सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध: एक शुरुआत लेकिन पूर्ण प्रतिबंध की दिशा में लंबा रास्ता तय करना बाकी

केंद्र सरकार की सिंगल यूज प्लास्टिक की परिभाषा में आने वाली कई चीजें फिलहाल प्रतिबंध के दायरे से बाहर हैं

By Siddharth Ghanshyam Singh

On: Friday 01 July 2022
 

 

भारत में सिंगल यूज प्लास्टिक की चीजों पर एक जुलाई, 2022 से प्रतिबंध लागू हो रहा है। हालांकि बाजार में पाई जाने वाली प्लास्टिक को नियंत्रित करने का यह देश का पहला प्रयास है लेकिन अगर हम यह कहते हैं कि - भारत सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा रहा है’ तो इससे गलत संदेश जाएगा।

ऐसा इसलिए है क्योंकि एक जुलाई के बाद भी भारतीय बाजार, सॉफ्ट ड्रिंक व मिनरल वाटर की बोतलें और बहु-स्तरीय पैकिंग में आने वाली कई तरह की सिंगल यूज प्लास्टिक की चीजें बेचते रहेंगे। जबकि सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक की जो परिभाषा स्वीकार की है, उसके दायरे में ये सारी चीजें बिल्कुल फिट बैठती हैं।

भारत ने 12 अगस्त, 2021 की अधिसूचना में सिंगल यूज प्लास्टिक को ‘ऐसे प्लास्टिक के तौर पर परिभाषित किया था, जो निस्तारित किए जाने से पहले एक जैसे कामों के लिए केवल एक बार ही इस्तेमाल की जा सकती हो या फिर जिसे रीसाइकिल किया जा सकता हो।’

इसी अधिसूचना में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने सिंगल यूज प्लास्टिक की 21 चीजों को कई चरणों में फेज आउट करने की योजना पेश की थी। पिछले साल अगस्त में डाउन टू अर्थ में प्रकाशित एक रिपोर्ट में इस तथ्य पर प्रकाश डाला गया था कि अधिसूचना में प्लास्टिक पैकिंग को शामिल न करने से यह योजना अधूरी है।

‘प्रतिबंध’ शब्द को लोगों के बीच फैलाकर मीडिया सराहनीय काम कर रहा है लेकिन उसे इसे सिंगल यूज प्लास्टिक पूर्ण प्रतिबंध कहने से बचने की जरूरत है। इसी तरह ही दिक्कत पहले यूरोप में और हाल ही में कनाडा में देखी गई थी, जब कनाडा ने सिंगल यूज प्लास्टिक की केवल दस चीजों पर प्रतिबंध के लिए उन्हें चिन्हित किया था। मीडिया ने इन देशों पर ठप्पा लगा दिया था कि उन्होंने सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया है।

भारत सरकार ने दिक्कत पैदा करने वाली ऐसी कई प्लास्टिक को चिन्हित करने का प्रयास किया था, जिसका उपयोग सीमित है लेकिन जिसमें कूड़ा फैलाने की क्षमता ज्यादा है। ऐसी प्लास्टिक में सिंगल यूज प्लास्टिक में आने वाले कई उत्पाद भी शामिल थे। सरकार ने इसे फेज आउट करने के लिए उद्योगों को मुनासिब वक्त भी दिया था।

हालांकि कई चीजें फिर भी प्रतिबंध के दायरे से बाहर रह गईं। उदाहरण के लिए, प्लास्टिक के कैरी बैग पर प्रतिबंध नहीं होगा। उसकी मोटाई की सीमा को नियंत्रित किया गया है। यह 31 दिसंबर 2022 तक 75 माइक्रॉन से ज्यादा और 31 दिसंबर 2022 के बाद 120 माइक्रॉन से ज्यादा होनी चाहिए।

इसी तरह, सरकारी आदेश के आदेश के मुताबिक, पॉलीविनाइल क्लोराइड यानी पीवीसी से बने बैनर भी मिलते रहेंगे। इनकी मोटाई 100 माइक्रॉन से कम नहीं  होनी चाहिए।

इसलिए यह खयाल न करिए कि देश में सिंगल यूज प्लास्टिक की सारी चीजों पर प्रतिबंध लगने जा रहा है। प्रतिबंध के लिए प्रस्तावित प्लास्टिक की चीजें ये हैं -
1. प्लास्टिक स्टिक के साथ ईयरबड्स
2. गुब्बारों के लिए प्लास्टिक की छड़ें
3. प्लास्टिक के झंडे
4. प्लास्टिक से बनी कैंडी स्टिक
5. प्लास्टिक से बनी आइसक्रीम स्टिक
6. सजावट के लिए थर्मोकोल (विस्तारित पॉलीस्टाइनिन)
7. प्लास्टिक से बनी प्लेट
8. प्लास्टिक से बने कप
9. प्लास्टिक का बना चश्मा
10. प्लास्टिक से बने कांटे
11. प्लास्टिक के बने चम्मच
12. प्लास्टिक से बने चाकू
13. प्लास्टिक से बने स्ट्रा
14. प्लास्टिक से बनी ट्रे
15. प्लास्टिक से बने स्टिरर
16. मीठे बक्से के चारों ओर फिल्म का आवरण या पैकेजिंग
17. निमंत्रण कार्ड के चारों ओर फिल्म का आवरण या पैकेजिंग
18. सिगरेट के पैकेट के चारों ओर फिल्म का आवरण या पैकेजिंग
19. सौ माइक्रॉन मोटाई से कम प्लास्टिक या पीवीसी बैनर
20. 75 माइक्रॉन से कम मोटाई के प्लास्टिक कैरी बैग (इसे 31 दिसंबर 2022 से   120 माइक्रॉन मोटाई में संशोधित किया जाएगा)
21. 60 जीएसएम (ग्राम प्रति वर्ग मीटर) से कम के साथ गैर-बुना प्लास्टिक

