वायु प्रदूषण के मामले में भारत से आगे पाकिस्तान, लाहौर है दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर

53.3 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के साथ भारत, दुनिया का आठवां सबसे प्रदूषित देश है। जहां वायु गुणवत्ता, विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानकों से दस गुणा ज्यादा खराब है

By Lalit Maurya

On: Wednesday 15 March 2023
 
वायु प्रदूषण के मामले में एक ही किश्ती पर सवार भारत-पाकिस्तान; फोटो: आईस्टॉक

वायु प्रदूषण के मामले में पाकिस्तान ने भारत से बाजी मार ली है। पता चला है कि 2022 में पाकिस्तान में पीएम 2.5 का औसत स्तर 70.9 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया था, जो उसे दुनिया का तीसरा सबसे प्रदूषित देश बनाता है।

वहीं यदि भारत की बात करें तो 53.3 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के साथ भारत इस लिस्ट में आठवें स्थान पर है। रिपोर्ट से पता चला है कि भारत में वायु गुणवत्ता, विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानकों से दस गुना ज्यादा खराब है। वहीं पीएम 2.5 के लिहाज से देखें तो अफ्रीकी देश चाड दुनिया का सबसे प्रदूषित देश हैं, जहां इसका स्तर 89.7 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया है।

इसके बाद 80.1 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के साथ इराक दूसरे स्थान पर है। जहां पिछले वर्ष की तुलना में पीएम 2.5 के स्तर में 61 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि हुई है। लिस्ट में इसके पाकिस्तान, बहरीन और बांग्लादेश का नंबर है।

यह जानकारी अंतराष्ट्रीय संगठन आईक्यू एयर द्वारा जारी नई रिपोर्ट “वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट 2022” में सामने आई है। गौरतलब है कि स्विस संस्थान आईक्यू एयर द्वारा 131 देशों के लिए जारी यह आंकड़े 30,000 से अधिक ग्राउंड बेस मॉनिटरिंग स्टेशनों से लिए गए हैं।

वहीं दूसरी तरफ भारत की बात करें तो वहां पिछले साल की तुलना में वायु गुणवत्ता में सुधार देखने को मिला है। जहां पीएम 2.5 के औसत स्तर में 8.3 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। हालांकि इसके बावजूद देश के कई शहरों में हालात अभी भी चिंताजनक हैं।

वहीं रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के केवल छह देशों में पीएम 2.5 का स्तर डब्लूएचओ द्वारा तय मानकों के अनुरूप हैं इन देशों में ऑस्ट्रेलिया, एस्टोनिया, फिनलैंड, ग्रेनाडा, आइसलैंड और न्यूजीलैंड शामिल हैं।

इसी तरह यदि दुनिया के सबसे प्रदूषित शहर की बात करें तो इस मामले में भी लाहौर सबसे ऊपर है जहां 2022 में पीएम 2.5 का औसत स्तर 97.4 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया है। वहीं 2021 में वायु गुणवत्ता का स्तर  86.5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रिकॉर्ड किया गया था।

दुनिया के 50 सबसे प्रदूषित शहरों में 39 भारतीय

वहीं 94.3 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के साथ चीन का होतान शहर दूसरे स्थान पर है, जबकि तीसरे स्थान पर भारत का भिवाड़ी शहर है जहां पीएम 2.5 का औसत स्तर 92.7 दर्ज किया गया है। इसके बाद  दिल्ली (92.6), पेशावर (91.8) और फिर दरभंगा (90.3) की बारी आती है।

आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में चौथे स्थान पर है। वहीं 2021 में इस मामले में दिल्ली पहले स्थान पर थी।

आंकड़ों के मुताबिक दुनिया के 50 सबसे प्रदूषित शहरों में 39 भारत में हैं। इनमें भिवाड़ी, दिल्ली, दरभंगा, आसोपुर, नई दिल्ली, पटना, गाजियाबाद, धारूहेड़ा, छपरा, मुजफ्फरनगर, ग्रेटर नोएडा, बहादुरगढ़, फरीदाबाद, मुजफ्फरपुर, नोएडा, जींद, चरखी दादरी, रोहतक, गया, आलमपुर, कुरुक्षेत्र, भिवानी, मेरठ, हिसार, भागलपुर, युमनानगर, बुलंदशहर, हाजीपुर, गुरुग्राम, लोहार माजरा कलान, दादरी, कैथल, फरीदकोट, फतेहगढ़ साहिब, हापुड़, जयंत, अंबाला, कानपुर और फतेहाबाद शामिल हैं।

