पराली पर सरकार की सख्ती से किसान परेशान, नहीं कट पा रही धान की फसल
उत्तर प्रदेश के किसानों पर दबाव डाला जा रहा है कि आधुनिक कंबाइन मशीन (पराली की कटाई के लिए पीछे एक विशेष मशीन लगी हो) का इस्तेमाल किया जाए
On: Friday 08 November 2019
बलिराम सिंह
उत्तर प्रदेश में किसानों को पराली जलाने से सख्ती से रोका जा रहा है, इससे किसान खासे परेशान हैं। किसानों पर दबाव डाला जा रहा है कि आधुनिक कंबाइन मशीन (पराली की कटाई के लिए पीछे एक विशेष मशीन लगी हो) का इस्तेमाल किया जाए। लेकिन किसानों की समस्या यह है कि फिलहाल उत्तर प्रदेश में इस तरह की मशीनें ही नहीं है। इस वजह से कुछ इलाकों में धान की कटाई नहीं हो पा रही है।
उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में धान की पैदावार अच्छी होती है। सिद्धार्थनगर जनपद काला नमक नामक विशेष किस्म की धान की फसल के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। यहां पर लगभग हर किसान अपनी जमीन के कुछ हिस्सा में ‘काला नामक’ नामक विशेष किस्म की धान की खेती जरूर करता है। जनपद के किसान एवं सामाजिक कार्यकर्ता आत्माराम पटेल कहते हैं कि सामान्य कांबाइन मशीन से धान की कटाई पर प्रशासन रोक लगा रहा है। ऐसी स्थिति में किसान असमंजस की स्थिति में हैं।
सिद्धार्थनगर के झुंगवा गड़ोरी गांव के किसान कन्हैया लाल यादव ने कहा कि पुलिस ने उन्हें सामान्य कंबाइन मशीन से धान की कटाई करने से रोक दिया। वहीं, दुबौली गांव के राजेश चौधरी ने कहा कि स्थानीय पुलिस कर्मचारियों ने आकर कंबाइन मशीन रुकवा दी और कहा कि उन्हें आदेश मिला है कि जब तक कंबाइन मशीन में पराली काटने वाली मशीन नहीं होगी, तब तक धान कटाई नहीं की जा सकती। तिगोड़वा गांव के दिनेश चंद चौधरी व रामदास और संत कबीर नगर के महुली बाजार के रामजीत चौधरी की भी यही शिकायत है।
किसान आत्माराम पटेल कहते हैं कि पराली काटने के लिए रीपर मशीन का इस्तेमाल होता है। यह कई तरह की होती है। मॉडर्न कंबाइन मशीन में पीछे भी इसका इस्तेमाल होता है, ताकि कंबाइन द्वारा छोड़े गए पराली को यह भूसा में तब्दील कर दे। कंबाइन मशीन में इसे लगाने पर 2 लाख रुपए का अतिरिक्त खर्च आता है। पंजाब में इस तरह की मशीनों का इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन उत्तर प्रदेश में फिलहाल इसका चलन नहीं है। पंजाब में इसे एसएमएस (सुपर स्ट्रॉय मैनेजमेंट सिस्टम) मशीन कहते हैं।
आत्माराम कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में फिलहाल पराली की कटाई के लिए ट्रैक्टर के साथ रीपर मशीन का इस्तेमाल होता है। इस मशीन की कीमत 4 लाख रुपए और लगभग 8 लाख रुपए का 60 हार्स पॉवर के ट्रैक्टर की जरूरत होती है। अर्थात लगभग 20 लाख रुपए की कंबाइन मशीन के साथ 12 लाख रुपए की रीपर मशीन का इस्तेमाल करना पड़ता है।