जालौन में रेत खनन के लिए कैसे दे दी गई पर्यावरण मंजूरी, आवेदक ने समिति रिपोर्ट पर भी जताई आपत्ति

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Wednesday 10 August 2022
 

जालौन के नंधा गांव में रेत खनन के लिए दी गई पर्यावरण मंजूरी पर आवेदक ने सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि रेत खनन के लिए प्रस्तावित साइट मगरमच्छों का आवास स्थल है। इतना ही नहीं आवेदक ने संयुक्त समिति द्वारा एनजीटी में सबमिट रिपोर्ट पर भी आपत्ति जताई है।

गौरतलब है कि राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण ने मेसर्स आर.एन.एस. प्राइवेट लिमिटेड को 3 दिसंबर, 2021 को इस स्थल पर रेत खनन को पर्यावरण मंजूरी दे दी थी, जिस पर आवेदक ने सवाल उठाए हैं। परियोजना प्रस्तावक को इस स्थान पर करीब 8.502 हेक्टेयर क्षेत्र में बालू और रेत खनन के लिए मंजूरी दी गई है।

अपीलकर्ता का कहना है कि संयुक्त समिति द्वारा सबमिट रिपोर्ट स्पष्ट दर्शाती है कि परियोजना प्रस्तावक ने अभी तक उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से संचालन के लिए सहमति प्राप्त नहीं की है। इसके साथ ही उसने पर्यावरण मंजूरी (ईसी) के नियमों और शर्तों के तहत वनस्पतियों और जीवों के अध्ययन का प्राथमिक सर्वेक्षण नहीं किया है। अपीलकर्ता ने यह भी जानकारी दी है कि इस परियोजना के लिए सामान्य शर्तों और पर्यावरण मंजूरी की विशिष्ट शर्तों के सन्दर्भ में अनुपालन रिपोर्ट भी अब तक प्रस्तुत नहीं की गई है।

इतना ही नहीं अपीलकर्ता ने संयुक्त समिति की रिपोर्ट पर भी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि रिपोर्ट अपील में उठाई गई दो प्रमुख शिकायतों को संबोधित नहीं करती है, जो 18 फरवरी, 2022 को एनजीटी के आदेश का भी हिस्सा हैं।

उनका कहना है कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के अंतर्गत खनन के लिए पट्टे पर दिया यह क्षेत्र मगरमच्छों का निवास स्थान है और वे इस क्षेत्र का उपयोग घोंसले और शिकार के लिए करते हैं। इतना ही नहीं परियोजना प्रस्तावक ने उपरोक्त तथ्यों को छुपाकर पर्यावरण मंजूरी प्राप्त की है।

विचाराधीन स्थान एक चट्टानी भूभाग है जिसमें खनन के लिए आवश्यक खनिज नहीं है, ऐसे में अपीलकर्ता की कृषि भूमि पर भी अवैध खनन किया जा सकता है, जोकि प्रस्तावित स्थान के पास ही है।

ऐसे में अपीलकर्ता ने अनुरोध किया है कि उत्तर प्रदेश सरकार और मुख्य वन्य जीव संरक्षक को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिया जाए कि प्रस्तावित खनन स्थल का उपयोग मगरमच्छों द्वारा किया जा रहा है या नहीं।

अल्मोड़ा में जल स्रोत को प्रभावित कर सकती है प्रस्तावित सड़क: रिपोर्ट

संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अल्मोड़ा के मालिया धधरिया गांव में प्रस्तावित सड़क जल स्रोत को प्रभावित कर सकती है। ऐसे में यदि प्रस्तावित सड़क को घुमा दिया जाए तो उससे यह जल स्रोत बच सकता है।

मामला उत्तराखंड की नमक खुमाड़ तहसील के मालिया धधरिया गांव का है। गौरतलब है कि उत्तराखण्ड सरकार की ओर से यह रिपोर्ट मुख्य सचिव एवं लोक निर्माण विभाग, देहरादून द्वारा शपथ पत्र के रूप में दाखिल की गई है। इस प्रस्तावित सड़क की कुल लंबाई 21 किलोमीटर है। जिसमें से 2.225 किलोमीटर के मोटर रोड का निर्माण किया जा रहा है।

जानकारी मिली है कि यह सड़क ग्राम मालिया धधरिया स्थित जल स्रोत 'नौला' से लगभग 20 मीटर ऊपर है। संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस मोटर मार्ग के निर्माण से उक्त जल स्रोत क्षतिग्रस्त हो सकता है।

ऐसे में संयुक्त समिति ने मालिया धधरिया और तल्ला धधरिया गांव के निवासियों से बातचीत करने पर पाया कि यदि प्रस्तावित सड़क को घुमा दिया जाए तो इस जल स्रोत को बचाया जा सकता है। लेकिन साथ ही यदि ऐसा किया जाता है तो इस सड़क की लम्बाई 200 मीटर बढ़ जाएगी।

इस बारे में लोक निर्माण विभाग का कहना है कि नए एलाइनमेंट के लिए सक्षम प्राधिकारी से स्वीकृति लेनी होगी। इसका लोक निर्माण विभाग रानीखेत के कार्यपालक अभियंता से सर्वे कराया जा रहा है और इसके बाद ग्रामीणों से भूमि अधिग्रहण की सहमति लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

9 अगस्त 2022 को एनजीटी के समक्ष दायर इस रिपोर्ट में कहा गया है कि एक बार जब ग्रामीणों द्वारा अपेक्षित सहमति मिल जाती है तो इस सर्वेक्षण के अनुसार सड़क के एलाइनमेंट में बदलाव के लिए पीडब्ल्यूडी प्राधिकारी से स्वीकृति ली जाएगी।

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