सीईपीआई स्कोर में दखल देने की कोई वजह नहीं, एनजीटी ने किया स्पष्ट

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Wednesday 31 August 2022
 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अपने 29 अगस्त 2022 को दिए आदेश में साफ कर दिया है कि काम्प्रिहेंसिव इनवायरमेंटल पॉल्यूशन इंडेक्स (सीईपीआई) की योजना और कार्यप्रणाली में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है।

गौरतलब है कि उद्योगों से हो रहे प्रदूषण को मापने के लिए सीईपीआई को तैयार किया गया था। इसके तहत हवा, पानी और जमीन पर हो रहे प्रदूषण को अलग-अलग माप कर स्कोर दिया जाता है।

यह योजना पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से जारी है लेकिन केवल जब अदालत “सांविधिक नियामकों को उनके वैधानिक दायित्वों को प्रभावी और जिम्मेदार तरीके से निर्वहन के लिए आदेश जारी करती है, तो ही कुछ कार्रवाई की जाती है।“

एनजीटी द्वारा दिया 219 पेजों का यह निर्णय प्रदूषण के संबंध में औद्योगिक समूहों की रैंकिंग से संबंधित है, जोकि एक समाचार पत्र में प्रकाशित रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट द्वारा खुद शुरू की गई कार्रवाई के जवाब में था। इतना ही नहीं कोर्ट के अनुसार इस मामले में पर्यावरण की बहाली और संरक्षण के लिए प्रभावी कार्रवाई करने में वैधानिक नियामक भी नाकाम रहे हैं। 

तिरुपति में अविलाला चेरुवु तालाब से जल्द हटाएं अवैध निर्माण, एनजीटी ने दिया निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने अपने 29 अगस्त, 2022 को दिए आदेश में तिरुपति शहरी विकास प्राधिकरण और गरुड़ा वरधी तिरुपति स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को यह निर्देश दिया है कि वो अविलाला चेरुवु तालाब क्षेत्र में अतिक्रमण न करे। गौरतलब है कि अविलाला चेरुवु तालाब पर होते इस अतिक्रमण के चलते उसके जल प्रसार क्षेत्र में कमी आ गई है। साथ ही उसकी छवि पर भी असर पड़ा है।

इस मामले में कोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग 205 और सबस्टेशन को छोड़कर, अन्य सभी निर्माण जो सिंचाई विभाग से अनुमति लिए बिना और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों के बाद स्थापित किए गए हैं उन्हें हटाने का निर्देश दिया है।

साथ ही कोर्ट ने इस बारे में तिरुपति के जिला कलेक्टर को सिंचाई विभाग के साथ मिलकर इस अतिक्रमण को दूर करने और जल स्रोत को पहले जैसी स्थिति में बहाल करने को कहा है।

कोर्ट का कहना है कि इसमें बांध को मजबूत के साथ-साथ समय-समय पर जलाशयों से गाद निकालना और उन्हें गहरा करके उनकी जल संग्रहण क्षमता में वृद्धि करना है। एनजीटी के न्यायमूर्ति के रामकृष्णन ने अपने फैसला में कहा है कि बारिश के मौसम में वर्षा जल के संग्रहण के लिए इनलेट और आउटलेट को भी बहाल किया जाना चाहिए।

इस मामले में अविलाला चेरुवु परिरक्षण समिति और स्वर्णमुखी बचावो आंदोलन समिति द्वारा आवेदन दायर किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि इस तालाब में बड़े पैमाने पर निर्माण किया जा रहा है। 

राष्ट्रीय राजमार्ग के गुरुग्राम पटौदी रेवाड़ी खंड के निर्माण के लिए पेड़ों को काटने का मामला

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने राष्ट्रीय राजमार्ग-352डब्लू के गुरुग्राम पटौदी रेवाड़ी खंड के 4/6 लेन का निर्माण शुरू कर दिया है। जानकारी मिली है कि गुरुग्राम और रेवाड़ी दोनों वन प्रभागों में अधिकांश पेड़ जिनके लिए वन विभाग और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अनुमति दी थी काट दिए गए हैं।

गौरतलब है कि विवेक कम्बोज एवं अन्य बनाम भारत संघ के मामले में संयुक्त समिति द्वारा दायर की गई कार्रवाई रिपोर्ट में यह जानकारी साझा की गई है। पता चला है कि उस क्षेत्र में अब पांच फीसदी से भी कम पेड़ खड़े हैं, जिनके लिए एनएचएआई द्वारा सूचित किया गया था कि इन पेड़ों का भी काटा जाना आवश्यक है। यह रिपोर्ट 30 अगस्त, 2022 को एनजीटी की साइट पर अपलोड की गई है।

पूरा मामला राष्ट्रीय राजमार्ग-352डब्ल्यू के गुरुग्राम पटौदी रेवाड़ी खंड के 4/6 लेन निर्माण के लिए 47.09 हेक्टेयर वन भूमि के डायवर्जन और उसकी वन मंजूरी  से जुड़ा है। इसके चरण I और II के लिए पर्यावरण मंत्रालय द्वारा मंजूरी दी गई है और पेड़ों की कटाई के लिए अंतरिम मंजूरी 27 दिसंबर, 2021 को प्रधान मुख्य वन संरक्षक हरियाणा द्वारा दी गई थी।

इस बारे में अपीलकर्ताओं का कहना है कि वहां सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देश, 2018 का पालन नहीं किया जा रहा है, जिसके अनुसार राजमार्ग का विस्तार एक तरफ होना चाहिए जिससे दूसरी तरफ के पेड़ों को सुरक्षित रखा जा सके।

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