सर्दियों में बढ़ सकता है प्रदूषण, तत्काल कार्रवाई की जरूरत: सीएसई

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट ने सर्दियो के दौरान होने वाले प्रदूषण का विश्लेषण जारी किया

By DTE Staff

On: Friday 22 October 2021
 
Photo: istock

 

विज्ञान एवं पर्यावरण के क्षेत्र में काम कर रही स्वयंसेवी संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) ने 22 अक्टूबर, 2021 को सर्दियों की शुरुआत के साथ ही राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की हवा की गुणवत्ता के आंकड़ों का विश्लेषण जारी किया है।

सीएसई ने 1 जनवरी, 2018 से 15 अक्टूबर, 2021 की अवधि के दौरान सालाना और सीजनल पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 के आंकड़ों का आकलन किया है। पीएम 2.5 का मतलब वायुमंडल में प्रदूषित उन कणों से है, जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर से कम होता है

विश्लेषण में पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के 67 शहरों में फैले 156 वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों द्वारा जारी आंकड़ों को शामिल किया गया है।

सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी ने कहा कि इस विश्लेषण का मकसद सर्दियों के दौरान होने वाले प्रदूषण के स्तर को समझना है, साथ ही इसका दीर्घकालिक असर का भी आकलन करना है।

उन्होंने कहा कि पिछले वर्षों की तुलना में 2021 की सर्दी की शुरुआत स्वच्छ हवाओं से हो रही है। इसका बड़ा कारण यह है कि इस साल मानसून की वापसी देरी हो हुई है। 

अनुमिता रॉयचौधरी ने साफ-साफ कहा कि अभी यह भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है कि इस सर्दियों में प्रदूषण का स्तर कैसे रहने वला है, क्योंकि 2021 में लॉकडाउन के बावजूद भी गर्मियों में प्रदूषण का स्तर अधिक था। यह एक चिंता की बात है। इस सर्दियों में प्रदूषण हमें किस तरह से प्रभावित करेगा, यह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि हम इसे रोकने के लिए कितनी तेजी और गंभीरता से कार्रवाई करते हैं। 

सीएसई के इस विश्लेषण में दिल्ली के ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान में बताई गई तारीखों के आधार पर 15 अक्टूबर से 15 फरवरी के बीच सर्दी का मौसम माना गया है, जबकि गर्मी का मौसम 16 फरवरी से 30 जून तक माना गया है। मानसून की अवधि और बारिश का चरण 1 जुलाई से 15 अक्टूबर तक की अवधि को माना जाता है।

सीएसई ने कहा है कि विश्लेषण के लिए मौसम संबंधी आंकड़े भारत मौसम विज्ञान विभाग के पालम मौसम केंद्र से लिए गए हैं। आग लगने की घटनाओं को गिनने के आंकड़े नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) की फायर इंफॉर्मेशन फॉर रिसोर्स मैनेजमेंट सिस्टम से प्राप्त किए गए है। इसके अलावा दिल्ली की वायु गुणवत्ता में खेत के पराली के धुएं के योगदान का अनुमान केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली से लिया गया है।

सीएसई में अर्बन डेटा एनालिटिक लैब के प्रोग्राम मैनेजर अविकल सोमवंशी ने कहा कि इस सर्दी में स्मॉग बहुत तेजी से बढ़ेगा, क्योंकि इस सीजन में अपने समय के मुकाबले बारिश देरी से बंद हुई है, पराली जलाने की घटनाएं भी बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि इसका मुकाबला करने के लिए तुरंत कार्रवाई तेज कर देनी चाहिए। 

रॉयचौधरी ने कहा कि आने वाले दिनों में बढ़ने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई शुरू कर देगी चाहिए, इनमें यातायात की मात्रा कम करना, अपशिष्ट जलना बंद करना, प्रदूषण फैलाने वाले औद्योगिक ईंधन को रोकना और धूल नियंत्रण उपायों को लागू करना शामिल है। खासकर निर्माण क्षेत्र में धूल को रोकना होगा। 

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