढ़ोत्तरी, ईंधन गुणवत्ता, ट्रैफिक प्रबंधन, गाइडलाइन के आधार पर निर्माण गतिविधियों पर सख्ती के साथ नियंत्रण खासतौर से ईंट-भट्ठों, थर्मल पावर प्लांट, कोयला आधारित वायु प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक ईकाइयां, हॉट मिक्स प्लांट की गतिविधियों पर सख्त नियंत्रण जरूरी है।

प्रदूषित शहरों की सूची में 20 नए नाम जुड़े

आंध्र प्रदेश के अनंतपुर, चित्तूर, इलुरू, कडापा, ओंगोल, राजमुंदरी, श्रीकाकुलम, विझिंयाग्राम का नाम वायु प्रदूषित शहरों की सूची में जोड़ा गया है। इसके अलावा उत्तराखंड का देहरादून, गुजरात का वड़ोदरा, महाराष्ट्र का ठाणे, ओडिशा का कलिंगा नगर, तमिलनाडु का त्रिचि, तेलंगाना का सांगारेड्डी, पश्चिम बंगाल का बैरकपोर, दुर्गापुर, हल्दिया, हावड़ा, रानीगंज का नाम भी वायु प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल किया गया है। एनजीटी ने कहा कि 102 वायु प्रदूषित शहरों की तर्ज पर इन 20 शहरों की भी कार्ययोजना तीन महीने के भीतर तैयार की जानी चाहिए।

आबादी के हिसाब से लगाएं निगरानी स्टेशन

एनजीटी ने कहा कि सभी प्रदेशों को तय आबादी के हिसाब से छह महीने के भीतर रीयल टाइम वायु गुणवत्ता की निगरानी वाले स्टेशनों की पर्याप्त संख्या बढ़ानी चाहिए। सीपीसीबी की रिपोर्ट के मुताबिक एक लाख से 5 लाख तक की आबादी में चार स्टेशन, वहीं, 5 लाख से ज्यादा और 10 लाख तक की आबादी में 6 स्टेशन, 10 लाख से ज्यादा और 50 लाख तक की आबादी के लिए 8 स्टेशन व 50 लाख से ज्यादा की आबादी के लिए 16 निगरानी स्टेशन लगाए जाने चाहिए।

रिहायशी इलाकों की औद्योगिक ईकाइयों को बंद करने के लिए बनाए उपाय

पीठ ने दोहराया कि ऐसे राज्य जिन्होंने अभी तक आमजनों की शिकायतों को दर्ज करने और उनका निपटारा करने के लिए कोई प्लेटफॉर्म नहीं बनाया है वे दो महीने के भीतर सीपीसीबी के “समीर मोबाइल एप” की तर्ज पर मोबाइल एप जैसी सुविधा विकसित करें। वायु गुणवत्ता स्थिति की रीयल टाइम जानकारी देने के लिए सीपीसीबी ने समीर एप विकसित किया है। पीठ ने कहा कि रिहायशी इलाकों में चल रही औद्योगिक ईकाइयों को बंद करने और उन्हें शिफ्ट करने की नीति भी राज्यों को विकसित करनी चाहिए। एनजीटी ने 6 अगस्त, 2019 को दिए गए आदेश में कहा कि खासतौर से ठंड के समय फसल अवशेषों, सूखी पत्तियों और लकड़ियों व मलबों के जलने पर सख्ती के साथ विराम लगना चाहिए। साथ ही उल्लंघन करने वालों पर उचित दंड लगाया जाना चाहिए।

तीन हिस्सों में बंटेगी पर्यावरणीय जुर्माने की रकम

एनजीटी ने कहा कि सभी राज्य दो महीनों के भीतर अपने कंसेंट फंड और एक्शन प्लान ट्रिब्यूनल व सीपीसीबी के पास जमा करें। सीपीसीबी सभी एक्शन प्लान पर समीक्षा को जांच-परख कर मंजूर करे। इसके बाद एक वर्ष के भीतर सभी राज्य अपनी योजना को अपने क्षेत्रों में लागू करें। वहीं पीठ ने कहा कि राज्य परिवहन निगम के जरिए जो भी पर्यावरणीय जुर्माना वसूला जाएगा वह 50:25:25 के अनुपात में तीन हिस्सों में बंटेगा। एनजीटी ने वायु प्रदूषण के अलावा ध्वनि प्रदूषण पर भी नियंत्रण करने और सीपीसीबी को राज्यों में मौजूद वैज्ञानिकों व तकनीकी कर्मचारियों की संख्या बताने का आदेश दिया है। एनजीटी मामले पर अगली सुनवाई 15 नवंबर को करेगी।

10 वर्षों में 80 फीसदी कम करना है वायु प्रदूषण

केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वच्छ हवा कार्यक्रम (एनसीएपी) के जरिए अगले दस वर्षों में 70 से 80 फीसदी वायु प्रदूषण करने का लक्ष्य रखा है। इस कार्यक्रम के तहत चिन्हित शहरों में अगले तीन वर्षों में 35 फीसदी, 5 वर्षों में 50 फीसदी वायु प्रदूषण में कटौती करना है।

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