उद्योगों का विरोध
प्लास्टिक से बने स्ट्रा पर प्रतिबंध का सबसे ज्यादा विरोध किया जा रहा है। तेजी से बिकने वाले सामानों (एफएमसीजी) की कई बड़ी कंपनियों का कहना है कि प्लास्टिक के स्ट्रा, उनके उत्पादों का मूलभूत हिस्सा हैं और उनसे कूड़ा फैलने की गुंजाइश भी कम होती है।

प्लास्टिक कंपिनयां, कई अन्य कंपनियांे जैसे पारले एग्रो, अमूल, डाबर, पेप्सिको और ऑल इंडिया प्लास्टिक मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन (एआईपीएमए) के साथ मिलकर प्रतिबंध लागू करने में छह से बारह महीने की छूट मांग रही हैं। वे प्लास्टिक के विकल्पों के उपलब्ध न होने, उनकी अव्यवहारिकता, मांग- आपूर्ति में अंतर आदि का हवाला दे रही हैं, जिनकी वजह से उत्पादों की पैकिंग का खर्च बढ़ जाएगा।

यहां यह याद दिलाना जरूरी है कि सिंगल यूज प्लास्टिक को फेज आउट करने का पहला ऐलान प्रधानमंत्री के द्वारा 15 अगस्त 2019 को किया गया था। इसके करीब दो साल बाद, यानी मार्च 2021 में इसके मसौदे की अधिसूचना जारी हुई थी।

प्रस्तावित मसौदे की अधिसूचना में फेज आउट की डेडलाइन  एक जनवरी 2022 रखी गई थी। प्लास्टिक इंडस्ट्री और एआईपीएमए के अनुरोध पर  अगस्त 2021 में जारी निर्णायक अधिसूचना में डेडलाइन को बढ़ाकर एक जुलाई 2022 कर दिया गया था।

इसका मतलब यह है कि सरकार की सूची में शामिल सिंगल यूज प्लास्टिक की चीजों को फेज आडट करने के लिए प्लास्टिक इंडस्ट्री को छह महीने का समय पहले ही दिया जा चुका है।

विकल्प की चुनौती
प्लास्टिक पर प्रतिंबध का एक दूसरा आयाम इसके विकल्प हैं। यह समझा जा सकता है कि इसके विकल्पों का बाजार भारत में अभी शुरुआती चरण में ही है। इस वजह से कंपनियों को उनका आयात करना पड़ता है, जिससे उत्पाद की लागत बढ़ जाती है।

देश में तैयार होने वाले प्लास्टिक के विकल्प प्रीमियम प्राइस पर मिलते हैं, जो कई मामलों में महंगे हो सकते हैं। प्राथमिक तौर पर इसके पीछे की वजह वैकल्पिक बाजार का फिलहाल छोटा होना है।

वैकल्पिक बाजार को व्यापक करने के लिए सरकारी कदमों की जरूरत है। फिर भी, प्लास्टिक के प्रदूषण से निपटने के लिए वैकल्पिक बाजार को तैयार करते समय इस बात का ध्यान रखना होगा कि इससे नई तरह की समस्याएं पैदा न हों।

देश को प्लास्टिक के प्रदूषण से मुक्त करने का सफर आसान नहीं है और यह केवल प्लास्टिक इंडस्ट्री और सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। मौजूदा प्रतिबंध को कामयाब बनाने के लिए कच्चा माल तैयार करने में शामिल लोगों, प्लास्टिक मैन्युफैक्चरर्स, बडी़ एफएमसीजी कंपनियों, केंद्र और राज्य सरकारों समेत उपभोक्ताओं को भी अपनी भूमिका निभानी होगी।

प्लास्टिक इंडस्ट्री, मैन्युफैक्चरर्स और एफएमसीजी कंपनियों को अपने उत्पादों की पैकिंग की डिजाइन इस तरह से करने पर विचार करना चाहिए कि उसमें प्लास्टिक की स्ट्रा की अनिवार्यता खत्म हो। यह केवल तभी मुमकिन होगा, जब कंपनियां एक साथ आकर अपने संसाधनों का इस तरह से इस्तेमाल करेंगी, जिससे ऐसी डिजाइन तैयार की जा सके, जो उन्हें मुनाफा देने के साथ ही लोगों और धरती के लिए भी लाभदायक हो।

प्रतिबंध को लागू कराने से आगे केद्र और राज्य सरकारों को इस दिशा में लंबा रास्ता तय करना है। हम यह मानकर नहीं चल सकते कि एक जुलाई से भारत पूरी तरह से सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त देश बन जाएगा।

यह एक लगातार जारी रहने वाला काम है, जिसमें राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और प्रदूषण नियंत्रण समितियों को उन सुविधाओं के निरीक्षण के लिए जमीन पर उतरना होगा, जिन्हें प्रतिबंधित प्लास्टिक की चीजों के उत्पादन को रोकने के लिए प्लास्टिक निर्माण के हब के रूप में जाना जाता है।

इसके लिए आपके और मेरे जैसे उपभोक्ताओं को भी अपनी भूमिका निभानी होगी, जिसमें प्लास्टिक कैरी बैग लेने से मना करने (उसकी मोटाई चाहे जितनी भी हो), सतर्कता से खाने-पीने और घरों में होने वाले ठोस कचरे को अलग करने जैसी चीजें शामिल हैं। इससे प्लास्टिक के कचरे को, कचरे के मैदानों से उठाकर उपलब्ध सुविधाओं के जरिए अलग ले जाया जा सकेगा, जहां इन्हें रीसाइकिल कर दोबारा काम में लाने लायक बनाया जा सकेगा।

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