अब प्लास्टिक को स्थायी, जैव-संचारी और जहरीले प्रदूषकों के रूप में अलग करने का समय आ गया है

प्लास्टिक के लंबे समय तक बने रहने और नष्ट होने की दर कम होने के चलते, प्लास्टिक को बायोडिग्रेड या नष्ट होने में 2,500 साल तक लग सकते हैं

By Dayanidhi

On: Saturday 03 June 2023
 
फोटो साभार: एनवायरमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी पत्रिका

दुनिया भर में बढ़ते प्लास्टिक प्रदूषण से छुटकारा पाने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र की अंतर सरकारी वार्ता समिति (आईएनसी-2) की दूसरी बैठक फ्रांस के पेरिस शहर में 29 मई को शुरू हुई थी, जिसका कल आखिरी दिन था। 

दुनिया भर के शोधकर्ताओं की एक टीम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से प्लास्टिक के पर्यावरणीय और स्वास्थ्य को होने वाले खतरों की पहचान करने और उन्हें स्थायी, जैव-संचारी और विषाक्त (पीबीटी) प्रदूषकों के रूप में वर्गीकृत करने का आग्रह कर रही है।

एक नए सुझाव में, शोधकर्ता ने कहा है कि पीबीटी प्रदूषकों के रूप में सूक्ष्म और नैनो-आकार के कणों सहित प्लास्टिक को वर्गीकृत करने से सरकारों को ऐसे उपकरण मिलेंगे जिससे उन्हें प्लास्टिक उत्पादन, उपयोग और रीसाइक्लिंग को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने में मदद मिल सकती है

यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया (यूबीसी) के महासागर शोधकर्ता डॉ. जुआन जोस अलवा कहते हैं कि हमें दुनिया को जगाने और इन प्रदूषकों के खतरों को समझने की जरूरत है। अध्ययनकर्ताओं में कनाडा, अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, एशिया और यूरोप के शोधकर्ता शामिल हैं।

प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय, कानूनी रूप से जरूरी संधि बनाने के प्लास्टिक प्रदूषण के प्रयासों पर संयुक्त राष्ट्र की अंतर सरकारी वार्ता समिति के आगे आह्वान किया गया है।

यूबीसी के महासागर और मत्स्य पालन संस्थान में महासागर प्रदूषण अनुसंधान इकाई के मुख्य शोधकर्ता डॉ. अलवा कहते हैं, हम प्लास्टिक-प्लास्टिसिन के युग में रहते हैं जहां हर जगह प्लास्टिक है। यह समुद्र, तटीय क्षेत्रों और स्थलीय वातावरण में है। यह दुनिया भर के जानवरों, लोगों के ऊतकों और अंगों में पाया गया है। ये आसानी से नष्ट नहीं होते हैं, इसलिए वे कई, कई वर्षों तक टिके रहते हैं।

प्लास्टिक को इतना लोकप्रिय और टिकाऊ बनाया गया है जिसके कारण ये खतरनाक बन जाता है। लंबे समय तक बने रहने और नष्ट होने की दर कम होने के चलते, प्लास्टिक को बायोडिग्रेड या नष्ट होने में 2,500 साल तक लग सकते हैं।

सिंगल-यूज पॉलीएथिलीन टेरिफ्थेलैट (पीईटी) प्लास्टिक की पानी की बोतलें और उच्च घनत्व वाली पॉलिथीन (एचडीपीई) प्लास्टिक की बोतलें इसके प्रमुख उदाहरण हैं। परिवर्तन के बिना, प्लास्टिक का वैश्विक पारिस्थितिकी पदचिह्न पर्यावरणीय प्रक्रियाओं को नया रूप दे रहा है और महासागरों पर बुरा असर डाल रहा है।

