धरती पर कचरे वाली जगहों का पता लगाने तथा प्रबंधन के लिए उपग्रहों का उपयोग महत्वपूर्ण: शोध

नई प्रणाली का उपयोग समय के साथ कचरे वाली जगहों की निगरानी के लिए किया जा सकता है

By Dayanidhi

On: Monday 06 February 2023
 
फोटो साभार :सीएसई

एक नई कम्प्यूटेशनल प्रणाली से उपग्रह के आंकड़ों का उपयोग धरती पर उन जगहों की पहचान करने के लिए किया जा सकता है जहां लोग कचरे का निपटान करते हैं। यह प्रणाली कचरे की निगरानी के लिए एक नया उपकरण प्रदान करती है और उन जगहों का खुलासा करती हैं जो जलमार्गों में प्लास्टिक के बारे में पता लगा सकती है

यह तरीका कैलिफोर्निया के बर्कले में अर्थराइज मीडिया के कालेब क्रूस, वाशिंगटन डीसी में मिंडेरू फाउंडेशन के डॉ. फैबियन लॉरियर और सहकर्मियों ने खोज निकाला है।

हर साल, लाखों मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा महासागरों में समा जाता है, जिससे सैकड़ों प्रजातियों और उनके पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुंचता है। इस कचरे का अधिकांश भाग भूमि आधारित स्रोतों से आता है जो पानी में बह के जाते हैं। इस मुद्दे को हल करने के प्रयासों के लिए बेहतर समझ की आवश्यकता है।

लोग धरती पर कचरे का निपटान कहां करते हैं, लेकिन ऐसी जगहों का पता लगाने और निगरानी करने के लिए संसाधनों की कमी है। ये जगहें आधिकारिक और अनौपचारिक रूप से कचरा डालने या अवैध दोनों हो सकते हैं।

हाल के वर्षों में, उपग्रह के आंकड़ों का विश्लेषण करने के लिए नेटवर्क के रूप में जाने जाने वाले कम्प्यूटेशनल उपकरणों के उपयोग ने रिमोट सेंसिंग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उस काम के आधार पर, क्रूस और उनके सहयोगियों ने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के सेंटिनल-2 उपग्रहों के आंकड़ों का विश्लेषण करने के लिए नेटवर्क की एक नई प्रणाली विकसित की जो धरती पर कचरे वाली जगहों की निगरानी करने में अच्छा  प्रदर्शन कर रही है।

नई प्रणाली के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए, शोधकर्ताओं ने पहले इसका इस्तेमाल इंडोनेशिया में किया, जहां इसने 374 कचरे के निपटान वाली जगहों का पता लगाया। जो कि सार्वजनिक रिकॉर्ड में दर्ज की गई जगहों की संख्या के दोगुने से भी अधिक हैं।

दक्षिण पूर्व एशिया के सभी देशों में इस प्रणाली ने कुल 966 कचरे वाले जगहों की पहचान की। जो कि सार्वजनिक रूप से दर्ज जगहों की संख्या का लगभग तीन गुना, जिसकी बाद में अन्य तरीकों के माध्यम से मौजूद होने की पुष्टि की गई।

शोधकर्ताओं ने दिखाया कि उनकी नई प्रणाली का उपयोग समय के साथ कचरे वाली जगहों की निगरानी के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा, उन्होंने दिखाया कि उनके द्वारा खोजे गए लगभग 20 प्रतिशत कचरे वाली जगहें जलमार्ग के 200 मीटर के भीतर पाए जाते हैं, जिनमें से कुछ स्पष्ट रूप से नदियों में फैले हैं जो अंततः समुद्र तक पहुंचते हैं।

ये निष्कर्ष, साथ ही इस प्रणाली का उपयोग करने वाले भविष्य के निष्कर्ष, कचरा प्रबंधन की नीतियों और निर्णय लेने में मदद कर सकते हैं। आंकड़े सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है, इसलिए हितधारक इसका उपयोग अपने समुदायों के भीतर कार्रवाई करने के लिए कर सकते हैं।

भविष्य की ओर देखते हुए, शोधकर्ता वैश्विक स्तर पर अपने नए कचरे वाली जगहों की निगरानी प्रणाली को परिष्कृत और विस्तारित करने की योजना बना रहे हैं।

शोधकर्ता कहते हैं कि पहली बार, ग्लोबल प्लास्टिक वॉच दुनिया भर की सरकारों और शोधकर्ताओं को ऐसे आंकड़े प्रदान करती है जो कचरे के बेहतर प्रबंधन के लिए मार्गदर्शन कर सकते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि जमीन आधारित कचरा हमारे महासागरों में नहीं मिलता है। यह शोध पीएलओएस वन नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

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