पर्यावरण मुकदमों की डायरी: पुराने टायर पर रबड़ चढ़ाने वाले कारखाने के खिलाफ जांच के निर्देश

पर्यावरण से संबंधित मामलों में सुनवाई के दौरान क्या कुछ हुआ, यहां पढ़ें-

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Friday 13 November 2020
 

एनजीटी ने महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मैसर्स स्वामी टायर्स वर्क्स के खिलाफ जांच के निर्देश दिए हैं| मामला महाराष्ट्र, पुणे के गणेश नगर का है| जहां मैसर्स स्वामी टायर्स वर्क्स द्वारा पर्यावरण नियमों की अनदेखी कर अवैध टायर रिट्रेडिंग का काम किया जा रहा था| कोर्ट ने इस मामले में 18 फरवरी, 2021 से पहले कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है| आवेदक, शाओमी सुगाथन ने कहा कि इकाई आवास के आसपास अपनी गतिविधियां चला रही है, जिससे प्रदूषण हो रहा है।

महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जानकारी दी है कि 9 दिसंबर, 2019 को इस यूनिट को बंद करने का नोटिस जारी कर दिया गया था| 19 जून, 2020 को इसके बिजली कनेक्शन भी काट दिए गए थे| दिसंबर 2019 में इस यूनिट द्वारा पुणे की सिविल जज सीनियर डिवीजन में एक मुकदमा भी दायर किया गया था, जिसे बाद में खारिज कर दिया गया था| इसके बावजूद इस यूनिट द्वारा की जा रही अवैध गतिविधियां अभी भी जारी हैं|

इस यूनिट द्वारा हर रोज करीब 50 से अधिक टायरों पर रबर चढ़ाई जाती है| यह प्रक्रिया मूल रूप से रात में की जाती है| जिस वजह से रात में प्रदूषण होता है|

एनजीटी ने सड़कों पर बिखरते ठोस कचरे के मामले में दिए रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश

एनजीटी ने तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को चेन्नई के कोडाम्बक्कम और अड्यार में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के कार्यान्वयन पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। यह आदेश सड़कों पर कूड़ेदान से अनियंत्रित रूप से इधर-उधर बिखर रहे ठोस कचरे के आरोपों पर जारी किया गया है।

एनजीटी ने दिए मेसर्स सह्याद्री सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के खिलाफ उचित कार्रवाई के आदेश

एनजीटी में 10 नवंबर 2020 को मेसर्स सह्याद्री सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के खिलाफ बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स, 2016 का पालन न करने का मामला उठाया है| यह अस्पताल पुणे के डेक्कन जिमखाना में स्थित है| आवेदक के अनुसार, यह अस्पताल संक्रामक और खतरनाक बायो मेडिकल वेस्ट को सीधे ही वातावरण में छोड़ रहा है| जोकि बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स, 2016, वायु (रोकथाम और प्रदूषण नियंत्रण) अधिनियम, 1981और वाटर एक्ट 1974 का उल्लंघन है|

जब आवेदक ने एमपीसीबी से इस बारे में जानकारी मांगी थी तो उनका जवाब था कि उनके पास इस अस्पताल के संबंध में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। इससे पता चलता है कि अस्पताल ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जरुरी सहमति नहीं ली है।

जानकारी मिली है कि मेसर्स सह्याद्री सुपर स्पेशलिटी अस्पताल  के राज्य में आठ और अस्पताल हैं| जिनमें 900 से अधिक बेड और 200 आईसीयू बेड हैं| इसके बावजूद इसे बिना किसी जरुरी सहमति के संचालित किया जा रहा है| जिससे रोगों के फैलने का खतरा है|

इसे ध्यान में रखते हुए एनजीटी ने महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इस अस्पताल के खिलाफ बीएमडब्ल्यू रूल्स के तहत उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं|

कोल्हापुर में जारी है अवैध खनन, पर्यावरण को पहुंच रहा है नुकसान

एनजीटी ने महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, कोल्हापुर के कलेक्टर और वन संरक्षक को एक संयुक्त समिति के गठन का निर्देश दिया है| यह समिति कोल्हापुर की तालुका हटकनंगले में मौजूद ग्राम कसारवाड़ी में अवैध पत्थर खनन की गतिविधियों पर नजर रखेगी। कोर्ट ने कहा है कि यदि अवैध गतिविधियां पाई जाती है, तो समिति नियमों के अनुसार उचित कार्रवाई करेगी| 

गौरतलब है कि आवेदक (ग्राम पंचायत, कसारवाड़ी) के अनुसार, कोल्हापुर के जिला खनन अधिकारी ने एक खनन का पट्टा जारी किया था, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया था। इसके बावजूद अभी भीअवैध खनन जारी है| जिससे वायु और ध्वनि प्रदूषण हो रहा है, साथ ही कृषि भूमि को नुकसान हो रहा है। जिस भूमि पर खनन किया जा रहा है वो एक आरक्षित वन है। इसके साथ ही खनन के लिए किए जाने वाले विस्फोट से घरों को भी नुकसान पहुंच रहा है|

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