प्लास्टिक सभी जीवों के शरीर में जमा हो रहा है, जलीय जानवरों के साथ सूक्ष्म और नैनो-आकार के कणों के संपर्क में आने का सबसे अधिक खतरा है। ये कण समुद्री जानवरों के लिए जहरीले होते हैं, वे जीन और प्रोटीन की प्रक्रिया को बदल सकते हैं, उत्तेजक प्रतिक्रियाएं उत्पन्न कर सकते हैं, मस्तिष्क के विकास को प्रभावित कर सकते हैं और विकास और प्रजनन दर को कम कर सकते हैं, जबकि उचित भोजन और भोजन खोजने के व्यवहार को भी रोक सकते हैं।

यूबीसी के इंस्टीट्यूट फॉर रिसोर्सेज, एनवायरनमेंट एंड सस्टेनेबिलिटी के सह-अध्ययनकर्ता डॉ. गुनिला ओबर्ग ने जोर देते हुए कहा, यह याद रखना बेहद महत्वपूर्ण है कि यह सिर्फ प्लास्टिक नहीं है। कई प्लास्टिक उत्पादों में ऐसे रसायन होते हैं जो अपने आप में लगातार, जैव-संचारी और विषाक्त होने के लिए जाने जाते हैं।

सह-अध्ययनकर्ता डॉ. गुनिला ओबर्ग ने कहा, जीव अक्सर इस तरह के प्लास्टिक को गलती से निगल लेते हैं और इस प्रकार, कई अन्य रसायनों और सूक्ष्मजीवों तक पहुंच जाते हैं।

यहां तक कि मनुष्य भी इन कणों को हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन के माध्यम से ग्रहण करते हैं। इससे स्वास्थ्य पर पड़ने वाले खतरों का अभी भी अध्ययन किया जा रहा है, लेकिन प्लास्टिक की लोगों के ऊतकों और अंगों में इकट्ठा होने की क्षमता के खतरे को उजागर करती है, विशेष रूप से तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए जो समुद्री भोजन पर बहुत अधिक निर्भर हैं।

ये प्लास्टिक, जिनमें अन्य विषाक्त पदार्थ होते हैं, समुद्र में "ट्रोजन हॉर्स" के रूप में कार्य कर सकते हैं।

डॉ. अलावा ने कहा, प्लास्टिक के कण मानव प्लेसेंटा, स्तन के दूध, फेफड़ों और कोलन में पाए गए हैं, तो, खतरे वास्तविक है। कनाडा ने पहले ही छह प्रकार के एक बार उपयोग होने वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन अन्य हानिकारक प्लास्टिक जैसे पीईटी प्लास्टिक की पानी की बोतलों को खत्म करने की जरूरत है। हमें दुनिया से हानिकारक प्लास्टिक को वास्तव में खत्म करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय प्रयास की आवश्यकता है।

डॉ. मेलानी बर्गमैन कहते हैं कि, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा प्लास्टिक प्रदूषण के लिए अंतरराष्ट्रीय कानूनी रूप से जरूरी साधन की बातचीत के अगले दौर से पहले यह आह्वान महत्वपूर्ण है, क्योंकि पहुंच इतनी सीमित है कि इस पहलू को उजागर करने के लिए सिविल सोसाइटी या वैज्ञानिकों से बहुत कम उपस्थिती हो सकती हैं। इसको लेकर अभी तक सही से ध्यान नहीं दिया गया है।

डॉ. अलवा ने कहा उन्हें उम्मीद है कि, एक दिन हमारे पारिस्थितिक पदचिह्न दिखाएंगे कि हमने प्लास्टिक से अधिक बायोडिग्रेडेबल विकल्प और ग्रीन, पर्यावरण के अनुकूल सामग्री को अपना लिया है। हमें वास्तव में उन तरीकों के बारे में सोचना चाहिए जिससे हम समुद्र को प्लास्टिकमय होने से रोक सकें।

वास्तव में आने वाली पीढ़ियों को प्लास्टिक की खपत और उपभोग पर अपना दृष्टिकोण बदलना होगा। यह अध्ययन एनवायरमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।

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