एनजीटी ने केंद्र से कहा, माइक्रोप्लास्टिक्स से निपटने के लिए चार माह में तैयार करे रणनीति

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Thursday 02 March 2023
 
फोटो : विकिमीडिया कॉमन्स

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने केंद को जल्द से जल्द माइक्रोप्लास्टिक्स के खतरे से निपटने के लिए हस्तक्षेप शुरू करने का निर्देश दिया है। अपने आदेश में कोर्ट ने संबंधित मंत्रालयों से माइक्रोप्लास्टिक्स पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट पर विचार करने और जल्द से जल्द जरूरी बदलाव लाने के लिए कहा है।

इसके लिए कोर्ट ने चार महीनों का समय दिया है। इस अवधि के भीतर पर्यावरण मंत्रालय सीपीसीबी, आईसीएमआर, केंद्रीय संस्थान के साथ पेट्रोकेमिकल्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (सीआईपीईटी), एनसीएससीएम, और जरूरत पड़ने पर अन्य विशेषज्ञ संस्थानों से परामर्श ले सकता है।

गौरतलब है कि सीपीसीबी ने अपनी 13 फरवरी, 2023 को जारी रिपोर्ट में स्वीकार किया है कि माइक्रोप्लास्टिक पीने के पानी को दूषित कर रहा है। यह मुख्य रूप से सीवेज/ वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से निकले अपशिष्ट से होता है।

अपने 1 मार्च, 2023 को दिए आदेश में एनजीटी ने कहा है कि जहां अध्ययन को जल्द से जल्द पूरा करने की जरूरत है, वहीं दूसरी तरफ इससे निपटने के प्रयासों को भी तुरंत शुरू करने की आवश्यकता है। इसमें ऐसे उत्पादों की डिजाइनिंग और निर्माण शामिल है जो कपड़ा, टायर और अन्य उत्पादों जैसे कपड़े धोने वाले डिटर्जेंट, सड़क की सतहों और वाहनों के साथ-साथ माइक्रोप्लास्टिक युक्त कुछ व्यक्तिगत देखभाल और कॉस्मेटिक उत्पाद इसमें शामिल हैं।

एनजीटी ने पंचगंगा नदी प्रदूषण मामले में अधिकारियों से जवाब किया तलब

कोल्हापुर और इचलकरंजी के नगर आयुक्तों को एनजीटी ने 1 मार्च 2023 को निर्देश दिया है कि वो न केवल केएमसी और आईएमसी बल्कि गांवों और परिषदों द्वारा सीवेज उपचार में व्याप्त अंतर को पाटने में हुई प्रगति पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

मामला महाराष्ट्र में जिला कोल्हापुर और इचलकरंजी का है। जहां अधिकारी पंचगंगा नदी प्रदूषण के खिलाफ जरूरी कार्रवाई करने में विफल रहे थे।

एनजीटी ने हापुड़ में स्कूल के पास चल रहे पेट्रोल पंप की दिए ऑडिट के आदेश

एनजीटी ने हापुड़ के जिला मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया है कि वे खतरनाक रसायनों के निर्माण, भंडारण और आयात नियम, 1989 के अनुपालन में महेंद्रा जी मोटर्स पेट्रोल पंप द्वारा लगाए गए सुरक्षा उपायों के संबंध में एक ऑडिट कराने की व्यवस्था करें। यह निर्देश 27 फरवरी 2023 को जारी किया गया है।

इस ऑडिट में  ऑन और ऑफ-साइट प्रबंधन योजनाएं शामिल होनी चाहिए। साथ ही पेट्रोल पंप पर वाष्प रिकवरी सिस्टम (वीआरएस) सहित अन्य उपकरणों लगाया गया है इसकी जांच की जानी चाहिए। इस मामले में कोर्ट ने एक महीने के भीतर जरूरी कार्रवाई करने के लिए कहा है।

गौरतलब है कि मामला उत्तरप्रदेश के हापुड़ में एससीएम पब्लिक स्कूल के 50 मीटर के दायरे में चल रहे पेट्रोल पंप से जुड़ा है। जो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा 7 जनवरी, 2020 को दिए दिशानिर्देशों का उल्लंघन है। आवेदक के अनुसार इस क्षेत्र में हाई टेंशन बिजली के तार गुजर रहे हैं। वहीं बिजली ट्रांसफार्मर को पेट्रोल पंप के ठीक कोने पर रखा गया है।

हालांकि अदालत का कहना है कि महेंद्रा जी मोटर्स पेट्रोल पंप की स्थापना 2004 में हुई थी और एससीएम पब्लिक स्कूल की स्थापना 2007 में हुई। इस प्रकार सीपीसीबी के 7 जनवरी, 2020 को जारी दिशानिर्देश इसके रिटेल आउटलेट पर लागू नहीं होते हैं।

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