भारत में एनीमिया को बढ़ा रहा है पीएम 2.5 प्रदूषण: अध्ययन
अध्ययन के अनुसार भारत में वायु प्रदूषण के नियंत्रण से महिलाओं में एनीमिया 53 प्रतिशत से गिरकर 39.5 प्रतिशत हो सकता है
On: Monday 14 November 2022

एक नए अध्ययन में पाया गया है कि लंबे समय तक हवा में मौजूद सूक्ष्म कणों (पीएम 2.5 प्रदूषक) के संपर्क में रहने से प्रजनन आयु (15-45 वर्ष ) की महिलाओं में एनीमिया का स्तर बढ़ सकता है।
अध्ययन के अनुसार, यदि प्रदूषण पर नियंत्रण किया जाए तो 15-45 वर्ष के आयु की भारतीय महिलाओं में एनीमिया के बोझ को कम किया जा सकता है। यदि भारत अपने हालिया स्वच्छ वायु लक्ष्यों को पूरा करता है तो एनीमिया का प्रसार 53 प्रतिशत से गिरकर 39.5 प्रतिशत हो जाएगा। भारत में 15 से 45 वर्ष की महिलाओं में एनीमिया दुनिया में सबसे अधिक है।
यह अध्ययन आईआईटी-दिल्ली और आईआईटी-बॉम्बे सहित भारत, अमेरिका और चीन के संस्थानों और संगठनों के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है।
निष्कर्ष बताते हैं कि परिवेशी पीएम2.5 के सम्पर्क में आने से प्रत्येक दस माइक्रोग्राम / क्यूबिक मीटर वायु वृद्धि के लिए, ऐसी महिलाओं में औसत एनीमिया का प्रसार 7.23 प्रतिशत बढ़ जाता है।
परिणाम बताते हैं कि स्वच्छ ऊर्जा को अपनाने से 'एनीमिया मुक्त' मिशन लक्ष्य की दिशा में भारत की प्रगति में तेजी आएगी। अध्ययन में कहा गया है, जो विभिन्न जिलों में 2.5 का पीएम स्तर के साथ राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -4 और राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय के आंकड़ों पर गौर करता है।
पीएम 2.5 स्रोतों में, सल्फेट और ब्लैक कार्बनिक कार्बन और धूल की तुलना में एनीमिया से अधिक जुड़े हुए हैं, अध्ययन में पाया गया है कि क्षेत्रीय आधार पर जिम्मेवारों में उद्योग सबसे अधिक जिम्मेदार पाए गए। इसके बाद असंगठित क्षेत्र, घरेलू स्रोत, बिजली क्षेत्र, सड़क की धूल, कृषि अपशिष्ट जलाने और परिवहन क्षेत्र का स्थान रहा।
दुनिया भर में विभिन्न बीमारियों के लिए एनीमिया, एक प्रमुख योगदानकर्ता, खून की कमी हीमोग्लोबिन की मात्रा की विशेषता है और अक्सर लाल रक्त कोशिकाओं में कमी के कारण होता है। इससे रक्त की ऑक्सीजन को ले जाने की क्षमता कम हो जाती है।
प्रजनन आयु की महिलाएं मासिक धर्म के कारण नियमित रूप से आयरन की कमी से पीड़ित हो सकती हैं और इसलिए विशेष रूप से एनीमिया (हल्के से गंभीर तक) विकसित होने का खतरा होता है। आहार में आयरन की कमी एनीमिया का एक अन्य प्रमुख कारण है।
अन्य योगदान कारकों में आनुवंशिक विकार, परजीवी संक्रमण और पुरानी बीमारियों से सूजन शामिल हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2053 तक प्रजनन आयु की महिलाओं में एनीमिया को आधा करने का वैश्विक लक्ष्य रखा है। यह अध्ययन नेचर सस्टेनेबिलिटी जर्नल में प्रकाशित हुआ है।