मुंबई में औद्योगिक प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी पर छोड़ा फैसला

देश के विभिन्न अदालतों में विचाराधीन पर्यावरण से संबंधित मामलों में क्या कुछ हुआ, यहां पढ़ें

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Monday 17 August 2020
 

सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई में हो रहे औधोगिक प्रदूषण के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से अपना अंतिम आदेश देने से पहले फिर से सुनवाई करने के लिए कहा है। यह आदेश 14 अगस्त, 2020 को दिया गया है। मामला मुंबई के अंबापाड़ा और महुल का है।

गौरतलब है कि इस मामले पर एनजीटी ने 30 जून, 2020 को एक आदेश जारी किया था। जिसमें महुल और अंबापाड़ा में हो रहे वायु प्रदूषण पर सीपीसीबी से रिपोर्ट तलब की थी। अपने इस आदेश में एनजीटी ने सीपीसीबी से पूछा था कि वो महाराष्ट्र के महुल और अंबापाड़ा वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (वीओसी) की मात्रा का आंकलन किस तरह कर रहे हैं। यह मामला मुंबई के बाहरी इलाकों में अंबापाड़ा और माहुल के आसपास हो रहे प्रदूषण और उसके नियंत्रण के लिए उठाए जा रहे क़दमों से जुड़ा था।

गौरतलब है कि इस क्षेत्र में हो रहे वायु प्रदूषण के लिए मुख्य रूप से लॉजिस्टिक सर्विसेज, तेल, गैस और रासायनिक वस्तुओं के भंडारण के साथ-साथ तेल कंपनियों द्वारा किया जा रहा उत्सर्जन जिम्मेवार था। इस इलाके में खतरनाक रसायनों की लोडिंग, भंडारण और अनलोडिंग के कारण वीओसी के साथ-साथ अन्य प्रदूषकों का भी उत्सर्जन हो रहा है।

इस मामले में इससे पहले सीपीसीबी ने 18 मार्च, 2020 को एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। जिसमें प्रदूषण के कारण पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान का मूल्यांकन किया गया था। साथ ही इसमें उस अनुपात के बारे में भी लिखा था जिस हिसाब से प्रदूषण फैला रही इकाइयों से जुर्माना वसूलना है। इस मामले में आवेदकों ने 1.5 करोड़ रूपए का हर्जाना मांगा था।

इस रिपोर्ट पर भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड और एजिस लॉजिस्टिक्स लिमिटेड ने कड़ी आपत्ति जताई थी । उनके अनुसार सीपीसीबी ने रिपोर्ट में जो उत्सर्जित वीओसी की मात्रा दिखाई है, वो सही नहीं है। साथ ही उन्होंने इस बात की मांग की थी कि सीपीसीबी ने किस तरह वीओसी की मात्रा का आकलन किया है उसके आधार का खुलासा करे।


सीवेज प्रदूषण के मामले में रिपोर्ट दाखिल करे यूपीपीसीबी: एनजीटी

एनजीटी ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) को सेप्टिक टैंक से हो रहे ओवरफ्लो के मामले में रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है। मामला अलीगढ़ के मैसर्स उन्नाव कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ा है। जिसपर यह आरोप लगा था कि इस क्षेत्र में सेप्टिक टैंक से ओवरफ्लो हो रहा था जिससे पर्यावरण और स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। साथ ही मैसर्स उन्नाव कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने इस सेप्टिक टैंक के लिए वैधानिक अनुमति भी नहीं ली थी।

अदालत को जानकारी दी गई है कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 28 अगस्त, 2019 को इस बाबत एक पत्र लिखा था, जिसमें परियोजना के प्रस्तावक को उपचारात्मक कार्रवाई करने के लिए कहा था। लेकिन इसके बावजूद उसकी तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। 


पंजाब में अवैध खनन के मामले पर एनजीटी ने दिया संयुक्त जांच समिति के गठन का निर्देश

अवैध खनन और स्टोन क्रशिंग की शिकायत पर एनजीटी ने संयुक्त समिति के गठन का निर्देश दिया है। मामला एस ए एस नगर, जिला मोहाली, पंजाब का है। इस समिति में सीपीसीबी, राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण, पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिसके अधिकार क्षेत्र में यह मामला आता है उसके संभागीय आयुक्त शामिल होंगे। जिन्हें दो महीनों के भीतर अपनी रिपोर्ट देनी होगी।

शिकायतकर्ता ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने संबंधित अधिकारियों, खनन विभाग और स्थानीय पुलिस को कई बार इस बारे में जानकारी दी थी, लेकिन उनके ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई थी।

इस मामले के विषय में शिकायतकर्ता ने समाचार पत्रों में खनन के बारे में छपी रिपोर्ट और 12 जून, 2020 को दर्ज एफआईआर का उल्लेख किया है। जिसमें बताया गया है कि अवैध खनन का विरोध करने पर ग्रामीणों पर हमला किया गया था। 


अवैध रूप से चल रहे डेयरी फार्मों के खिलाफ एनजीटी ने दिए कार्रवाई के आदेश

14 अगस्त 2020 को एनजीटी ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण निंयत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) को आदेश दिया है, कि वो आवासीय क्षेत्र में अवैध रूप से संचालित डेयरी फार्मों के खिलाफ कार्रवाई करे। मामला गाजियाबाद के चिरंजीव विहार का है।

अदालत ने निर्देश दिया है कि इस मामले में जल अधिनियम 1974, वायु अधिनियम 1981 और पर्यावरण अधिनियम 1986 के उल्लंघन के मामले में कार्रवाई की जानी चाहिए। 

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