यदि सिर्फ भारत के आंकड़ों पर गौर करें तो 2022 में देश का सबसे प्रदूषित भिवाड़ी था, जोकि राजस्थान में है। वहां पीएम 2.5 का औसत स्तर 170 दर्ज किया गया था। वहीं इस दौरान देश का सबसे साफ शहर तारकेश्वर था, जोकि पश्चिम बंगाल में है।

देखा जाए तो बढ़ता प्रदूषण पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी समस्या बन चुका है। इसके बारे में कहा जाता है कि स्वास्थ्य के लिए पर्यावरण से जुड़ा सबसे बड़ा खतरा है। यह समस्या कितना विकराल रूप ले चुकी है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हर साल 60 लाख से ज्यादा असमय मौतों के लिए यह बढ़ता प्रदूषण ही जिम्मेवार है।

स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बन चुका है वायु प्रदूषण

इतना ही नहीं 2022 में दुनिया में लोगों ने बीमारी से भरे 9,300 करोड़ दिन देखे थे। वैज्ञानिकों की मानें तो वायु प्रदूषण के संपर्क में आने स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरे पैदा हो जाते हैं। इनमें अस्थमा, कैंसर, फेफड़ों की बीमारियां, हृदय रोग और यहां तक की समय से पहले मृत्यु होना तक शामिल हैं।

साथ ही इसकी वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था को करीब 659.8 लाख करोड़ रुपए (800,000 करोड़ डॉलर) से ज्यादा का नुकसान हुआ था, जो दुनिया के वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद के 6.1 फीसदी हिस्से से भी ज्यादा है।

देखा जाए तो दुनिया में बढ़ता प्रदूषण कमजोर वर्ग के लिए कहीं ज्यादा जोखिम पैदा कर रहा है। पता चला है कि प्रदूषण से सम्बंधित 90 फीसदी से ज्यादा मौतें निम्न और मध्यम-आय वाले देशों में होती हैं। वहीं गिरती वायु गुणवत्ता के चलते 18 साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों के लिए जोखिम कहीं ज्यादा है।

वहीं जर्नल लैंसेट प्लैनेटरी हैल्थ में प्रकाशित एक नई रिसर्च से पता चला है कि दुनिया की केवल 0.001 फीसदी आबादी ही सुरक्षित हवा में सांस ले रही है। जहां प्रदूषण का वार्षिक औसत स्तर पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से कम है। मतलब की भारत सहित दुनिया की ज्यादातर आबादी ऐसी हवा में सांस लेने को मजबूर है जो उसे हर दिन बीमार कर रही है।

गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने पीएम 2.5 के लिए पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर का मानक तय किया है। डब्लूएचओ के अनुसार इससे ज्यादा दूषित हवा में सांस लेने से बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। इस तरह देखें तो दुनिया के केवल 0.18 फीसदी हिस्से में वायु गुणवत्ता का स्तर इससे बेहतर है।

वहीं दुनिया का 99.82 फीसदी हिस्सा पीएम 2.5 के उच्च स्तर के संपर्क में है। इस रिपोर्ट से पता चला है कि दक्षिणी और पूर्वी एशिया में वायु गुणवत्ता विशेष रूप से चिंताजनक है, जहां 90 फीसदी से अधिक दिनों में पीएम 2.5 की मात्रा 15 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा दर्ज किया गया था, जोकि डब्लूएचओ द्वारा तय मानकों से तीन गुणा ज्यादा है।

भारत में वायु गुणवत्ता की ताजा जानकारी आप डाउन टू अर्थ के एयर क्वालिटी ट्रैकर से भी प्राप्त कर सकते हैं।

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