तेलंगाना: अवैध स्टोन क्रशरों को बंद करने के आदेश, लगाया जुर्माना

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Wednesday 16 November 2022
 

तेलंगाना राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) द्वारा 15 नवंबर, 2022 को सबमिट रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि रंगारेड्डी और संगारेड्डी जिलों के वट्टिनगुलापल्ली, कोकापेट, गौल्डोड्डी, गोपनपल्ली, कोल्लूर, कोतवालगुडा, उस्माननगर गांवों में चल रहे अवैध स्टोन क्रशर के खिलाफ कार्रवाई की गई है।

गौरतलब है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 14 अक्टूबर, 2022 को तेलंगाना एसपीसीबी को उन स्टोन क्रशर पर की गई कार्रवाई के बारे में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। एसपीसीबी के अधिकारियों ने हिमायतसागर और उस्मानसागर झील के 10 किलोमीटर के दायरे में मौजूद स्टोन क्रशिंग इकाइयों का निरीक्षण किया थी। इन स्टोन क्रशिंग इकाइयों की स्थिति के बारे में यह जानकारी साझा की गई है:

  • तीन स्टोन क्रशर इकाइयां के पास वैध सहमति (सीएफओ) थी इसलिए उन इकाइयों पर पर्यावरण जुर्माना नहीं लगाया गया है।
  • 13 क्रशिंग इकाइयों को नष्ट कर दिया गया है और इन इकाइयों में कोई गतिविधि नहीं देखी गई।
  • तेलंगाना एसपीसीबी की उपस्थिति में राजस्व अधिकारियों द्वारा पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन करने वाले 12 स्टोन क्रशरों को जब्त कर लिया गया है। जब्ती के बाद यह क्रशर बंद पड़े हैं और इन्हें मुआवजा भरने का आदेश दिया है।
  • उनमें से मैसर्स एसएमआई स्टोन क्रशर (शमा मेटल इंडस्ट्री) को 3 लाख और मैसर्स डीबीआर मेटल इंडस्ट्री को 83.6 लाख रुपए का जुर्माना भरने का निर्देश दिया गया है। यह दोनों ही रंगारेड्डी जिले के कोठवलगुडा, शमशाबाद में चल रहे थे।

साथ ही तेलंगाना राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि वो जारी निर्देशों का पालन हो रहा है इसको देखने के लिए स्टोन क्रशिंग इकाइयों की नियमित निगरानी करेगा।

एनजीटी ने हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड को पर्यावरण बहाली पर ध्यान देने का दिया निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड की इस दलील को स्वीकार कर लिया है कि कंपनी पर लगाए गए 25 करोड़ रुपये के जुर्माने को पर्यावरणीय मुआवजे के बजाय कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) गतिविधि के रूप में माना जाए।

गौरतलब है कि एनजीटी ने गत 2 फरवरी, 2022 को हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड पर पर्यावरणीय जुर्माने के रूप में 25 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था। मामला राजस्थान के भीलवाड़ा की हर्ड तहसील के अगुचा और रामपुरा में 1200 हेक्टेयर खनन क्षेत्र में पर्यावरण नियमों के उल्लंघन से जुड़ा है। इस क्षेत्र में सीसा, जस्ता और संबंधित खनिजों के खनन के लिए पट्टा दिया गया था।

शिकायतों पर गौर करने के बात पाया गया कि भारी विस्फोट और भूमिगत खनन के चलते इस क्षेत्र में पानी के स्रोत दूषित हो गए हैं। इससे मवेशी प्रभावित हुए हैं और कृषि भूमि और यहां रहने वाले लोगों के घरों के पास धूल और पत्थर जमा हो जाते हैं।

साथ ही खदानों से दूषित अपशिष्ट जल छोड़ा जाता है। इस मामले में एनजीटी गठित एक संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इससे जल स्रोतों के साथ कृषि उपज, और पशुधन को नुकसान पहुंचा है। भूजल के दूषित होने के साथ ही भूमि की गुणवत्ता में गिरावट आई है।

ऐसे में एनजीटी की प्रिंसिपल बेंच ने 14 नवंबर, 2022 को निर्देश दिया है कि कार्य योजना के निष्पादन के दौरान, भूजल और मिट्टी की गुणवत्ता के संरक्षण के लिए माइक्रो वाटरशेड प्रबंधन योजना और घरों के लिए स्वास्थ्य कार्ड पर ठीक तरीके से ध्यान देना होगा।

इसके अलावा, उचित निगरानी और मूल्यांकन के लिए, एक विश्वसनीय एजेंसी के माध्यम से परियोजना प्रस्तावक द्वारा उपचारात्मक उपायों का एक स्वतंत्र तीसरे पक्ष के माध्यम से सत्यापन किया जाना चाहिए और इसकी रिपोर्ट, बहाली उपायों के पूरा होने तक हर छह महीने में कंपनी की वेबसाइट पर डाली जानी चाहिए।

लक्षद्वीप में सिंगल यूस प्लास्टिक को कर दिया गया है बैन 

लक्षद्वीप में सिंगल यूस प्लास्टिक के उन्मूलन पर कार्य योजना के तहत गतिविधियों की निगरानी के लिए राज्य, जिला और आइलैंड के स्तर पर एक तीन-स्तरीय  समिति का गठन किया गया है।

जानकारी मिली है कि लक्षद्वीप प्रशासन ने सभी प्रकार के प्लास्टिक पिक अप कैरी बैग पर प्रतिबंध लगा दिया है और सिंगल यूस प्लास्टिक की पहचानी गई 23 वस्तुओं की बिक्री और उपयोग को भी प्रतिबंध कर दिया है। यह जानकरी 15 नवंबर 2022 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल  के समक्ष केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप द्वारा दायर रिपोर्ट में कही गई हैं।

जानकारी दी गई है कि किचन वेस्ट के प्रबंधन के लिए वहां 43 बायोगैस प्लांट काम कर रहे हैं। लक्षद्वीप में कोई भी अनियंत्रित कचरा डंपसाइट और सैनिटरी लैंडफिल नहीं है और केंद्र शासित प्रदेश ने एंड्रोट, कवारत्ती और बित्रा के तीन द्वीपों में 1618 जैव-शौचालयों का निर्माण किया है।

लक्षद्वीप में हर दिन पैदा हो रहा कुल सॉलिड वेस्ट करीब 18 टन है, जिसमें से करीब 12 टन नॉन-बायोडिग्रेडेबल और 6 टन बायोडिग्रेडेबल, विशेष रूप से रसोई से निकलने वाला वेस्ट है। एनजीटी को बताया गया है कि सभी द्वीपों और ग्राम पंचायतें में घरों के पास 150 लीटर क्षमता के 4,686 सामुदायिक डस्टबीन लगाए गए हैं। 

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