पर्यावरण प्रदूषित कर रहे यूपी के पॉल्ट्री फार्म, पांच साल पुरानी गाइडलाइन लागू करेगा यूपीपीसीबी
एनजीटी ने फटकार लगाते हुए अपने आदेश में कहा था कि मुर्गी पालन केंद्रों के जरिए हो रहे पर्यावरणीय प्रदूषण को लेकर राज्य के पास कोई गाइडलाइन नहीं है
On: Tuesday 17 March 2020


उत्तर प्रदेश में मुर्गी पालन केंद्रों के लिए पर्यावरणीय मानकों की कोई ठोस गाइडलाइन न होने के कारण प्रदूषण जारी है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के 16 दिसंबर, 2019 को दिए गए सख्त आदेश के बाद उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की 2015 की गाइडलाइन को ही राज्य में लागू करने का मन बनाया है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में हलफनामा दाखिल कर यह जानकारी दी है कि मुर्गी पालन केंद्रों के लिए 20 अक्तूबर, 2015 को सीपीसीबी की ओर से तैयार की गई पर्यावरणीय गाइडलाइन को ही जस का तस राज्य में लागू किया जा सकता है। इस गाइडलाइन को ही राज्य में लागू करने के लिए प्रस्तावित किया गया है।
याची सुंदर की ओर से पर्यावरणीय प्रदूषण फैलाने वाले मुर्गी पालन केंद्रों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग उठाई गई थी। वहीं 28 अगस्त, 2019 को यूपीसीबी ने मुर्गी पालन केंद्रों के जरिए पर्यावरणीय प्रदूषण की समस्या के सवाल पर अपनी रिपोर्ट में कहा था कि राज्य में एक लाख से कम पक्षियों वाले पालन केंद्रों को कंसेंट टू ऑपरेट (संचालन की अनुमति) की आवश्यकता नहीं है।
इसके बाद एनजीटी ने फटकार लगाते हुए अपने आदेश में कहा था कि यह स्पष्ट है कि मुर्गी पालन केंद्रों के जरिए हो रहे पर्यावरणीय प्रदूषण को लेकर राज्य के पास कोई गाइडलाइन नहीं है। न ही पॉल्ट्री फार्म के प्रदूषण को कम करने के लिए कोई उपाय किए गए हैं। पॉल्ट्री फॉर्म से होने वाले दूषित पानी डिस्चार्ज को लेकर भी कोई नियम कायदा नहीं है। इसलिए राज्य को सभी ऐसे मुर्गी पालन केंद्रों के लिए प्रदूषण नियंत्रण वाली गाइडलाइन विकसित करनी चाहिए।
सीपीसीबी ने पोल्ट्री फार्म स्थापित और संचालित करने के लिए 2015 की गाइडलाइन में प्रदूषण रोकथाम और बचाव के लिए कई मानक निर्देशित किए हैं। मसलन पोल्ट्री फार्म को भू-जल स्तर से 2 मीटर की ऊंचाई और फिर तल से 0.5 मीटर ऊंचाई पर बनाना है। पोल्ट्री फॉर्म से निकलने वाले गंदे पानी को एक टैंक में एकत्र करना है। वाटर बॉडीज से दस मीटर की दूरी कम से कम रखना है। पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम के लिए सीपीसीबी की ओर से स्थापना और संचालन के कई मानक तय किए गए हैं।