पर्यावरण मुकदमों की डायरी: 16 सितंबर 2020

देश की विभिन्न अदालतों में चल रहे पर्यावरण संबंधी मुकदमों के बारे में डाउन टू अर्थ की खास पेशकश-

By Susan Chacko, Dayanidhi

On: Wednesday 16 September 2020
 

डीपीसीसी ने एनजीटी को सूचित किया कि अवैध रंगाई की फैक्ट्रियां बंद हो गईं हैं

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने जुलाई, अगस्त और सितंबर 2020 में दिल्ली के बवाना, नरेला, मायापुरी, लिबासपुर और नंगली सकरावत के क्षेत्रों में जींस को रंगने और धोने की गतिविधि में लगे लगभग 79 परिसरों / इकाइयों का निरीक्षण किया। इसका एनजीटी के समक्ष डीपीसीसी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में उल्लेख किया गया था।

जीन्स और कपड़ों की रंगाई / धुलाई की गतिविधि में लगी 79 इकाइयों में से, 48 इकाइयों के परिसर में वैध सहमति और चालू अपशिष्ट उपचार संयंत्र लगे थे।

48 में से एक इकाई, जो पहले के निरीक्षण में नियमों का पालन करते नहीं पाई गई थी, इस इकाई ने 12,40,000 / - रुपये का पर्यावरणीय क्षति क्षतिपूर्ति (ईडीसी) जमा किया था। डीपीसीसी ने बवाना औद्यगिक क्षेत्र में उक्त इकाई को संचालन (कंसेंट टू ऑपरेट, सीटीओ) करने की सहमति भी दी थी।

12 इकाइयां बिना संचालन करने की सहमति के (कंसेंट टू ऑपरेट, सीटीओ) और अपशिष्ट उपचार संयंत्रों के बिना संचालित हो रही थीं।

हालांकि, इन इकाइयों ने संचालन करने की सहमति (कंसेंट टू ऑपरेट, सीटीओ) प्राप्त करने के लिए आवेदन किया था। इन सभी इकाइयों को बंद कर दिया गया है। इन 12 इकाइयों में से ईडीसी ने 5 इकाइयों पर 2,20,00,000 / -रुपये का जुर्माना लगाया है।

12 में से शेष 7 इकाइयों के खिलाफ, पर्यावरण क्षतिपूर्ति के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं और कार्यवाही चल रही है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि शेष 19 परिसरों में से 79 परिसरों का निरीक्षण किया गया था, निरीक्षण के दौरान कोई औद्योगिक गतिविधि नहीं देखी गई।

एनजीटी ने 14 सितंबर को डीपीसीसी रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए मामले का निपटारा किया और कहा कि आगे इसके लिए कोई आदेश आवश्यक नहीं है।

एनजीटी ने प्लेटिनम एएसी ब्लॉक के खिलाफ पीसीसी के आदेश को रद्द किया

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 14 सितंबर, 2020 को दमन दीव और दादरा नगर हवेली के प्रदूषण नियंत्रण समिति (पीसीसी) द्वारा मैसर्स प्लेटिनम एएसी ब्लॉक को बंद करने से संबंधित पारित आदेश को रद्द किया।

न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति सोनम फेंटसो वांग्दी की पीठ ने निर्देश दिया कि एनजीटी के आदेश की एक प्रति केंद्र शासित प्रदेश दमन दीव और दादरा नगर हवेली के सलाहकार को प्रेषित की जाए, ताकि पीसीसी के इस तरह के आदेश पारित करने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने पर विचार किया जा सके। इस तरह के "बेतुके आदेश" - अदालत के आदेशों को खत्म करने और पर्यावरण के हितों के खिलाफ है।

एनजीटी का यह आदेश मैसर्स प्लेटिनम एएसी ब्लॉक द्वारा पीसीसी के द्वारा 3 फरवरी को पारित आदेश के खिलाफ दायर अपील के मद्देनजर आया था।

पीसीसी के आदेश में कहा गया था कि 9 अक्टूबर, 2015 की अधिसूचना के अनुसार, दादरा और नगर हवेली पर लागू, फ्लाई ऐश निर्यात, ट्रांसपोर्ट और निपटान सुविधा प्रतिबंधित श्रेणी में आती है। इसलिए फ्लाई ऐश का उपयोग करके ऑटोक्लेवेटेड युक्त कंक्रीट के निर्माण को स्थापित करने की अनुमति नहीं है।

फ्लाई ऐश ईंटों / ब्लॉकों के उत्पादन के लिए इकाई निम्नलिखित दो गतिविधियां करती है:

  1. फ्लाई ऐश ट्रांसपोर्ट
  2. ईंधन का उपयोग करके फ्लाई ऐश ईंटों / ब्लॉकों का निर्माण

