भारत में 1,169 नदियों के जरिए समुद्रों तक पहुंच रहा है हर साल करीब 126,513 मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा

दुनिया भर में नदियों के जरिए हर साल 27 लाख मीट्रिक टन तक प्लास्टिक कचरा समुद्रों में पहुंच रहा है, इसके करीब 80 फीसदी हिस्से के लिए 1,000 नदियां जिम्मेवार है

By Lalit Maurya

On: Tuesday 18 May 2021
 

महासागरों में पहुंचने वाले प्लास्टिक कचरे का एक बड़ा स्रोत नदियां भी हैं| हर साल नदियों के जरिए लाखों टन प्लास्टिक कचरा समुद्रों तक पहुंचता है| यही वजह है कि लम्बे समय से वैज्ञानिक उन नदियों के बारे में जानने की कोशिश करते रहे हैं, जिनके जरिए यह कचरा समुद्रों तक पहुंच रहा है|

इस पर हाल ही में किए एक शोध से पता चला है कि नदियों के जरिए समुद्रों तक पहुंचने वाले करीब 80 फीसदी हिस्से के लिए दुनिया की 1,000 नदियां मुख्य रूप से जिम्मेवार हैं, जबकि बाकि बचा 20 फीसदी प्लास्टिक कचरा करीब 30,000 नदियों के जरिए समुद्रों तक पहुंच रहा है| यह जानकारी हाल ही में स्वयंसेवी संगठन ओसियन क्लीनअप और उसके सहयोगियों द्वारा किए शोध में सामने आई है, जोकि जर्नल साइंस एडवांसेज में प्रकाशित हुआ है|

शोध के मुताबिक इन नदियों के जरिए हर साल तकरीबन 27 लाख मीट्रिक टन तक प्लास्टिक कचरा समुद्रों में पहुंचता है| इसमें भी शहरी क्षेत्रों से निकलने वाली छोटी नदियां सबसे ज्यादा प्रदूषित हैं| गौरतलब है कि इससे पहले किए गए शोधों में यह माना गया था कि समुद्रों तक पहुंच रहे प्लास्टिक के लिए मुख्य तौर पर बड़ी नदियां जिम्मेवार हैं जो एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक बहती हैं, लेकिन इस नए शोध के मुताबिक समुद्रों में बढ़ते प्लास्टिक प्रदूषण में छोटी और मध्यम आकार की नदियों की मुख्य भूमिका है|

इससे पहले 2017 में किए गए अन्य शोधों में प्लास्टिक प्रदूषण फैला रही प्रमुख नदियों की संख्या 10 से 20 के बीच पाई गई थी| यदि देखा जाए तो इस नए शोध में प्लास्टिक प्रदूषण फैलाने वाली नदियों की संख्या उससे करीब 50 से 100 गुना ज्यादा है| हालांकि यदि इन नदियों से प्लास्टिक कचरे को साफ़ करने के दृष्टिकोण से देखें तो हजार नदियां एक बहुत बड़ी संख्या लगती है, पर दुनिया की कुल नदियों के हिसाब से यह केवल 1 फीसदी ही है|

 

महासागरों में कितना प्लास्टिक कचरा नदियों के जरिए पहुंचता है यह न केवल उन नदी घाटियों में उत्पन्न होने वाले कचरे की मात्रा पर निर्धारित होता है| यह आबादी और उसके घनत्व, आर्थिक विकास और कितना बेहतर तरीके से कचरे का प्रबंधन किया जा रहा है उसपर भी निर्भर करता है|

इसके साथ ही यह उन कारकों पर निर्भर करता है जिनकी मदद से यह कचरा नदियों के जरिए समुद्रों तक पहुंचता है, इनमें बारिश, हवा, भूमि उपयोग और उसका ढलान, नदियों से दूरी और समुद्र से नदियों के बीच की दूरी पर भी निर्भर करता है| उदाहरण के लिए प्लास्टिक कचरे की नदी और समुद्र से दूरी जितना ज्यादा होगी उसके समुद्रों में पहुंचने की सम्भावना भी उतनी ही कम होगी|

