उत्तर प्रदेश में चल रहे बिजली संयंत्रों पर एनजीटी ने मांगी विस्तृत रिपोर्ट

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Wednesday 25 January 2023
 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के सदस्यों वाली एक संयुक्त समिति को उत्तर प्रदेश में चल रहे कुछ बिजली संयंत्रों पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

इनमें गांव बरेखेड़ा, तहसील बिलासपुर, जिला पीलीभीत के साथ कुंदरकी, तहसील सदर, गोंडा, ग्राम एतई मैदा, तहसील उतरौला, जिला बलरामपुर और गांव मकसूदपुर, तहसील पोवायां, जिला शाहजहांपुर में चल रहे बिजली संयंत्र शामिल हैं। 

गौरतलब है कि इस मामले में संयुक्त समिति ने 16 जनवरी, 2023 को एक रिपोर्ट दायर की थी, अदालत के अनुसार जो केवल लखीमपुर में बजाज हिंदुस्तान लिमिटेड और बजाज एनर्जी लिमिटेड द्वारा चलाए जा रहे बिजली संयंत्र के संबंध में है।

रिपोर्ट में निरीक्षण की गई इकाई में परियोजना प्रस्तावकों की ओर से किए गए कई गंभीर उल्लंघनों को भी दिखाया गया है। हालांकि इसके बावजूद परियोजना प्रस्तावक के खिलाफ पर्यावरण क्षतिपूर्ति के आकलन या आपराधिक कार्रवाई शुरू करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए हैं।

वहीं उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव और अधिवक्ता ने अदालत को आश्वासन दिया है कि तीन सप्ताह के भीतर सभी इकाइयों के संबंध में एक पूरी विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में दायर की जाएगी।

ऐसे में एनजीटी ने 20 जनवरी 2023 को दिए आदेश में संयुक्त समिति को सभी इकाइयों के संबंध में एक पूरी विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई और यदि कोई कार्रवाई नहीं की गई तो उसका कारण बताने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है।

शहरों में बेघर: सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का दिया निर्देश

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस रवींद्र भट और दीपांकर दत्ता की पीठ ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल से स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।

यह स्थिति रिपोर्ट बेघर लोगों को सर्दी से बचाने के लिए किए उपायों और उनके लिए बनाए अस्थायी आश्रयों के निर्माण के मामले में कोर्ट में सबमिट की जानी है।

बाणगंगा नदी तट पर वर्षों से जमा कचरे को कर दिया गया है साफ: रिपोर्ट

बाणगंगा नदी के तट पर वर्षों से जमा कचरे को पूरी तरह से हटा दिया गया है और साइट पूरी तरह से साफ है। यह जानकारी जम्मू कश्मीर के आवास और शहरी विकास विभाग द्वारा 23 जनवरी, 2023 को दायर रिपोर्ट में कही गई है। रिपोर्ट के अनुसार श्राइन बोर्ड ने बाणगंगा नदी तट पर पड़े करीब 1500 मीट्रिक टन कचरे को हटा दिया है।

साथ ही कटरा के टन तालाब में 38 टीपीडी कचरे जिसमें 19 टीपीडी सूखा कचरा और 19 टीपीडी गीला कचरा शामिल है, के संग्रह, परिवहन और वैज्ञानिक निपटान को पूरा करने के लिए अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं को डिजाइन किया जा रहा है। जानकारी मिली है कि कटरा नगर पालिका द्वारा पांच वाहनों के माध्यम से इस कचरे का संग्रहण एवं परिवहन किया जा रहा है।

रिपोर्ट के अनुसार कटरा नगरपालिका समिति वैज्ञानिक तरीके से म्युनिसिपल वेस्ट को अलग करके उसका निस्तारण कर रही है। साथ ही पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पॉलीथिन सहित ठोस कचरे को जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

वर्तमान में कटरा नगर पालिका ने कटरा के लिए फेज वाइज वेस्ट प्रोसेसिंग और मैनेजमेंट प्लान बनाया है। पहले चरण में, टन तालाब साइट पर एमआरएफ सुविधा निर्माणाधीन है, जो लगभग पांच से आठ टीपीडी सूखे कचरे को प्रोसेस करेगी। इसे 31 मार्च, 2023 तक चालू करने का लक्ष्य है।

अदालत को यह भी जानकारी दी गई है कि नगरपालिका समिति ने उधमपुर से पैदा हो रहे ताजा कचरे को मांड गांव स्थित साइट में डालने की कोशिश की, लेकिन कानून और व्यवस्था के मद्देनजर ऐसा नहीं हो सका।

उक्त साइट को एक वैज्ञानिक लैंडफिल के विकास के लिए आवंटित और नियोजित किया गया है, जो छह यूएलबी से निकले कचरे (कुल कचरे के करीब 20 फीसदी) का निपटान करेगी। वहीं वर्तमान में आसपास के क्षेत्रों में अन्य डंपिंग साइट उपलब्ध न होने के कारण कटरा में टन तालाब साइट में एक निर्धारित स्थान पर ताजा कचरा डंप किया जा रहा है।

जानकारी दी गई है कि टन तालाब की भूमि 40 टीपीडी क्षमता के एक एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सुविधा के विकास के लिए पर्याप्त है, जिसे कटरा नगरपालिका समिति के अपशिष्ट प्रबंधन योजना के दूसरे चरण में शामिल किए जाने का लक्ष्य है।

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