इसके अलावा सीपीसीबी के 7 मार्च, 2016 को धारा 18 (1) (बी) के तहत जारी किए गए संशोधित निर्देशों के अनुपालन में पीसीसी उद्योगों के वर्गीकरण का सामंजस्य स्थापित करना बाकी था। इस प्रकार, यूनिट को सहमति की स्वीकार्यता के बारे में किसी भी विचार को पीसीसी द्वारा उद्योगों के सामंजस्य के आधार पर देखा जाना चाहिए। यूनिट द्वारा स्थापित (सीटीई) और कंसेंट टू ऑपरेट (सीटीओ) के संबंध में उल्लंघनों को पीसीसी द्वारा संबंधित अधिनियमों और नियमों के प्रावधानों के अनुसार किया जाना बताया है।

एनसीआर में प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र पर रिपोर्ट प्रस्तुत करे : एनजीटी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को 31 जनवरी, 2021 तक प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र (एनसीजेड) के तहत आने वाले भूमि उपयोग लैंड कवर मैपिंग (एलयूएलसी) पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड अधिनियम, 1985 के प्रावधान के तहत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड (एनसीआरपीबी) द्वारा तैयार क्षेत्रीय योजना के संदर्भ में एनसीजेड के अंतर्गत आने वाली भूमि के उपयोग के मुद्दे पर विचार किया गया।

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 9 सितंबर की अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि एनआरएससी को 1999 और 2019 की दो अवधियों के लिए 1:50,000 स्केल पर एलआईएसएस तृतीय डेटा (रिज़ॉल्यूशन 23.5 मीटर) का उपयोग करके एलआईएसएस नक्शा बनाना (मैपिंग) चाहिए। नक्शे की वर्गीकरण योजना को इस तरह से चुना जाना चाहिए ताकि प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र स्पष्ट रूप से मानचित्रण किए जाए।  

प्रयोग के अंतिम उत्पाद (आउटपुट) को अंतिम रूप देने से पहले जमीनी हकीकत पर जोर दिया जाना चाहिए। यदि आवश्यक हो, एनआरएससी संबंधित संगठनों से एनसीआरपीबी में प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्रों की पहचान के लिए प्रासंगिक विषयगत आंकड़े प्राप्त कर सकता है।

एक ही उपग्रह डेटा (सेंसर), स्केल और कार्यप्रणाली से उत्पन्न दो तुलनीय उत्पाद डेटा सेट प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र की स्थिति का वास्तविक मूल्यांकन करते हैं अर्थात् यह दो समय अवधि (1999 और 2019) में कैसे बदल गया।

एनसीआरपीबी के तहत आने वाले क्षेत्र में सभी घटक राज्यों में समय के साथ बदलाव आया है क्योंकि इसमें अधिक से अधिक जिलों को जोड़ा गया है। समानता के लिए, रिपोर्ट में विचार किया गया था कि वर्तमान सीमा एनसीआरपीबी को दोनों वर्षों यानी 1999 और 2019 के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

इसके अलावा, यह कहा गया कि 1: 50,000 पैमाने पर एलयूएलसी मानचित्रण, 1999 और 2019 के बीच एनसीजेड में परिवर्तन की तुलना के उद्देश्य को उत्पाद (आउटपुट) के समान सेट के आधार पर पूरा करेगी।

हालांकि, संबंधित राज्य सरकारों द्वारा उचित नियोजन और नियमों को सुविधाजनक बनाने के लिए, एनसीआरपीबी के तहत 1: 10,000 पैमाने पर वर्ष 2019 के लिए एलआईएसएस-IV, कार्टोसैट के उच्च संकल्प उपग्रह डेटा का उपयोग करके क्षेत्र का एक और एलयूएलसी मानचित्रण करना वांछनीय होगा। इसके अलावा अन्य उपग्रह / सेंसर जो एनआरएसी उद्देश्य के लिए उपयुक्त लगता है, उसका उपयोग किया जा सकता है।

उपरोक्त दोनों के नक़्शे तैयार करने के लिए एनआरएसी द्वारा नक़्शे को दो अलग-अलग श्रृंखलाओं के रूप में एक साथ लिया जाना चाहिए।

नक्शे का पैमाना 1: 4000 होना चाहिए कि 1: 10,000 ताकि सभी प्रासंगिक विवरणों को कैप्चर किया जा सके। यह भी सुझाव दिया गया है कि उपग्रह मानचित्रण के अलावा, जमीनी हकीकत पर भी जोर दिया जाना चाहिए।

एनजीटी ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को उपरोक्त सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

बिजनौर के ग्राम चंगीपुर में कचरे की डंपिंग

एनजीटी ने 15 सितंबर को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जिला मजिस्ट्रेट, बिजनौर और नगर परिषद, नूरपुर की एक संयुक्त समिति के गठन का निर्देश दिया। यह समिति ग्राम चंगीपुर, जिला बिजनौर के मुख्य सड़क पर नगर परिषद, नूरपुर द्वारा कचरे के 'अवैज्ञानिक तरीके से निस्तारण' पर एक तथ्यात्मक और कार्रवाई की रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

कचरे में अवषेश शामिल थे, जिसके परिणामस्वरूप गंध और बदबू रही है और वायु और भूमि प्रदूषण भी हो रहा है। शिकायतकर्ता अरविंद कुमार ने कहा कि नगर परिषद में किए गए शिकायत के बावजूद कोई उपचारात्मक कार्रवाई नहीं की गई।

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