छोटी और मध्यम आकार की नदियां सबसे ज्यादा फैला रही हैं प्रदूषण

यदि नदियों के आकार के आधार पर देखें तो शोध के मुताबिक समुद्रों तक प्लास्टिक कचरे के पहुंचने में 454 नदियां जो आकार में बहुत छोटी है उनकी हिस्सेदारी करीब 25 फीसदी है| वहीं 360 छोटी नदियां 24 फीसदी, 162 मध्यम आकार की नदियां 22 फीसदी, 18 बड़ी नदियां करीब 2 फीसदी और छह बहुत बड़ी नदियां करीब एक फीसदी कचरे के लिए जिम्मेवार होती हैं| वहीं विभिन्न आकार की नदियां प्लास्टिक प्रदूषण में 26 फीसदी का योगदान करती हैं|

शोध से एक और तथ्य सामने आया है जिसके अनुसार जिन देशों की तटीय सीमा ज्यादा बड़ी है उनसे प्लास्टिक कचरे के समुद्रों तक पहुंचने की सम्भावना ज्यादा है| साथ ही यह सब कुछ नदियों से दूरी पर भी निर्भर करता है| समुद्रों में प्लास्टिक कचरा फैलाने वाले सभी प्रमुख पांच देश एशिया में स्थित है जिनमें फिलीपींस, भारत, मलेशिया, चीन और इंडोनेशिया शामिल हैं| यह सम्मिलित रूप से समुद्रों में पहुंचने वाले प्लास्टिक कचरे के करीब 79.7 फीसदी हिस्से के लिए जिम्मेवार हैं|

एशिया में दुनिया की लगभग 60 फीसदी आबादी रहती है| कई एशियाई देशों की लम्बी तटरेखाएं हैं, जिस वजह से उनके द्वारा समुद्रों में प्लास्टिक उत्सर्जन की सबसे ज्यादा सम्भावना है| शोध के मुताबिक प्लास्टिक कचरे को समुद्र में डालने के मामले में फिलीपीन्स पहले स्थान पर है जिसकी करीब 4820 नदियों के जरिए 356,371 मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा हर वर्ष समुद्रों तक पहुंच रहा है, जबकि भारत इस मामले में दूसरे स्थान पर है जहां 1,169 नदियों के जरिए करीब 126,513 टन कचरा समुद्रों में पहुंच रहा है|

वहीं मलेशिया में 1070 नदियों के जरिए  73,098 मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा और चीन की 1,309 नदियों के जरिए करीब 70,707 मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा हर साल समुद्रों तक पहुंच रहा है|

समुद्र न केवल हमारे पर्यावरण और जलवायु के लिए बहुत मायने रखते हैं साथ ही समुद्रों और उसके आस-पास रहने वाले लोगों के जीवन और जीविका का भी मुख्य स्रोत हैं| ऐसे में समुद्रों में बढ़ता प्लास्टिक कचरा इन सभी के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है| ओसियन क्लीनअप द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार प्लास्टिक समुद्रों में रहने वाली 700 से भी ज्यादा जीवों की प्रजातियों को नुकसान पहुंचा रहा है जिनमें से करीब 100 पहले से ही खतरे में ही हैं|

यही नहीं इसकी वजह से समुद्री तटों के आसपास रहने वाले समुदायों को करीब 138,750 करोड़ रुपयों का नुकसान पहुंचा रहा है| यही नहीं प्लास्टिक में मौजूद हानिकारक केमिकल समुद्रों के जरिए मछलियों और अन्य समुद्री जीवों में जा रहे हैं, जिसका सेवन करीब 300 करोड़ लोग करते हैं| ऐसे में यह उनके स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा सकता है| 

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