प्लास्टिक 96 फीसदी कार्बन उत्सर्जन तथा 70 फीसदी स्वास्थ्य पर घातक असर के लिए है जिम्मेवार

शोधकर्ताओं ने दुनिया भर में 20 साल की अवधि के दौरान प्लास्टिक की आपूर्ति से जलवायु और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण किया है।

By Dayanidhi

On: Friday 03 December 2021
 
फोटो : विकिमीडिया कॉमन्स

दुनिया भर में प्लास्टिक की मांग पिछले चालीस वर्षों में चौगुनी हो गई है। एक ओर जहां प्लास्टिक उपयोगी, सस्ता और बेहद लोकप्रिय हैं वहीं दूसरी ओर इसके पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले ख़तरनाक प्रभावों के बढ़ने के आसार हैं। आम तौर पर लोग प्लास्टिक से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान के बारे में जानते हैं। विशेष रूप से प्लास्टिक को जलाए जाने से ये ग्रीनहाउस गैसों और वायु प्रदूषकों को छोड़ते हैं। प्लास्टिक माइक्रोप्लास्टिक्स के रूप में पानी और मिट्टी को भी प्रदूषित करते हैं। 

शोध में प्लास्टिक के वैश्विक पर्यावरणीय प्रभाव को मुख्य रूप से इसके निपटान वाले चरण को ध्यान में रखा गया है। प्लास्टिक के उत्पादन के बारे में कुछ अध्ययन बताते है कि यह जलवायु और वायु गुणवत्ता को भी प्रभावित करते हैं।  

इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में डॉक्टरल छात्रा लिविया कैबर्नार्ड कहती हैं कि अब तक एक सरल धारणा यह रही है कि प्लास्टिक के उत्पादन में लगभग उतनी ही मात्रा में जीवाश्म ईंधन की आवश्यकता होती है, जितनी प्लास्टिक में कच्चे माल की होती है। हालांकि, यहां समस्या यह है कि उत्पादन बनाम निपटान के सापेक्ष महत्व को काफी कम करके आंका गया है।

यह शोध कैबर्नार्ड आईएसटीपी के वैज्ञानिक स्टीफ़न फ़िस्टर और पर्यावरण इंजीनियरिंग संस्थान में पारिस्थितिक सिस्टम डिज़ाइन के ईटीएच प्रोफेसर स्टेफ़नी हेलवेग की अगुवाई में किया गया है। शोधकर्ताओं की टीम ने दुनिया भर में 20 साल की अवधि के दौरान प्लास्टिक की आपूर्ति से जलवायु और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण किया है।

शोधकर्ता बताते हैं कि प्लास्टिक का वैश्विक कार्बन पदचिह्न 1995 से दोगुना हो गया है, जो 2015 में 200 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) तक पहुंच गया है। यह वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 4.5 प्रतिशत के लिए जिम्मेवार है, यह इससे और अधिक हो सकता है।

इसी अवधि में, सूक्ष्म कण वायु प्रदूषण से प्लास्टिक के वैश्विक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों में 70 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जिससे 2015 में लगभग 22 लाख विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष (डीएएलवाई) हो गए हैं। यहां बताते चलें कि डीएएलवाई पूरी बीमारियों के भार का एक माप है, जिसमें अस्वस्थता, अक्षमता या असमय मृत्यु के कारण होने वाले वर्षों के नुकसान की संख्या के रूप में व्यक्त किया जाता है।

प्लास्टिक उत्पादन के लिए ऊर्जा और कच्चे माल के रूप में कोयले का उपयोग

अध्ययन के लिए टीम ने प्लास्टिक के जीवन चक्र में उत्पन्न ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को निर्धारित किया, जिसमें जीवाश्म ईंधन को निकालने, उत्पादकों का प्रसंस्करण और जीवन के अंत में, रीसाइक्लिंग, भस्मीकरण और लैंडफिल तक पहुंचना शामिल है। 

शोधकर्ताओं ने पाया कि चीन, भारत, इंडोनेशिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे कोयला आधारित नए औद्योगिक देशों में प्लास्टिक उत्पादन के चलते ग्रीनहाउस गैस बढ़ रहा है। इन देशों में प्लास्टिक के उत्पादन के लिए ऊर्जा मुख्य रूप से कोयले को जलाने से आती है। प्लास्टिक के लिए कच्चे माल के रूप में कोयले की थोड़ी मात्रा का भी उपयोग किया जाता है।

कैबर्नार्ड बताते हैं चीन के परिवहन क्षेत्र, इंडोनेशिया के इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग और भारत के निर्माण उद्योग के प्लास्टिक से संबंधित कार्बन पदचिह्न में 1995 से 50 गुना से अधिक बढ़ गए हैं। विश्व स्तर पर, प्लास्टिक उत्पादन में कार्बन आधारित उत्सर्जन 1995 से चौगुना हो गया है और अब प्लास्टिक के वैश्विक कार्बन पदचिह्न का लगभग आधा हिस्सा है।

जब कोयले को जलाया जाता है, तो इससे बेहद महीन कण पैदा होते हैं जो हवा में जमा हो जाते हैं। इस तरह के पार्टिकुलेट मैटर स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक होते हैं जो कि अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और हृदय रोग जैसी बीमारियों को जन्म दे सकती हैं। जैसे-जैसे अधिक से अधिक कोयले का उपयोग प्रक्रिया में गर्मी, ऊर्जा और प्लास्टिक उत्पादन में कच्चे माल के रूप में किया जाता है, स्वास्थ्य के लिए इसके बहुत खतरनाक परिणाम भी बढ़ रहे हैं। 

अभी तक प्लास्टिक उत्पादन में ऊर्जा उपयोग को कम करके आंका गया

पहले के अनुमानों के विपरीत, जो प्लास्टिक के उत्पादन के लिए समान मात्रा में ईंधन और कच्चे माल को मानते थे, ईटीएच शोधकर्ताओं ने अब साबित कर दिया है कि प्लास्टिक के उत्पादन के लिए जीवाश्म ऊर्जा को प्लास्टिक में कच्चे माल के रूप में दोगुना उपयोग किया जाता है।

कैबर्नार्ड कहती हैं कि यह पर्यावरणीय परिणामों के आकलन को प्रभावित करता है। यहां तक ​​कि सबसे खराब स्थिति में भी, जिसमें सभी प्लास्टिक भस्म हो जाते हैं, उनके उत्पादन में कुल ग्रीनहाउस गैस और पार्टिकुलेट मैटर उत्सर्जन का हिस्सा मौजूद होता है। प्लास्टिक के पूरे उत्पादन चरण के दौरान प्लास्टिक के कार्बन पदचिह्न के लिए सबसे अधिक 96 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है।

कैबर्नार्ड बताती हैं कि इससे पहले केवल एक बार प्लास्टिक उत्पादन के वैश्विक कार्बन पदचिह्न की जांच की है। हालांकि, इसमें ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करके आंका गया है। क्योंकि इसमें कोयला आधारित देशों को उत्पादन प्रक्रियाओं की आउटसोर्सिंग के कारण कोयले पर बढ़ती निर्भरता को ध्यान में नहीं रखा गया। यह अध्ययन नेचर सस्टेनेबिलिटी में प्रकाशित हुआ है।

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