मुख्य सचिव ने दी सफाई, बुद्धा नाले में प्रदूषण को रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है पंजाब सरकार

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Wednesday 19 April 2023
 

बुद्धा नाला और सतलुज नदी में प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए पंजाब सरकार हर संभव प्रयास कर रही है, जिससे नदी के पानी की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सके। साथ ही जानकारी दी गई है कि सभी विभाग लंबित कार्यों को समय सीमा के भीतर पूरा करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। यह बातें पंजाब के मुख्य सचिव द्वारा कोर्ट में 17 अप्रैल को दिए जवाब में कही हैं।

इस मामले में पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जानकारी दी है कि लुधियाना में रंगाई की करीब 300 इकाइयां चल रही हैं, जिनमें से करीब 252 बुद्धा नाला जलग्रहण क्षेत्र में आती हैं। रंगाई उद्योगों से निकले दूषित जल के उपचार के लिए लुधियाना में 105 एमएलडी की कुल क्षमता के 3 सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्र (सीईटीपी) स्थापित किए गए हैं।

ये सभी सीईटीपी अपने ट्रीटेड वेस्ट वाटर को बुद्धा नाले में बहा रहे हैं। रंगाई की शेष 54 इकाइयां जो सीईटीपी में शामिल नहीं हो सकी उनके पास दूषित जल के उपचार के लिए अपने स्वयं के कैप्टिव वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट हैं।

बताया गया है कि इन रंगाई उद्योगों से निकले दूषित जल के उपचार के लिए सीईटीपी की स्थापना और कमीशनिंग के बाद, उद्योगों के घरेलू और औद्योगिक प्रवाह को लुधियाना शहर के घरेलू सीवेज से अलग किया जाएगा।

एनजीटी को यह भी जानकारी दी गई है कि पंजाब सरकार ने पहले ही अदालत के निर्देशों और आदेशों के अनुसार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सतलुज नदी को साफ करने के लिए कार्य योजना' प्रस्तुत कर दी थी।

इसके अलावा, मिट्टी और जल संरक्षण विभाग के प्रशासनिक सचिव को बुद्धा नाला जलग्रहण क्षेत्र में पड़ने वाले एसटीपी से निकले ट्रीटेड वेस्ट वाटर को सिंचाई के लिए समयबद्ध तरीके से उपयोग करने की संभावना तलाशने को कहा गया है साथ ही उन्हें इस बारे में व्यापक योजना भी प्रस्तुत करनी है।

एनजीटी ने पर्यावरण मंजूरी के खिलाफ दायर अपील को किया खारिज

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पावर ग्रिड कॉरपोरेशन को पहले चरण के लिए 22 जून, 2021 को दी पर्यावरण मंजूरी के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया है। यह अंतरिम मंजूरी पेड़ों को काटने और काम शुरू करने के लिए दी गई थी। मामला फतेहगढ़ II से भादला II के बीच 765केवी/डीसी ट्रांसमिशन लाइन से भी जुड़ा है।

कोर्ट ने 19 अप्रैल, 2023 को दिए आदेश में कहा कि पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ने वन अधिनियम, 1980 के तहत वन अधिकारियों से उचित अनुमति ली थी और वन नियमों का कोई सीधा उल्लंघन नहीं हुआ है।

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