खतरनाक मीथेन गैस की वायुमंडल में हुई रिकॉर्ड बढ़ोतरी

वैश्विक वायुमंडल (एटमॉस्फेयर) में मीथेन गैस की मात्रा या अंश को 2019 में अब तक के शीर्षतम स्तर पर दर्ज किया गया है

By Kapil Subramanian, Vivek Mishra

On: Friday 17 April 2020
 
Photo source: pxfuel

वैश्विक वायुमंडल (एटमॉस्फेयर) में मीथेन गैस की मात्रा या अंश को 2019 में अब तक के शीर्षतम स्तर पर दर्ज किया गया है। 2019 में हवा में मीथेन का अंश 1,875  पार्ट्स प्रति बिलियन (पीपीबी) पर पहुंचा जबकि 2018 में यह 1,866 पीपीबी था। 

एक पार्ट्स प्रति बिलियन  का अर्थ है कि हवा के एक अरब (बिलियन) कणों में एक अंश मीथेन का है। मीथेन के स्तर का यह प्रारंभिक आकलन संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रीय वायुमंडलीय और महासागरीय प्रशासन (एनओएए) ने जारी किया है।  

मीथेन एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है। इसमें कार्बन डाई ऑक्साइड से 25 गुना ज्यादा वैश्विक ताप बढ़ाने की क्षमता है। 1983 से मीथेन गैस के स्तर का रिकॉर्ड प्रबंधित किया जा रहा है। 2019 में मीथेन के बढ़ने का यह आंकड़ा सिर्फ 1983 के बाद से सबसे अधिक नहीं है बल्कि यह पूरे दो दशकों के दौरान एक ही वर्ष में दूसरी सबसे बड़ी छलांग थी। 

अभी जारी प्रारंभिक आंकड़े भविष्य में और गहरे विश्लेषण के बाद ही पूरी तरह स्पष्ट होंगे। नवंबर में निर्णायक आकलन जारी किया जाएगा, जिसमें नये ट्रेंड का भी अनुमान लगेगा। हालांकि प्रारंभिक आंकड़े ही ज्यादा चिंताजनक हैं। 

2019 में प्रकाशित एक शोध पत्र के मुताबिक एनओएए के वैज्ञानिकों ने पाया था कि 2013 से 2018 के बीच उससे बीते 5 सालों की अवधि से भी 50 फ़ीसदी ज्यादा मीथेन उत्सर्जन में बढ़ोतरी हुई है। वैज्ञानिकों ने मीथेन उत्सर्जन कि इस बढ़ोतरी को पेरिस समझौते के तहत तापमान लक्ष्यों को हासिल करने के लिए एक बड़ा खतरा बताया था। 

2019 के शोध पत्र में  यह भी कहा गया कि आर्द्रभूमि यानी वेटलैंड हवा के मिथेन का एक प्रमुख स्रोत है। वहीं, गर्म जलवायु माइक्रोब्स की क्षमताओं में विस्तार करके जैविक तत्वों को मीथेन में तब्दील कर रही है। ऐसे क्लाइमेट फीडबैक्स बृहद पैमाने पर मानवीय नियंत्रण से परे की चीज है और तापमान में बढ़ोतरी को  ज्यादा तीव्र और बढ़ाने वाले हैं। 

मीथेन के उत्सर्जन की मानवीय गतिविधियां भी स्रोत हैं। मिसाल के तौर पर वैश्विक तेल और गैस उत्पादन व्यवस्था में होने वाला लीकेज मीथेन उत्सर्जन के बड़े स्रोत हैं।

ग्रांट ऐलन, मैनचेस्टर विश्वविद्यालय में एक वायुमंडलीय भौतिकशास्त्री हैं। उन्होंने 'इंडिपेंडेंट' को दिए गए एक साक्षात्कार में कहा कि यदि हम कल से ही सभी तरीके के नेचुरल गैस का इस्तेमाल बंद कर दें तो ही शायद हम स्थितियों को वापस लौटा सकते हैं। तेजी से बढ़ता मीथेन उत्सर्जन प्राकृतिक और मानवीय गतिविधियों का एक जोड़ भर है।  

नेचर में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में मीथेन लीक के बारे में कहा गया है कि जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल करने वाली औद्योगिक इकाइयां करीब 40 फ़ीसदी मीथेन उत्सर्जन करती हैं। और ट्रंप प्रशासन ने ऐसे लीकेज पर रोक लगाने वाले रेगुलेशन को ही वापस ले लिया है जबकि यूएस एक प्रमुख मीथेन उत्सर्जक है। 

कुछ लोग कोरोना संक्रमण के दौरान आर्थिक गतिविधियों के रुकने से वैश्विक कार्बन डाइ ऑक्साइड उत्सर्जन में आई बड़ी गिरावट को लेकर खुश हैं वही अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने चेताया है कि यदि तेल और गैस उद्योग के राजस्व मैं गिरावट होती है तो इससे उत्सर्जन के लीक को ठीक करने में बहुत दुविधा होगी।  

गाय और सीप भी मिथेन उत्सर्जन के प्रमुख कारक हैं।  ड्यूक यूनिवर्सिटी में जलवायु वैज्ञानिक ड्रेव शिन्डेल ने साइंटिफिक अमेरिकन को बताया यदि लोग बीफ और डेयरी उपभोग को कम कर दें तो भी मीथेन उत्सर्जन में काफी कटौती होगी और लोगों का स्वास्थ्य भी बेहतर रहेगा।

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