बाणगंगा में प्रदूषण : एनजीटी ने कहा प्राधिकरण जल्द से जल्द उठाएं रोकथाम के कदम

एनजीटी ने कहा कि राज्य की यह जिम्मेदारी होती है कि वह अपने नागरिकों को साफ पर्यावरण मुहैया कराए। 

By Vivek Mishra

On: Thursday 24 March 2022
 

जम्मू-कश्मीर के कटरा में बाणगंगा नदी में प्रदूषण के बचाव को लेकर प्रयास नहीं किए जा रहे हैें। बाणगंगा नदी जम्मू के कटरा कस्बे के लिए पेयजल का सबसे बड़ा स्रोत है। तमाम मीडिया रिपोर्ट्स के बावजूद प्रशासन के जरिए इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने इस शिकायत और प्राधिकरणों की रिपोर्ट के बाद कहा है कि बाणगंगा में प्रदूषण रोकने के लिए जो कदम उठाए गए हैं वह नाकाफी और अस्पष्ट हैं। 

एनजीटी ने हिंमाशु शर्मा बनाम जम्मू-कश्मीर संघ के मामले में 23 मार्च, 2022 को अपने आदेश में कहा कि हमने पेश की गई रिपोर्ट्स में पाया है कि बाणगंगा में डिस्चार्ज छोड़ने वाले एसटीपी का प्रदर्शन कितना कारगर है। नदी में एसटीपी से छोड़े जा रहे शोधित सीवेज की गुणवत्ता और मात्रा को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। जरूरत है कि नदी में डिस्चार्ज से पहले शोधित सीवेज की गुणवत्ता की जांच परख स्पष्ट और पारदर्शी हो। 

इसके अलावा यह भी आवश्यकता है कि वेस्ट सेग्रीगेशन के सेंटर  नदी किे किनारों से एक उचित दूरी पर मौजूद हों।  इसके अळावा 1.2 और 4.4 एमएलडी क्षमता वाले एसटीपी के प्रस्तावित साइट भी उचित होने चाहिए। पीठ ने कहा कि आवश्यकता है कि आर्मी की बस्तियों से सीवेज इफ्लुएंट, शूकरों की शिफ्टिंग, खच्चरों के शेड व बायो गैस प्लांट को सही से प्रबंधित किया जाए। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी तरह का प्रदूषण नदी में न जाने पाए।

इसके अलावा रिसाइकल होने वाले कचरे को सही केंद्रों पर पहुंचाया जाएगी। वहीं, 101757 घन मीटर लीगेसी वेस्ट की बायो-माइनिंग और अतिक्रमण को भी रेग्युलेट किया जाए।  पीठ ने कहा है कि कटरा नगर निकाय और कटरा वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड समस्या के समाधन के लिए उचित कानूनी कदम उठाएं। जो भी हर्जाना एकत्र हो उसका इस्तेमाल रेस्टोरेशन में किया जाए। 

पीठ ने कहा कि वेस्ट मैनेजमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए जमीन की जरूरत को जल्द से जल्द पूरा किया जाए। वहीं यह ध्यान रहे कि राज्य की यह जिम्मेदारी होती है कि वह अपने नागरिकों को साफ पर्यावरण मुहैया कराए। ऐसे में कचरा प्रबंधन की  दिशा में कोई भी रुकावट नहीं होनी चाहिए। डीपीआर के फंड को जल्द से जल्द आवंटन दिया जाए।

 

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