वैज्ञानिकों ने खोजी बीटल लार्वा की एक नई प्रजाति जो प्लास्टिक का कर सकती है सफाया

वैज्ञानिकों ने कोरिया में एक नई बीटल लार्वा की प्रजाति को खोज निकला है, जो प्लास्टिक का सफाया कर सकती है

By Lalit Maurya

On: Tuesday 21 July 2020
 

दुनिया भर में प्लास्टिक कचरा तेजी से बढ़ रहा है। आज हम अपने चारों ओर ऐसी अनेक चीजों को देख सकते हैं जो प्लास्टिक की बनी होती हैं। इसने इंसान का जीवन आसान कर दिया है। पर इसके साथ एक बड़ी समस्या है इसका लम्बे समय तक वातावरण में मौजूद रहना, इस नष्ट होने में कई साल लग जाते हैं। प्लास्टिक बैग्स को नष्ट होने में करीब 10 से 20 साल लगते हैं। जबकि नायलॉन से बनी वस्तुओं और नष्ट हो सकने वाली स्ट्रॉ को 30 से 40 वर्ष लगते हैं। जबकि प्लास्टिक से बनी बोतलों जिन्हें एक बार उपयोग करके फेंक दिया जाता हैं उन्हें प्राकृतिक रूप से नष्ट होने में 500 वर्षों का समय लग जाता है। प्लास्टिक कचरा अपने आप में किसी आपदा कम नहीं है।

ऐसे में इससे होने वाला कचरा भी बढ़ता जाता है। जिसका एक जीता जागता नमूना द ग्रेट पैसिफिक गारबेज पैच है। जोकि प्रशांत महासागर में तैरता 1.3 करोड़ टन प्लास्टिक कचरे का पहाड़ है। इसकी विशालता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह आकार में कोरियाई प्रायद्वीप से करीब 7 गुना बड़ा है।

9 फीसदी से भी कम प्लास्टिक कचरा किया गया था रिसाइकल

यदि प्लास्टिक कचरे से जुड़े आंकड़ों पर गौर करें तो 2017 में दुनिया भर में करीब 830 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न किया था। जिसमें से 9 फीसदी से भी कम रिसाइकल किया गया था। इसमें से करीब 6 फीसदी पॉलीस्टायरीन होता है, जिसका सबसे अधिक उपयोग पैकिंग और फोम से बने कॉफी कपों में होता है। इसकी  मॉलिक्यूलर संरचना इतनी अलग होती है कि यह आसानी से नष्ट नहीं होता।

वैज्ञानिकों ने कोरिया में एक नई बीटल लार्वा की प्रजाति को खोज निकला है, जो प्लास्टिक का सफाया कर सकती है। इससे जुड़ा एक शोध पोहांग यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा किया गया है जोकि जर्नल एप्लाइड एंड एनवायर्नमेंटल माइक्रोबायोलॉजी में प्रकाशित हुआ है। यह कीट वर्मपंखी कीट समूह (कोलिऑप्टेरा) से सम्बन्ध रखता है। प्लेसीफॉस्फथाल्मस डेविडिस नामक कीट का लार्वा  पॉलीस्टायरीन को रिसाइकल करने में सक्षम है।

शोधकर्ताओं के अनुसार यह कीट कोरियाई प्रायद्वीप सहित पूर्वी एशिया के कई हिस्सों में पाया जाता है। यह कीट पॉलीस्टायरीन को ख़त्म करने के साथ-साथ उसके मोलेक्युल्स को भी समाप्त कर सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार ऐसा इसकी आंत में मौजूद बैक्टीरिया सेराटिया के कारण होता है। 

यह कीट कैसे पॉलीस्टायरीन को सड़ा सकता है यह जानने के लिए वैज्ञानिकों ने लार्वा के शरीर में 2 हफ्तों तक पॉलीस्टायरीन को रखा जिससे पता चला कि इसके कारण उसकी आंत में मौजूद सेराटिया में 6 गुना वृद्धि हो गई। इसकी लंबाई आंत माइक्रोबायोटा के करीब 33 फीसदी के बराबर थी। साथ ही शोध से यह भी पता चला है कि इस लार्वा के आंत्र माइक्रोबायोटा में मौजूद  बैक्टीरिया बहुत ही सामान्य श्रेणी के होते हैं जोकि पॉलीस्टायरीन को पचा सकने वाले अन्य कीटों से बहुत अलग होते हैं।

अंधेरे में रहने वाले इस कीट की अनोखी खुराक को देखकर वैज्ञानिक इस बात की भी सम्भावना व्यक्त कर रहे हैं कि सड़ी लकड़ी में मिलने वाले अन्य कीड़े भी पॉलीस्टायरीन को पचा सकते हैं। इसके साथ ही वैज्ञानिकों का मानना है कि इस कीड़े के आंत में मिलने वाले बैक्टीरिया की मदद से पॉलीस्टायरीन को ख़त्म कर सकने वाले एक प्रभावी फ़्लोरा को बनाया जा सकता है। जो इस प्लास्टिक कचरे को पूरी तरह से समाप्त कर सकता है। इस तरह से पॉलीस्टायरीन प्लास्टिक से होने वाले कचरे से पूरी तरह छुटकारा मिल सकता है।

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