माइक्रोप्लास्टिक अन्य प्रदूषकों से मिलकर उन्हें और अधिक हानिकारक बना सकता है

शोध से पता चला है कि भारी धातुएं माइक्रोप्लास्टिक्स से आसानी से जुड़ सकती हैं और यह लोगों के साथ-साथ जलीय जीवन को नुकसान पहुंचा सकती हैं

By Dayanidhi

On: Monday 05 December 2022
 

माइक्रोप्लास्टिक पांच मिलीमीटर से कम लंबाई के छोटे प्लास्टिक के टुकड़े हैं जो हर जगह प्रदूषण फैला रहे हैं। प्लास्टिक के ये छोटे टुकड़े काफी हानिकारक होते हैं। शोधकर्ता इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि अन्य प्रदूषकों पर प्लास्टिक का क्या प्रभाव पड़ सकता है जो इसके सम्पर्क में आते हैं। शोधकर्ता बताते हैं कि जब माइक्रोप्लास्टिक सनस्क्रीन जैसे उत्पादों में उपयोग किए जाने वाले यूवी फिल्टर क्रोमियम धातु के सम्पर्क में आते हैं तो यह उसे और अधिक विषाक्त बना सकते हैं।

माइक्रोप्लास्टिक अपनी सतहों पर अन्य पर्यावरणीय प्रदूषकों को जमा कर सकता है, जैसे कि भारी धातु या कार्बनिक अणु, वे मूल रूप से सोचे जाने की तुलना में वन्य जीव, पौधों या मनुष्यों के लिए और भी अधिक समस्या पैदा कर सकते हैं। शोध से पता चला है कि भारी धातुएं माइक्रोप्लास्टिक से आसानी से जुड़ सकती हैं और यह लोगों के साथ-साथ जलीय जीवन को नुकसान पहुंचा सकती हैं।

लेकिन केवल अन्य दूषित पदार्थों से चिपके रहने से अलग, माइक्रोप्लास्टिक्स और उन पदार्थों का मिश्रण एक दूसरे को प्रभावित कर सकते हैं, उनके रासायनिक गुणों को बदल सकते हैं। उदाहरण के लिए, कुछ धातुएं जैसे कि क्रोमियम (सीआर), माइक्रोप्लास्टिक्स की सतहों पर अलग-अलग ऑक्सीकरण चरण से गुजर सकता है।

यहां बताते चलें कि ऑक्सीकरण एक रासायनिक प्रतिक्रिया है जो तब होती है जब कोई पदार्थ ऑक्सीजन या किसी अन्य ऑक्सीकरण पदार्थ के संपर्क में आता है।

यद्यपि क्रोमियम (सीआर) (III) अपेक्षाकृत सुरक्षित है, क्रोमियम (सीआर) (VI) विषैला होता है। इसलिए, केल्विन सेज-यिन लेउंग और सहयोगी पहली बार जांच करना चाहते थे कि माइक्रोप्लास्टिक्स से बंधे होने पर सीआर की ऑक्सीकरण अवस्था कैसे बदल सकती है और यह एक सामान्य कार्बनिक प्रदूषक: यूवी फिल्टर अणुओं से कैसे प्रभावित हो सकता है।

शोधकर्ताओं ने बेंजोफेनोन के यूवी फिल्टर के साथ और बिना दोनों के क्रोमिय और पॉलीस्टाइन माइक्रोप्लास्टिक कणों का मिश्रण बनाया। टीम ने पाया कि यूवी फिल्टर की उपस्थिति में माइक्रोप्लास्टिक्स और भी अधिक क्रोमियम एकत्र कर सकता है। इसके अलावा, फिल्टर वाले मिश्रण में क्रोमियम का ऑक्सीकरण अधिक देखा गया। अंत में, टीम ने परीक्षण किया कि क्या यह बढ़ी हुई ऑक्सीकरण स्थिति सूक्ष्मजीवों की आबादी के लिए पर्यावरणीय विषाक्तता में बदल गई है।

फिल्टर अणु युक्त मिश्रण के संपर्क में आने पर सूक्ष्म शैवाल का विकास रुक गया था। शोधकर्ता ने बताया कि क्रोमियम अब अपने और भी अधिक विषैले रूप में था। शोधकर्ताओं के अनुसार, इसका मतलब यह है कि माइक्रोप्लास्टिक्स प्रदूषकों को अधिक हानिकारक रूप में बदलने में मदद कर सकता है। यह शोध एसीएस की एनवायर्नमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी लेटर्स में प्रकाशित हुआ है।

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