पर्यावरण मुकदमों की डायरी: नजफगढ़ नाले में प्रदूषण को लेकर एनजीटी सख्त, एक महीने में रिपोर्ट मांगी

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Wednesday 13 July 2022
 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी), दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी), सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग, दिल्ली और जिला मजिस्ट्रेट, दक्षिण पश्चिम दिल्ली की एक संयुक्त समिति को यह निर्देश दिया है कि वो एक महीने के भीतर नजफगढ़ नाले के प्रदूषण पर अपनी रिपोर्ट कोर्ट में सबमिट करे।

गौरतलब है कि कोर्ट द्वारा की गई यह कार्यवाही एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर शुरू की गई है, जिसमें कहा गया था कि बढ़ते प्रदूषण के चलते नजफगढ़ नाले में बड़ी संख्या में मछलियां मृत पाई गई थी।

नाले से जो पानी के नमूने लिए गए हैं उनकी जांच से पता चला है कि पानी में जैविक ऑक्सीजन मांग यानी बीओडी का स्तर 76 मिलीग्राम/ लीटर पाया गया, जोकि निर्धारित मानक 30 मिलीग्राम/ लीटर से कहीं ज्यादा था। इसी तरह रासायनिक ऑक्सीजन मांग (सीओडी) का स्तर भी 320 मिलीग्राम/लीटर था जो निर्धारित मानक 250 मिलीग्राम/लीटर से ज्यादा पाया गया था। कोर्ट में जो तस्वीरें सबमिट की गई हैं उनसे पता चलता है की नाले में बड़ी संख्या में मछलियां मृत पाई गई थी।

श्रीगंगानगर जिले में ईंट भट्टों को करना चाहिए नियमों का पालन: एनजीटी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (आरएसपीसीबी) को यह सुनिश्चित करने के लिए जरुरी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है कि राजस्थान के श्री गंगानगर जिले में ईंट भट्टे मानदंडों का पालन करें। अदालत का यह आदेश 11 जुलाई, 2022 को जारी किया गया है।

गौरतलब है कि अदालत का यह आदेश ट्रिब्यूनल के समक्ष दायर एक याचिका के मद्देनजर आया है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि श्रीगंगानगर जिले में ईंट भट्टे पर्यावरण नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। विशेष रूप से इन भट्टों के पास वायु और जल अधिनियमों के तहत आवश्यक सहमति नहीं है। जो सीधे तौर पर कानून का उल्लंघन है। साथ ही इनसे होता वायु प्रदूषण स्वास्थ्य और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा रहा है।

इस मामले में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने 18 अप्रैल, 2022 को एनजीटी के समक्ष अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें उसने कोर्ट को जानकारी दी थी कि श्रीगंगानगर जिले की 10 तहसीलों में 286 ईंट भट्टे स्थित हैं। वहां सीपीसीबी और आरएसपीसीबी द्वारा इन ईंट भट्टों की निगरानी की गई थी, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि वो 750 मिलीग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा प्रदूषण नहीं कर रहे हैं।

रिपोर्ट से पता चला है कि इनमें से करीब 165 ईंट भट्टों के पास संचालन की सहमति (सीटीओ) नहीं है, इसके बावजूद वो चालू हैं। ऐसे में रिपोर्ट ने सिफारिश की है कि उनसे पर्यावरणीय मुआवजे की वसूली के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।

इतना ही नहीं सीपीसीबी द्वारा जारी इस रिपोर्ट में सिफारिश की गई थी कि सूरतगढ़, जैतसर, श्रीविजयनगर, रायसिंहनगर और अनूपगढ़ तहसीलों के प्रमुख कलस्टरों में ईंट भट्टों के नियमित करने की जरुरत है जिसके लिए उनके उत्पादन और सञ्चालन की अवधि को सीमित करने की आवश्यकता है। इस बारे में रिपोर्ट का कहना है कि सहमत मात्रा के अनुसार उत्पादन को प्रतिबंधित करने के लिए ईंट भट्टों को जनवरी से जून तक संचालित करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

उत्तर प्रदेश में फैक्ट्रियों के अवैध संचालन को रोकने के लिए सतर्कता जरूरी: एनजीटी

एनजीटी ने फैक्ट्रियों के अवैध संचालन को रोकने और सतर्कता तंत्र का जायजा लेने के लिए सभी जिलाधिकारियों के साथ एक संयुक्त बैठक आयोजित करने का निर्देश दिया है। इस संयुक्त समिति में अतिरिक्त मुख्य सचिव, उद्योग, अतिरिक्त मुख्य सचिव, पर्यावरण, अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और हापुड़ के जिला मजिस्ट्रेट को शामिल किया गया है।

इस बैठक का मकसद उन कारखानों के खिलाफ सतर्कता तंत्र को मजबूत करना है जिनका संचालन अवैध रूप से किया जा रहा है और जिनकी वजह से दुर्घटनाएं हो सकती हैं। साथ ही इन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए जरुरी कदम उठाना है।

इस मामले में एनजीटी ने अपने 12 जुलाई, 2022 को दिए आदेश में कहा है कि इसके लिए मौजूदा तंत्र को सही तरीके से अपडेट और सुव्यवस्थित करने की जरुरत है। गौरतलब है कि हापुड़ में पर्यावरण नियमों की अनदेखी करके चल रही रूही इंडस्ट्रीज के एक कारखाने में 04 जून 2022 को आग लगने से 12 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 13 लोगों के घायल होने की खबर मीडिया में सामने आई थी। इस खबर के आधार पर कोर्ट ने यह कार्रवाई की है।

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