मेधा पाटकर की तबियत बिगड़ी, नर्मदा घाटी के गांवों में नहीं जलेगा चूल्हा
मध्य प्रदेश की स्वास्थ्य मंत्री ने अनशन स्थल पर जाकर मेधा पाटकर से अनशन खत्म करने की अपील की
On: Monday 02 September 2019
छोटा बड़दा गांव से रहमत की रिपोर्ट
सरदार सरोवर बांध के लगातार जल स्तर बढ़ने के खिलाफ अनशन पर बैठ नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर की आठवें दिन तबियत बिगड़ गई है। देर रात मिली जानकारी के अनुसार उनकी सेहत लगातार गिर रही है। बिगड़ती हालत देखकर मध्य प्रदेश की स्वास्थ्य मंत्री ने आकर उन्हें अनशन खत्म करने की अपील की लेकिन उनकी कोशिश नकाम रही। वहीं दूसरी ओर जिले की पुलिस ने धरना स्थल पर भी आने की कोशिश की लेकिन उसे आंदोलनकारियों ने धरना स्थल के बाहर ही रोक दिया। हालांकि पुलिस इसके बाद वापस चली गई। वहीं, इस आंदोलन के समर्थन में नर्मदा घाटी के गांवों में सोमवार को चूल्हा नहीं जलेगा और देशभर के समर्थक भी सोमवार को सांकेतिक उपवास रखेंगे।
राज्य के 32 हजार परिवारों का पुनर्वास किए बिना जलस्तर 134. 500 मीटर तक बढ़ाने पर आई डूब से दर्जनों गांवों आंतरिक के रास्ते कट गए हैं। साथ ही इनकी संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।एनवीडीए आयुक्त द्वारा आंदोलन के 33 मुद्दों का लिखित जवाब आया है, जिस पर आंदोलन अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। आंदोलन का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के 8 फरवरी 2017 के आदेश तथा जीआरए के आदेशों के मुताबिक नुकसान भरपाई, पुनर्वास की स्थिति तथा अन्य मुद्दों का निपटारा करने के लिए प्रशासन और आंदोलन के बीच तालमेल के साथ समयबद्ध कार्यक्रम तय हो। हालांकि जिला कलेक्टर और अधिकारी आंदोलनकारियों से आकर बात तो लगातार कर रहे हैं लेकिन शिकायत निवारण पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
नर्मदा चुनौती सत्याग्रह के समर्थन में जन जागरण के लिए नर्मदा घाटी के गांवों में मोटर साइकल रैली निकाली गई। करीब 200 मोटर सायकलों का कारवां सुबह खलघाट से प्रारंभ हुआ जो धरमपुरी,टवलाई, बाकानेर और मनावर में नुक्कड़ सभा करते हुए सत्याग्रह स्थल पहुंचा। कल नर्मदा घाटी के युवा साथियों ने एनवीडीए के कार्यालय में जाकर शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगें रखी। प्रभावितों द्वारा भारत के प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर बिना पुनर्वास डूब से उनकी रक्षा की मांग की गई है।
गुजरात सरकार सत्याग्रहियों तथा डूब क्षेत्र के प्रभावितों को धमकाने के लिए सरदार सरोवर के गेट से पर्याप्त जल निकासी नहीं कर रही है, जिससे जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। निधारित जलभराव कार्यक्रम के विरुद्ध जलस्तर बढ़ा कर आज 134.500 मीटर कर दिया गया है। लेकिन, सत्याग्रही डूब से पहले हर परिवार के संपूर्ण पुनर्वास की मांग पर अडिग हैं।