200 अध्ययनों की समीक्षा: वाहनों के प्रदूषण से मृत्यु दर में आता है उछाल

सिर्फ वाहनों का उत्सर्जन नहीं है जिसका स्वास्थ्य समस्याओं से गहरा संबंध है बल्कि टायरों और सड़क की सतहों के घिसने और यहां तक कि ब्रेक लगने से भी कणों को हवा में धकेला जाता है

By Dayanidhi

On: Monday 01 May 2023
 
200 अध्ययनों की समीक्षा: वाहनों के प्रदूषण से मृत्यु दर में आता है उछाल
फोटो साभार :सीएसई फोटो साभार :सीएसई

शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने वायु प्रदूषण पर लगभग 200 अध्ययनों की क्रमिक समीक्षा की है। उन्होंने वाहनों से होने वाले प्रदूषण से लंबी अवधि तक होने वाले खतरों और मृत्यु दर में वृद्धि के बीच एक मजबूत संबंध पाया है। शोधकर्ताओं में स्वास्थ्य विशेषज्ञ, स्वास्थ्य विज्ञानी, प्रदूषण विशेषज्ञ और जैव सांख्यिकीविदों की टीम शामिल थी।

जैसा कि शोध टीम ने पाया और पूर्व में किए गए अध्ययनों से भी पता चलता है कि वायु प्रदूषण लोगों के लिए खतरनाक है, यह न केवल फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है बल्कि कई तरह की बीमारियों को जन्म देता है। प्रदूषण से मनुष्य की आंख, त्वचा और आंत्र की समस्याएं भी होने की आशंका जताई गई है।

जबकि प्रदूषित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों पर वायु प्रदूषण के प्रभाव की जांच करने वाले कई अध्ययनों ने वायु प्रदूषण में योगदान देने में मोटर वाहन यातायात की भूमिका पर भी गौर किया है, हालांकि ऐसे बहुत कम अध्ययन हैं जहां लोगों पर सिर्फ यातायात संबंधी प्रदूषण के प्रभाव को देखा गया है।

इस नए प्रयास में, शोधकर्ताओं ने शोध अध्ययनों की तलाश में केवल उस पर गौर किया साथ ही कई जगहों की खोज की और उनमें से लगभग 200 अध्ययनों को शामिल किया।

अध्ययनों के आंकड़ों का विश्लेषण कर, उन्हें देखने से शोधकर्ताओं ने पाया कि, अध्ययनों में काम अलग-अलग तरीकों से किए गए थे, कुछ ने एक ही टीम पर वाहनों के प्रदूषण के प्रभाव को देखा, उदाहरण के लिए, जैसे कि कैलिफोर्निया में शिक्षकों की टीम। अन्य ज्यादातर स्थानीय थे, बार्सिलोना और रोम जैसे शहरों को देखते हुए, जबकि अन्य ने जापान और डेनमार्क जैसे पूरे देशों को देखा।

उन्होंने यह भी पाया कि इस तरह के अधिकांश अध्ययन एक ही निष्कर्ष पर पहुंचे, लंबे समय तक वाहनों के प्रदूषण के संपर्क में रहने से मृत्यु दर में वृद्धि होने के आसार होते हैं। वाहनों के प्रदूषण से ज्यादातर मौतें फेफड़ों की बीमारियों जैसे कैंसर या सीओपीडी में वृद्धि के कारण होती है।

लेकिन शोध टीम को कुछ और भी मिला, यह सिर्फ वाहनों का उत्सर्जन नहीं है जिसका स्वास्थ्य समस्याओं से गहरा संबंध है। टायरों और सड़क की सतहों के घिसने और यहां तक कि वाहनों पर ब्रेक लगाने से भी कणों को हवा में धकेला जाता है।

उन्होंने यह भी पाया कि जब कार सड़क पर तेजी से चलती है तो धूल या गंदगी के कण हवा में मिल जाते हैं। इस प्रकार, भले ही कारों को विद्युत शक्ति या इलेक्ट्रॉनिक वाहनों में क्यों न परिवर्तित कर दिया जाए, फिर भी इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। दुनिया भर में सड़कों पर चलने वाली अरबों कारों से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को कम करने के लिए काम करने की आवश्यकता है। यह शोध एनवायरनमेंट इंटरनेशनल पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।

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