जीर्णोंद्धार की बाट जोह रही आदि गंगा के मामले में कोर्ट में हुई सुनवाई
यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
On: Friday 25 November 2022
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की पूर्वी खंडपीठ का कहना है कि आदि गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए कई परियोजनाओं के कार्यान्वयन और उन्हें पूरा करने की जरूरत है। आदि गंगा को टॉली का नाला भी कहा जाता है।
गौरतलब है कि इस मामले में विभिन्न प्राधिकरणों को लेकर बनाई संयुक्त समिति ने रिपोर्ट तैयार की थी जिसमें प्रदूषण को दूर करने के लिए सिफारिशें की गई थी। कोर्ट ने पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इनके कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए 9 जनवरी, 2023 से पहले एक रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
वहीं पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से 21 नवंबर, 2022 को कोर्ट में सबमिट रिपोर्ट में कहा गया है कि मेट्रो रेल प्राधिकरण, कोलकाता नगर निगम, हिडको, कोलकाता पुलिस और राजपुर सोनारपुर नगर पालिका द्वारा कई परियोजनाओं को पूरा करने की आवश्यकता है।
समिति की सिफारिशों में अन्य बातों के अलावा निम्नलिखित का जिक्र किया गया है:
- नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) को टोली नाला कायाकल्प के संशोधित प्रस्ताव को मंजूरी देनी चाहिए।
- कोलकाता नगर निगम (केएमसी) और राजपुर सोनारपुर नगर पालिका को आदि गंगा के सभी पुलों पर नदी में डाले जा रहे कचरे या प्लास्टिक को रोकने के लिए इंसान की ऊंचाई से ऊपर के जाल लगाने चाहिए
- कोलकाता पुलिस को आदि गंगा के किनारे मौजूद सभी खतालों यानी गौशालाओं और सुअर पालन को जल्द से जल्द हटाने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही पुलिस को यह सुनिश्चित करना होगा कि आदि गंगा के तट पर कोई अतिक्रमण न हो।
गौरतलब है कि इस बारे में 19 अप्रैल, 2022 को डाउन टू अर्थ में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया था है कि आदि गंगा, जोकि कोलकाता से होकर बहने वाली गंगा नदी की एक मूल धारा, लंबे समय से अनदेखी के कारण एक नाले में बदल गई है। वहीं अब पश्चिम बंगाल सरकार की एक एजेंसी बदलाव करके इस ज्वारीय नदी के हिस्से को 'नाली' में बदलने की योजना बना रही है।
पश्चिम बंगाल ने सॉलिड और लिक्विड वेस्ट मामले में दिया 3,500 करोड़ का मुआवजा
पश्चिम बंगाल के शहरी विकास और नगरपालिका मामलों के विभाग ने 'सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट मिशन' योजना के तहत दो अलग-अलग खाते बनाए हैं और उनमें 3,500 करोड़ रुपये की राशि जमा कर दी गई है। इस फण्ड का उपयोग दूषित सीवेज और ठोस अपशिष्ट के निपटान और बहाली के लिए किया जाएगा, जिससे इसके प्रवाह को रोका जा सके। यह जानकारी पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव द्वारा 24 नवंबर को दायर रिपोर्ट में दी गई है।
गौरतलब है कि एनजीटी ने 1 सितंबर, 2022 में पश्चिम बंगाल को सॉलिड और लिक्विड वेस्ट संबंधी मानदंडों के पहले किए उल्लंघनों के लिए मुआवजे के भुगतान का निर्देश दिया था। मुआवजे की यह राशि 2 करोड़ रुपये प्रति एमएलडी तय की गई थी।
हैदराबाद में झीलों पर होते अतिक्रमण को रोकने के लिए 94.17 करोड़ की राशि की गई थी स्वीकृत
हैदराबाद और उसके आसपास के क्षेत्रों में झीलों और टैंकों के बफर जोन में होते अतिक्रमण को हटा दिया गया है। हालांकि, लंबित मामलों और जमींदारों द्वारा दायर मामलों के कारण, कुछ अतिक्रमणों को अभी भी नहीं हटाया जा सका है, जिससे उस क्षेत्र में झील संरक्षण के कार्य ठप हो गए हैं।
गौरतलब है कि झीलों के सुरक्षा कार्यों के लिए ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम ने 94.17 करोड़ रुपए की धनराशि स्वीकृत की थी। इस राशि से 63 झीलों के चारों ओर चेन लिंक फेंसिंग का निर्माण किया जाना है।
इस बारे में हैदराबाद की नॉर्थ टैंक डिवीजन द्वारा दायर रिपोर्ट के अनुसार उक्त झील संरक्षण बाड़ लगाने का काम करीब-करीब 70 फीसदी पूरा हो चुका है और विभिन्न अदालतों में लंबित मामलों के चलते अभी भी 30 फीसदी काम बीच में अटका हुआ है।