दिल्ली-एनसीआर में ओजोन प्रदूषण का खतरा बढ़ा, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट ने चेताया

देश की राजधानी दिल्ली और उसके आसपास बसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में तेजी से ओजोन प्रदूषण का खतरा बढ़ रहा है

By Anil Ashwani Sharma

On: Monday 05 June 2023
 

देश की राजधानी दिल्ली और उसके आसपास बसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में तेजी से ओजोन प्रदूषण का खतरा बढ़ रहा है। इसके अलावा इस क्षेत्र में कई और प्रकार के प्रदूषक भी तेजी से अपने पैर पसार रहे हैं। समय रहते यदि इस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो भविष्य में आमजन के स्वास्थ्य के लिए एक भयावह संकट पैदा हो सकता है। इस संकट पर काबू पाने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस पर सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने एक चेतावनी जारी की है।

सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रायचौधरी का कहना है कि ओजोन की तेजी से बढ़ती समस्या को लेकर हमने लगातार चेताया है। लेकिन अपर्याप्त निगरानी, सीमित आंकड़े और विश्लेषण के अनुपयुक्त तरीकों ने इस बढ़ते सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे की समझ को लगातार और कमजोर किया है। यही नहीं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रतिदिन वायु प्रदूषण द्वारा एकत्रित किए जा रहे आंकड़े भी इस प्रदूषक को पकड़ पाने में असफल साबित हो रहे हैं।  

सवाल उठना लाजिमी है कि ओजोन प्रदूषण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता क्यों आन पड़ी? ध्यान रहे कि अब तक स्वास्थ्य क्षेत्र में किए गए शोध यह बताते हैं कि ओजोन प्रदूषण भारत में एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में तेजी से बढ़ रही है। स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर-2020 की रिपोर्ट में कहा गया है कि ओजोन प्रदूषण के कारण भारत में मृत्यु दर सबसे अधिक है। जमीनी स्तर का ओजोन किसी भी स्रोत से सीधे तौर पर उत्सर्जित नहीं होती है। यह नाइट्रोजन ऑक्साइड (एनओएक्स), वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (वीओसी), कार्बन मोनोऑक्साइड के बीच क्रिया करने से उत्पन्न होती है। ओजोन न शहरी प्रदूषण के कारण बनती है। यह न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है बल्कि फसल उत्पादन और खाद्य सुरक्षा को भी प्रभावित करती है।

इस अत्यधिक प्रतिक्रियाशील गैस के कई प्रकार के गंभीर स्वास्थ्य परिणाम सामने आए हैं। इससे सांस की समस्या, अस्थमा और विशेष रूप से समय से पहले फेफड़े को गंभीर खतरा होता है। यह सांस लेने वाली नलिका में सूजन जैसी क्षति पहुंचा सकती है। इसके अलावा फेफड़ों को संक्रमण के प्रति अतिसंवेदनशील बना सकती है, अस्थमा केदौरे को बढ़ा सकती है।

गर्मी के लगभग सभी दिनों में ग्राउंड-लेवल पर ओजोन की अधिकता की सूचना दी जाती है। इस गर्मी में ओजोन की अधिकता 1 मार्च से 30 मई के बीच 87 दिनों में दर्ज की गई थी। पिछले पांच वर्षों में यह देखा गया है कि जमीनी स्तर पर ओजोन सभी मौसम में समस्या बनी रही है, लेकिन यह अप्रैल और मई के महीनों में खतरनाक स्थिति पैदा करती है।

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जमीनी स्तर पर ओजोन खतरनाक तरीके से वर्ष भर में कभी भी पैदा हो सकती है। लेकिन यह आमतौर पर जब गर्मी नहीं होती तो इसके पैदा होने की संभावना काफी कम रहती है। इसके लिए व्यापक रूप से तेज गर्मी और तेज धूप की आवश्यकता अधिक होती है जो कि आमतौर पर गर्मियों में मौजूद होती है। विशेष रूप से अप्रैल से मई के बीच का समय इसके पैदा होने की सबसे अधिक अनुकूल स्थिति होत है।

विश्लेषण में कहा गया है कि मार्च-अप्रैल के दौरान दिल्ली-एनसीआर में जमीनी स्तर के ओजोन प्रदूषण का भौगोलिक प्रसार पिछले पांच वर्षों में सबसे कम रहा है। यही नहीं ओजोन का प्रसार दिल्ली-एनसीआर में हर साल के मुकाबले इस वर्ष कम रहा है।

भले ही इस गर्मी में जमीनी स्तर के ओजोन का प्रसार कम हुआ हो, लेकिन इसकी अवधि बढ़ गई है। नई दिल्ली और दक्षिण दिल्ली के आसपास का इलाका ओजोन प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित है। दक्षिणी दिल्ली का नेहरू नगर दिल्ली-एनसीआर में सबसे अधिक प्रभावित वाला क्षेत्र रहा है। विश्लेषण में कहा गया है कि इस मार्च से मई के बीच 75 दिनों तक इस स्थान में मानक से अधिक ओजोन का प्रसार हुआ। इसके बाद श्री अरबिंदो मार्ग, डॉ केएस शूटिंग रेंज और मंदिर मार्ग सबसे अधिक ओजोन प्रदूषित क्षेत्र हैं।

यही नहीं गाजियाबाद, गुरुग्राम और ग्रेटर नोएडा भी ओजोन प्रदूषण से गंभीर रूप से प्रभावित हैं। फरीदाबाद क्षेत्र में ओजोन की अधिकता के कम से कम मामले सामने आए हैं। जमीनी स्तर पर सबसे अधिक ओजोन की अधिकता दर्ज करने वाले स्थानों में दिल्ली में नेहरू नगर, अरबिंदो मार्ग, डॉ केएस शूटिंग रेंज, मंदिर मार्ग, अलीपुर और पटपड़गंज शामिल हैं। गाजियाबाद में संजय नगर और वसुंधरा, गुरुग्राम में ग्वाल पहाड़ी और ग्रेटर नोएडा में नॉलेज पार्क।

जबकि दिल्ली-एनसीआर में सबसे कम ओजोन प्रदूषण वाले स्थानों में दिल्ली में पंजाबी बाग, अशोक विहार, सिरी फोर्ट, चांदनी चौक, नॉर्थ कैंपस और पूसा शामिल हैं। फरीदाबाद में सेक्टर 16 ए और 11, न्यू इंडस्ट्रियल टाउन और नोएडा में सेक्टर 1 शामिल हैं।

हालांकि, ओजोन प्रदूषण का प्रसार में सबसे अधिक सुधार दिखने वाले स्थानों में दिल्ली के सिरी फोर्ट, जेएलएन स्टेडियम, नरेला, सोनिया विहार, बवाना, अशोक विहार और द्वारका सेक्टर 8 शामिल हैं। फरीदाबाद में सेक्टर 16ए और गाजियाबाद में इंदिरापुरम और लोनी शामिल हैं।

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