मेधा पाटकर की तबियत बिगड़ी, नर्मदा घाटी के गांवों में नहीं जलेगा चूल्हा

मध्य प्रदेश की स्वास्थ्य मंत्री ने अनशन स्थल पर जाकर मेधा पाटकर से अनशन खत्म करने की अपील की

On: Monday 02 September 2019
 
अनशन स्थल पर अचेतावस्था में मेधा पाटकर। फोटो: रहमत

छोटा बड़दा गांव से रहमत की रिपोर्ट

सरदार सरोवर बांध के लगातार जल स्तर बढ़ने के खिलाफ अनशन पर बैठ नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर की आठवें दिन तबियत बिगड़ गई है। देर रात मिली जानकारी के अनुसार उनकी सेहत लगातार गिर रही है। बिगड़ती हालत देखकर मध्य प्रदेश की स्वास्थ्य मंत्री ने आकर उन्हें अनशन खत्म करने की अपील की लेकिन उनकी कोशिश नकाम रही। वहीं दूसरी ओर जिले की पुलिस ने धरना स्थल पर भी आने की कोशिश की लेकिन उसे आंदोलनकारियों ने धरना स्थल के बाहर ही रोक दिया। हालांकि पुलिस इसके बाद वापस चली गई। वहीं, इस आंदोलन के समर्थन में नर्मदा घाटी के गांवों में सोमवार को चूल्हा नहीं जलेगा और देशभर के समर्थक भी सोमवार को सांकेतिक उपवास रखेंगे।

नर्मदा चुनौती सत्‍याग्रह के तहत मेधा पाटकर के अनिश्चितकालीन अनशन के 8 वें दिन अकेले उनकी हालत ही नहीं बिगड़ी है बल्कि उनके 8 साथियों का स्‍वास्‍थ्‍य लगातार गिरता जा रहा है। लेकिन इन सभी का कहना है कि नर्मदा घाटी और देशभर से मिल रहे समर्थन से उनकी आत्मिक और नैतिक ताकत बढ़ती जा रही है। दूसरी प्रदेश के गृहमंत्री बाला बच्‍चन ने भी आंदोलन की मांगों का समर्थन किया। लेकिन आंदोलनकारियों का कहना है केवल समर्थन में दिया गया बनया ही काफी नहीं है बल्कि हमारी उनसे मांग है कि प्रदेश सरकार जलाशय का स्‍तर कम कर 122 मीटर करने तथा क्रमबद्ध तरीके से सभी प्रभावितों के पुनर्वास की ठोस योजना प्रस्‍तुत करे।

राज्य के 32 हजार परिवारों का पुनर्वास किए बिना जलस्‍तर 134. 500 मीटर तक बढ़ाने पर आई डूब से दर्जनों गांवों आंतरिक के रास्‍ते कट गए हैं। साथ ही इनकी संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।एनवीडीए आयुक्‍त द्वारा आंदोलन के 33 मुद्दों का लिखित जवाब आया है, जिस पर आंदोलन अपनी प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त की है। आंदोलन का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के 8 फरवरी 2017 के आदेश तथा जीआरए के आदेशों के मुताबिक नुकसान भरपाई, पुनर्वास की स्थिति तथा अन्‍य मुद्दों का निपटारा करने के लिए प्रशासन और आंदोलन के बीच तालमेल के सा‍थ समयबद्ध कार्यक्रम तय हो। हालांकि जिला कलेक्‍टर और अधिकारी आंदोलनकारियों से आकर बात तो लगातार कर रहे हैं लेकिन शिकायत निवारण पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

आंदोलन कार्यकर्ता रोहित सिंह व राहुल यादव ने बताया कि इस दौरान देश और दुनियाभर के 22 देशों के सामाजिक आंदोलन के कार्यकर्ताओं के समर्थन की खबरें मिली हैं। कई शहरों में ज्ञापन दिए गए और विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। सत्‍याग्रह स्‍थल पर भी देशभर के साथियों का तांता लगा हुआ है। मैगसेसे पुरस्‍कार विजेता संदीप पाण्‍डे सहित वरिष्‍ठ सामाजिक कार्यकर्ता चिन्‍मय मिश्रा और मुंबई के घर बचाओ-घर बनाओं आंदोलन के साथी भी शामिल हुए। पुणे क्षेत्र के मानव कांबले, मारुति भापकर त‍था उनके साथी शामिल हुए। नर्मदा बचाओ आंदोलन के महाराष्‍ट्र क्षेत्र के आदिवासी प्रतिनिधियों सहित चेतन भाऊ, विजय भाऊ, योगिनी ताई, लतिका ताई शामिल हुए। सोश्‍यलिस्‍ट पार्टी के रामस्‍वरुप मंत्री, किसान संघर्ष समिति के लीलाधर चौधरी, अखिल भारतीय किसान सभा मध्‍यप्रदेश के राम नारायण, एससीएसटी ओबीसी एकता मंच, बड़वानी से सुमेरसिंह बड़ौले तथा बिरसा ग्रुप, जयस संगठन, एनएसओएसवायएफ के साथियों ने सत्‍याग्रह स्‍थल पहुंच कर अपना समर्थन व्‍य‍क्‍त किया। इनके अलावा एनएपीएम की वरिष्‍ठ साथी सुनिति ताई तथा सुहास ताई एवं सेंचुरी सत्‍याग्रह के साथी सत्‍याग्रह में शामिल है। राजस्थान के शुक्लावास में अनशन के समर्थन में धरना किया गया। तमिलनाडू के चेन्नई में जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय, तथा पर्यावरणवादी कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया।

नर्मदा चुनौती सत्‍याग्रह के समर्थन में जन जागरण के लिए नर्मदा घाटी के गांवों में मोटर साइकल रैली निकाली गई। करीब 200 मोटर सायकलों का कारवां सुबह खलघाट से प्रारंभ हुआ जो धरमपुरी,टवलाई, बाकानेर और मनावर में नुक्‍कड़ सभा करते हुए सत्‍याग्रह स्‍थल पहुंचा। कल नर्मदा घाटी के युवा साथियों ने एनवीडीए के कार्यालय में जाकर शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगें रखी। प्रभावितों द्वारा भारत के प्रधान न्‍यायाधीश को पत्र लिखकर बिना पुनर्वास डूब से उनकी रक्षा की मांग की गई है।

गुजरात सरकार सत्याग्रहियों तथा डूब क्षेत्र के प्रभावितों को धमकाने के लिए सरदार सरोवर के गेट से पर्याप्त जल निकासी नहीं कर रही है, जिससे जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। निधारित जलभराव कार्यक्रम के विरुद्ध जलस्तर बढ़ा कर आज 134.500 मीटर कर दिया गया है। लेकिन, सत्याग्रही डूब से पहले हर परिवार के संपूर्ण पुनर्वास की मांग पर अडिग हैं।

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